कितनी बयानबाजी कितने विवाद और दावेदारियां कुछ भी नतीजे में नहीं बदला और बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के साथ बने नेशनल डिमोक्रेटिक अलायंस को जबरदस्‍त हार का सामना करना पड़ा है। आखिर कौन से रहे वो खास कारण जिनके चलते प्रचंड बहुमत से लोकसभा चुनाव जीती मोदी सरकार को 18 महीनों में दूसरी बार विधानसभा चुनावों में करारी हार झेलनी पड़ी।


पहला कारण ऐसा लग रहा है कि बिहारी बनाम बाहरी के के बयान को सामने रख कर महागठबंधन के घटक दलों ने नरेंद्र मोदी के डीएनए वाले बयान के साथ जोड़ कर अपने पक्ष में भुना लिया। नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की जोड़ी ने मोदी और अमित शाह की जोड़ी को बिहार से बाहर का चेहरा साबित करके खुद को स्थानीय लोगों का करीबी और खैर ख्वाह साबित कर दिया। दूसरा कारण कहां तो महागठबंधन से मुलायम सिंह यादव और उनकी समाजवादी पार्टी के टूटने का जश्न मना रही थी भाजपा और कहां उसके अपने सहयोगी दलों के बीच सीटों के बटवारे को लेकर घमासान शुरू हो गया। ये लड़ाई इस कदर बढ़ी कि वरिष्ठ नेताओं को बयान देने पड़े। इस बात का लालू और नीतीश के साथ मजबूती से खड़ी कांग्रेस ने जम कर उठाया लगता है। तीसरा कारण
भाजपा के बिहार में मौजूद स्थानीय नेताओं के बीच तालमेल की जबरदस्त कमी दिखाई दी। टिकट बटवारे मुद्दे पर भाजपा सांसद आरके सिंह और शत्रुघ्न सिन्हा खुल कर नाराजगी जता चुके थे। आरके सिंह ने मतदान में भी हिस्सा नहीं लिया। वहीं भाजपा के स्टार प्रचारक शत्रुघ्न सिन्हा चुनाव प्रचार से दूर रहे, उल्टा बीच बीच में वे अपने ही नेतृत्व पर निशाना साधते रहे। इतना ही नहीं भाजपा के राज्य स्तर के नेताओं में अपेक्षित जोश नहीं दिया। चौथा कारण चुनाव से पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत आरक्षण पर दिया बयान भी भाजपा का बबाले जान बन गया। जिसके चलते महागठबंधन के शातिर नेताओं को जनता को ये समझाने का मौका मिल गया कि भाजपा सरकार आरक्षण खत्म करने के मुद्दे पर विचार कर रही है। इसके बाद भाजपा बैकफुट पर आ गयी और खुद प्रधनमंत्री मोदी को लोगों को आश्वस्त करने के लिए कहना पड़ा कि उनके जीते जी कोई आरक्षण खत्म नहीं कर सकता। पर लोगों का विश्वास फिर बहाल नहीं हुआ।  पांचवा कारणचुनाव प्रचार में बेवजह आक्रमक तेवर दिखाने के चक्कर में भाजपा को काफी नुकसान झेलना पड़ा है। जैसे अमित उशाह के पाकिस्तान में पटाखे फूटेंगे वाले बयान का महागठबंधन ने पूरा लाभ उठाया और इस तरह की जुमलेबाजी को अपने पक्ष में इस्तेमाल किया।  


ऐसे ही कई और भी कारण है जो भाजपा की बड़ी हार की वजह बने। जाहिर है आज होने वाली समीक्षा बैठक में नरेंद्र मोदी और अमित शाह को इन पर विचार करना होगा और भविष्य की राह ढूंढनी होगी। वरना आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश के चुनावों में भी उसका गणित बिगड़ सकता है।

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Posted By: Molly Seth