- वरिष्ठता सूची जारी करने में भी की मिलीं भारी गड़बडि़यां

- 12 रिकॉर्ड कीपर्स को बना दिया क्लर्क

- 14 साल पहले केजीएमयू में की गई थी भर्तियां

LUCKNOW:

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू)) में करीब दर्जन भर रिकॉर्ड कीपर्स को नियमों को ताक पर रख क्लर्क बना दिया है। पिछले हफ्ते रजिस्ट्रार द्वारा जारी की गई वरिष्ठता सूची के सामने आने के बाद ये धांधली सामने आई है। पहले ही इन कर्मचारियों की भर्तियों में धांधली के आरोप लग चुके हैं। 14 साल बाद अब फिर से उन्हीं चहेते कर्मचारियों को लाभ पहुंचाने के लिए दूसरे पदों पर समायोजित करते हुए वरिष्ठता सूची में भी शामिल कर दिया गया।

रिकॉर्ड कीपर्स बन गए बाबू

केजीएमयू रजिस्ट्रार द्वारा पिछले हफ्ते जारी वरीयता सूची के बाद से ही वरीयता को लेकर आरोप लग रहे हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने को 2004 में भर्ती हुए रिकॉर्ड कीपर्स को वरीयता सूची में क्लर्क बना दिया गया। जबकि दोनों ही पद अलग-अलग थे। इससे बड़ी संख्या में कर्मचारियों की वरिष्ठता पर असर पड़ा है। अब कुछ कर्मचारी अब कोर्ट जाने की तैयारी में हैं। जिन कर्मचारियों को रिकॉर्ड कीपर से क्लर्क बनाया गया है उनके नाम वरिष्ठता सूची में क्रमश: 82, 86, 98, 99, 100, 101, 102, 105, 108, 112 सहित अन्य क्रमांकों पर अंकित हैं।

अलग-अलग हुई थी भर्ती

केजीएमयू के सूत्रों के मुताबिक इन करीब दर्जन भर कर्मचारियों को 2004 में भर्ती किया गया था। उस समय क्लर्क और रिकॉर्ड कीपर पदों की अलग अलग भर्तियां की गई थी। बाकायदा अलग-अलग कमेटियां बनाकर इनकी भर्ती की गई थी, लेकिन अब अचानक सभी कर्मचारियों को क्लर्क में शामिल कर लिया गया। इसके कारण कर्मचारियों की वरिष्ठता सूची पर विपरीत असर पड़ा है। जबकि इन भर्तियां पहले से ही कमिश्नर की जांच में बड़ी धांधली होने की बात साबित हो चुकी है।

कार्य परिषद को भी गलत जानकारी

केजीएमयू में पिछले माह की 25 तारीख को इमरजेंट ईसी बुलाई गई थी। इसमें एक प्रमुख मुद्दा कर्मचारियों की भर्ती में धांधली का था। केजीएमयू की वेबसाइट पर अपलोड मिनट्स में भी साफ लिखा है कि जो एजेंडा ईसी को सर्कुलेट किया गया उसमें से कुछ पेज गायब है। तहकीकात करने पर पता चला कि इन पेज में इन्हीं रिकॉर्ड कीपरों की भर्ती की ही जानकारी है। सूत्रों के मुताबिक इन रिकॉर्ड कीपरों पर कोई कार्रवाई न हो इसके कारण केजीएमयू प्रशासन ने जानबूझकर पेज गायब कर दिए ताकि ईसी के सामने मामला ही न आए।

तो गलत थी भर्ती

केजीएमयू के अधिकारियों ने बताया कि क्लर्क और रिकॉर्ड कीपर एक ही पद होता है। सवाल उठता है कि यदि ऐसा है तो 2004 में अलग अलग पदों पर भर्ती क्यों की गई? अलग-अलग कमेटियां बनाई गई और भारी मात्रा में धन की बर्बादी क्यों की गई? यदि केजीएमयू मानता है कि वे भर्तियां गलत थी तो अब तक आरोपियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा सकी।

कर्मचारियों की वरिष्ठता सूची में कर्मचारियों को आपत्तियां दर्ज कराने का समय दिया गया है। अपत्तियां आने पर अंतिम निर्णय कुलपति लेंगे।

- डॉ। संतोष कुमार, मीडिया प्रभारी

Posted By: Inextlive