-जाली शस्त्र लाइसेंस मामले में प्रशासनिक जांच हुई तेज, बोरी में भर लाए गए अभिलेख

GORAKHPUR:

गोरखपुर में हुए जाली शस्त्र लाइसेंस मामले की आंच जिले के बाहर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक पहुंच चुकी है। इसके बाद जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भी सख्ती से कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। जाली शस्त्र लाइसेंस मामले की जांच कर रही टीम का अनुमान है कि करीब तीन करोड़ रुपए तक के अवैध असलहे गोरखपुर शहर में इन दिनों हैं। वहीं, चार करोड़ 88 लाख रुपए का पिस्टल और रिवाल्वर का अवैध कारोबार का मामला भी प्रकाश में आया है। हालांकि जांच टीम जाली शस्त्र लाइसेंस के अभिलेखों की पड़ताल की अलग सूची बनाकर दिन प्रतिदिन कार्रवाई के लिए पुलिस को निर्देश जारी कर रही है।

सील तोड़कर लाए गए अभिलेख

14 अगस्त को जाली शस्त्र लाइसेंस और असलहे के मामले के खुलासा होने के बाद से ही जिला प्रशासन की नींद उड़ी है। शस्त्र विभाग के अभिलेख और रवि आ‌र्म्स गन हाउस के अभिलेखों का मिलान किया जा चुका है। वहीं, गुरुवार को रवि गन हाउस के दुकान का सील तोड़कर तीन सौ से ज्यादा जाली शस्त्र लाइसेंस के रिकार्ड बोरी में भरकर लाए गए हैं। अब इनका मिलान शस्त्र विभाग के रिकार्ड से कराया जाएगा। एक-एक जाली शस्त्र लाइसेंस के मिलान में पहले यूनिक आईडी नंबर, लाइसेंस नंबर, नाम, पता समेत असलहे का नंबर आदि मिलान के साथ-साथ अधिकारियों के सिग्नेचर का मिलान किया जा रहा है।

सरगना तक पहुंचने के कइर् अहम सुराग

300 के करीब लाए गए जाली शस्त्र लाइसेंस के मामले में पाया गया है कि एक व्यक्ति से करीब एक से दो लाख के बीच शस्त्र लाइसेंस बनाने के नाम पर वसूले गए हैं। इस तरह करीब तीन सौ लोगों से तीन करोड़ साठ लाख रुपए तक की कमाई की गई है। इसी प्रकार डेढ़ से दो लाख रुपए तक के पिस्टल व रिवाल्वर की खरीदारी में चार करोड़ अस्सी हजार रुपए से ऊपर की कमाई जाली असलहे के सरगना ने की है। जाली शस्त्र लाइसेंस और पिस्टल के बेचने में करीब आठ करोड़ चालीस लाख रुपए से अधिक का कारोबार हुआ है।

यूपी, बिहार व नेपाल तक फैला है जाल

प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो शस्त्र लाइसेंस के गैंग का जाल न सिर्फ गोरखपुर तक फंसा है। बल्कि यूपी, बिहार और नेपाल तक फैला हुआ है। धीरे-धीरे कर जिला प्रशासन की टीम सारे अभिलेखों की जांच कर रही है। वहीं, जांच रिपोर्ट के बाद पुलिस को मामला सौंपने के बाद पुलिस अभी मेन सरगना की तलाश में भटक रही है। पुलिस का दावा है कि जब तक वह मेन सरगना तक नहीं पहुंच जाती तब तक चुप बैठने वाली नहीं है। क्राइम ब्रांच से लगाए एसआईटी की टीम लगातार दबिश दे रही है।

वर्जन

करीब 300 जाली शस्त्र लाइसेंस के रिकार्ड बोरे में भरकर लाए गए हैं। इन सभी जाली शस्त्र लाइसेंस का मूल अभिलेखों के साथ मिलान कर जांच की जा रही है। जांच में विभागीय लोग अगर मिले होंगे तो उनके विरुद्ध कार्रवाई होगी।

आरके श्रीवास्तव, एडीएम सिटी

Posted By: Inextlive