दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने आयोजित किया पैनल डिस्कशन

स्कूल प्रिंसिपल्स, पेरेंट्स और हेल्थ एक्सपर्ट ने रखे विचार

सभी लोग समझें अपनी जिम्मेदारी, तभी होगा साल्यूशन

Meerut। स्टूडेंट्स के हैवी बैग्स जहां उन्हें मेंटली कमजोर कर रहे हैं वहीं उनकी फिजिकल ग्रोथ पर भी प्रतिकूल असर डाल रहे हैं। स्थिति काफी गंभीर हैं। आंकड़े चौंकाने वाले हैं। वक्त आ चुका है कि अब स्टूडेंट्स को हैवी बैग्स से निजात दिलाई जाए। इसके मद्देनजर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के भारी बस्ता अभियान के तहत मंगलवार को पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया। दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित इस पैनल में सिटी के रिनाउंड स्कूल्स के प्रिंसिपल्स, पैरेंट्स, काउंसलर्स, हेल्थ एक्सप‌र्ट्स ने हिस्सा लिया। इस दौरान सभी ने एक सुर में कहा कि पेरेंट्स और स्कूल्स को एक साथ आने की जरूरत हैं। इस मुद्दे पर सभी अपनी जिम्मेदारियां समझेंगे तभी इसी समस्या को जड़ से खत्म किया जाएगा।

ये इश्यू बहुत गंभीर है। एक-दूसरे को इसके लिए जिम्मेदार ठहराने की बजाय सब एक साथ कदम उठाएं। सभी अपनी जिम्मेदारी समझें और उसको गंभीरता से निभाएं।

प्रेम मेहता, प्रिंसिपल, सिटी वोकेशनल पब्लिक स्कूल

पेरेंट्स को चाहिए कि बच्चे का स्कूल बैग रेग्यूलरली टाइमटेबल से चेक करें। सहोदय स्कूल्स की ओर से इस दिशा में कदम उठाया जा रहा है। पेरेंटिंग को लेकर स्कूल्स मैन्यूअल जारी कर रहे हैं।

राहुल केसरवानी, सहोदय सचिव

इंटरेक्शन बहुत जरूरी है। पेरेंट्स को चाहिए कि वह स्कूल से आकर बात जरूर करें। टाइमटेबल को लेकर बच्चे की ओर से कही गई किसी भी बात को टीचर से जरूर क्रॉस चेक करें।

डॉ। अल्पना शर्मा, प्रिंसिपल, डीएवी स्कूल

पेरेंट्स और स्कूल के बीच कम्यूनिकेशपन गैप कम होना चाहिए। पेरेंट्स और टीचर्स के क्लीयर कम्यूनिकेशन रखें। इंटरेक्शन बढ़ाए। बच्चों के बैग्स को रेग्यूलर चेक करें। टाइमटेबल से उसे सेट करें ।

अनुपमा सक्सेना, प्रिंसिपल, गार्गी पब्लिक स्कूल

इस समस्या को दूर करने के लिए अवेयरनेस बहुत जरूरी है। बैग क्यों भारी है। इसका एक्चुअल रीजन जानने की कोशिश करें। बैग को आर्गेनाइज्ड करने से हल निकल सकता है।

आशीष गुप्ता, डायरेक्टर, पीजीएम इंटरनेशनल स्कूल

इस इश्यू पर सभी को पॉजिटिव अप्रोच का रखना बहुत जरूरी है। पेरेंट्स और स्कूल मिलकर ही इसका हल निकाल सकते हैं। स्कूल्स भी इसमें इनिशिएटिव लें।

अमित कुमार, डायरेक्टर, नोबल पब्लिक स्कूल

हैल्थ

हैवी बैग की वजह से बच्चों को कई हेल्थ इश्यूज हो रहे हैं। स्कूल्ज को चाहिए कि वह बच्चों का बर्डन कम करने की कोशिश करें। पेरेंट्स में अवेयरनेस के लिए हेल्थ कैंप लगवाएं जाएं ।

डॉ। सुधाकर, आर्थोपेडिक सर्जन, केएमसी हॉस्पिटल

हैवी स्कूल बैग काफी गंभीर मुद्दा है। स्कूल बैग के ओवर साइज होने से बच्चे का पोश्चर खराब हो रहा है। कंधे आगे की तरफ झुकने की समस्या बढ़ रही है। फिजिकली बच्चे वीक हो रहे हैं।

डॉ। जेएस मलिक, चाइल्ड स्पेशलिस्ट, मंगलम हॉस्पिटल

बच्चों के बैग का डिजाइन और उसका वेट उनकी ग्रोथ पर उल्टा असर डाल रहे हैं। कंधे झुकने की समस्या बहुत कॉमन हो गई है। पोश्चर बिगड़ रहा है। स्कूल और पेरेंट्स को दोनों को ध्यान देना होगा।

डॉ। केपी सैनी, सीनियर फिजियोथेरेपिस्ट

पेरेंट्स को इसके लिए अवेयर होना बहुत जरूरी है। स्कूलों में इसके लिए काउसंलिंग सेशन होने जरूरी है। इस इश्यू पर अभी जागरूकता की काफी कमी है। हैवी बैग्स की वजह से बच्चों की मेंटली हेल्थ पर भी असर पड़ रहा है।

डॉ। रितु केला, साइकोथेरेपिस्ट

स्कूलों में अब डिजिटाइलेशन की ओर कदम बढ़ाना चाहिए। पढ़ाई को पूरी तरह से डिजिटल कर देना चाहिए ताकि बैग के बर्डन को बिल्कुल खत्म किया जा सके। बैग के डेली बर्डन को भी कम किया जाना चाहिए।

अनुभूति चौहान, सचिव, अरूणोदय सोसाइटी

बच्चों के बैग को हल्का करवाने की जिम्मेदारी समाज में सभी वर्गो की है। सबको मिलकर इस दिशा में काम करना होगा। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट का इनिशिएटिव काफी सराहनीय है।

डॉ। राजीव, पेरेंट्स

पेरेंट्स को इसके लिए सबसे ज्यादा अवेयर होना होगा। दोनों मदर-फादर रेग्यूलर स्कूल के टच में रहे। पेरेंट्स के लिए स्कूल पीटीएम कंपलसरी करें, ताकि वह अपनी बात रख सके।

शीजा, पेरेंट्स

स्कूलों को बच्चों पर से ओवर सब्जेक्ट्स और बुक्स का बर्डन कम करना चाहिए। कई स्कूलों ने एक्सट्रा बुक्स और सब्जेक्ट लगा रखे हैं। अगर इन्हें हटा दिया जाए तो बच्चों को काफी राहत मिल सकती है।

प्रिंसी, पेरेंट्स

बच्चों का टाइमटेबल ऐसा होना चाहिए, जिसमें सभी सब्जेक्ट के लिए अलग-अलग डेज डिसाइड हों। इससे बच्चों का बैग भी कम होगा और उनका एक्सट्रा बर्डन भी कम हो सकेगा।

टीना गोयल, पेरेंट्स

Posted By: Inextlive