भारत के महान क्रिकेटर मूलवंतराय हिम्मतलाल मांकड़ जिनको लोग प्‍यार से वीनू मांकड़ कहकर बुलाते थे पहले ऐसे क्रिकेटर थे जिन्‍होंने टेस्‍ट मैच में भारत को 40 साल की उम्र के बाद भी रिप्रेसेंट किया था। आज शायद ही लोग वीनू को कोई याद करता होगा लेकिन इनका नाम विश्व के महान ऑलराउंडरों में गिना जाता है। इस दुनिया को वो अलविदा कह चुके हैं लेकिन आइए इस महान बल्‍लेबाज के करीयर से जुड़ी कुछ अहम बातें हम आपको बताते हैं।

नहीं तोड़ पाया कोई रिकॉर्ड
वीनू मांकड़ दाएँ हाथ के बल्लेबाज और बाएँ हाथ के स्पिन गेंदबाज थे। 1956 में पंकज राय के साथ मिलकर उन्होंने 413 रन की ओपनिंग साझेदारी की। उनका यह रिकॉर्ड पूरे 52 साल बाद टूटा था।
मांकड़ ने दिलाई जीत
1952 में मद्रास में खेले गए मैच में भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ पहली बार जीत हासिल की थी और वो भी मांकड़ की वजह से। पहली इनिंग में इन्होंने 55 रन पर आठ विकेट चटकाए थे और दूसरी में 53 रन पर चार विकेट गिराए थे।

अंदाज-ए-आउट बना नियम
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी टेस्ट में भारतीय गेंदबाज वीनू मांकड़ ने विपक्षी बल्लेबाज को कुछ ऐसे आउट किया की सब हैरान रह गए। मांकड़ ने गेंदबाजी करते हुए क्रीज तक पहुँचे बिना गेंद फेंकेने वाले नॉन स्ट्राइकिंग छोर की गिल्लियां बिखेर दीं। बल्लेबाज बिल ब्राउन गेंद डाले जाने के पूर्व ही रन लेने की जल्दबाजी में क्रीज छोड़ चुके थे। मांकड़ ने गिल्ली उड़ाते ही रन आउट की अपील की और अंपायर ने आउट घोषित कर दिया। बाद में यह तरीका क्रिकेट के नियमों में शामिल हो गया और इसका नाम मांकड़ आउट पड़ गया।

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Posted By: Ruchi D Sharma