हिंदी फिल्मों में एक चलन है कि यहाँ मल्टीपल कहानियों वाली फिल्में नही चलती। ऐसी कई फिल्में आई हैं जिसमे ये कोशिश की गई है और और फिल्मे बुरी तरह से फेल हुई हैं। अनुराग बसु की लाइफ इन अ मेट्रो के अलावा कोई ऐसी फिल्म नहीं आई जिसमें ये काम सक्सेसफुल तरीके से किया गया हो। कारण शायद ये है कि कोई न कोई कहानी बर्बाद हो ही जाती है और साथ में फिल्म का मजा भी। कैसी है इस लिहाज से 3 स्टोरीज आइये पता लगाते हैं।

कहानी:

तीन मंज़िल की एक मुम्बइया चाल में कई कहानियां है, जो हमारे आस पास की कहानियों से मिलती हैं। क्या हैं ये कहानियां जानने के लिए फिल्म देखिये।

 

अदाकारी:

रेणुका शहाणे इस फ़िल्म में अपनी खिलखिलाती इमेज से अलग हटकर एक ऐसे रोल को सपोर्ट करती हैं जो उनकी एक्टिंग टैलेंट को शोकेस करती है। पिछले हफ्ते एक रद्दी परफॉर्मेन्स देने के बाद इस फ़िल्म में पुलकित एक बढ़िया परफॉर्मेन्स देते हैं भले ही उनका रोल छोटा है, उनको ऐसी और फिल्मे करनी चाहिए। ऋचा और शरमन तो अच्छे एक्टर हैं ही और वो अपने अपने रोल को ठीक से निभाते हैं। मासुमेह अपने किरदार के लिए गलत कास्टिंग हैं, इस रोल में राधिका आप्टे होती तो कुछ और ही बात होती।

 

 

 

कुल मिलाकर 3 स्टोरीज़ एक बढ़िया अटेम्प है पर ये फ़िल्म काफी बेहतर हो सकती थी। पर फिर भी इस हफ्ते रिलीज़ हुई फिल्मों में से अकेले यही ऐसी फिल्म है जिससे आप हम और हमारे जैसे कॉमन लोग कहीं न कहीं किसी न किसी तरह से कनेक्टेड फील करेंगे। 3 स्टोरीज कहानियों की वजह से नहीं किरदारों की वजह से देखिए, क्योंकि कहानियां तो आपके हमारे ज़िन्दगी जैसी हैं।

रेटिंग : 3 – ½ STAR


Review by : Yohaann Bhargava
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Posted By: Chandramohan Mishra