लीजिए जी आप भी तैयारी कर रहे थे घर खरीदने की। तो खुश हो जाइए। कारण है कि आपको बिल्‍डरों की मनमानी से बचाने के लिए आ गया है RERA। खुशखबरी ये है कि 1 मई से देश में ये रियल एस्‍टेट रेगुलेटर काम करना शुरू कर देगा। फिर चाहें समय पर हो या कुछ देर रुककर लेकिन हर राज्‍य को इस रेगुलेटर को लागू करना ही होगा। बता दें कि RERA के आने पर रियल एस्‍टेट इंडस्‍ट्री में जिस पारदर्शिता और अनुशासन की जरूरत है अब लोगों को वो पूरी तरह से मिलेगी। आइए आपको बताते हैं कि RERA के आने से घर खरीदने में आपको कैसे-कैसे होगा फायदा।


1 . RERA के मुताबिक बिल्डर या एजेंट को खुद को रेगुलेटर के तहत रजिस्टर्ड कराना होगा। इसके बाद ही वह किसी प्रोजेक्ट को बेच पाएंगे। बिना रजिस्ट्रेशन अगर कोई ये काम करेगा तो वह मान्य नहीं होगा। ऐसा होने से घर के खरीददारों से ठगी करने वालों पर लगाम लगेगी। 2 . रियल एस्टेट रेगुलेटर के नियमों के तहत बिल्डर को 5 साल तक प्रोजेक्ट के मरम्मत की पूरी जिम्मेदारी उठानी होगी। इन पांच सालों के बीच में उसके दिलवाए या बनवाए प्रोजेक्ट में कोई कमी आती है तो वह उसको खरीददार को ठीक करवा के देगा। पढ़ें इसे भी : जब दुनिया की इन बड़ी कंपनियों की हुई खूब बदनामी3 . बिल्डर की मर्जी से कभी डील कैंसिल नहीं होगी। इसके अलावा बिल्डर के पास ओपन पार्किंग बेचने का कोई अधिकार नहीं होगा। घर खरीददारों के साथ एकतरफा एग्रीमेंट भी नहीं बनेंगे।


4 . रेगुलेटर की बात न मानी तो जुर्माना या जेल की सजा का भी प्रावधान है। ऐसी स्थिति में प्रोजेक्ट कीमत का 5 से 10 फीसदी जुर्माना लगाया जा सकता है। पढ़ें इसे भी : PF के बदल गए नियम : अब होम लोन की EMI भी भर सकेंगे, जानें इससे जुड़ी और बातें

5 . सुप्रीम कोर्ट के ऑन रिकॉर्ड एडवोकेट नरेंद्र कुमार जानकारी देते हुए बताते हैं कि रियल एस्टेट रेगुलेटर के नियमों के तहत बिना रजिस्ट्रेशन कोई भी प्रोजेक्ट नहीं बिकेंगे। इसके साथ ही बिना रजिस्ट्रेशन किसी भी प्रोजेक्ट का विज्ञापन भी नहीं होगा। जरूरी मंजूरियों के बाद ही प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी होगी। प्रोजेक्ट से जुड़ी हर जानकारी वेबसाइट पर डालनी होगी। प्रोजेक्ट के लिए अलग से एस्क्रो अकाउंट भी बनाना होगा। इस एस्क्रो अकाउंट में 70 फीसदी पैसा रखना होगा। प्रॉपर्टी ब्रोकर भी रियल एस्टेट रेगुलेटर के दायरे में आएंगे।पढ़ें इसे भी : साल की सबसे टॉप 10 बिकने वाली कारों में 7 मॉडल मारुति के

6 . खरीददार को कुल मिलाकर कारपेट एरिया (सिर्फ दीवार के अंदर का एरिया) का ही भुगतान करना होगा। बिल्डर अब आपसे सुपर बिल्टअप एरिया के नाम पर अतिरिक्त भुगतान नहीं ले सकेंगे। जैसे आपको सिर्फ 900 या 1000 स्क्वायर फिट का कारपेट एरिया ही मिले और आपने भुगतान के हिसाब से बुक कराया हो 1300 स्क्वायर फिट का घर। बाकी का हिस्सा बालकनी या कॉमन स्पेस कहकर छुड़वा दिया जाए। कुल मिलाकर हर राज्य में अब अपीलेट ट्रिब्यूनल बनेगा और सभी प्रोजेक्ट अथॉरिटी में रजिस्टर होंगे। RERA के लागू होने के बाद से घर कारपेट एरिया पर ही बिकेंगे।

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Posted By: Ruchi D Sharma