- रेरा के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं कराने वाले प्रोजेक्ट्स को बैंक से नहीं मिलेगा लोन

- रेरा ने वित्तीय संस्थाओं को लिखा पत्र

- अब आम खरीददारों को भी नहीं मिल पाएगा लोन

RANCHI (1 Nov)

अगर रांची में फ्लैट खरीदने की सोच रहे हैं, तो एक बार फिर से पूरी जांच पड़ताल कर लें। जिस अपार्टमेंट का रजिस्ट्रेशन झारखंड रेरा में नहीं होगा, उसको बैंक से लोन नहीं मिलेगा। रियल एस्टेट सेक्टर को फिनांशियल सपोर्ट देने वाले सभी संस्थानों को रेरा की ओर से एक चिट्ठी भेजी गई है, जिसमें साफ-साफ कहा गया है कि जिन प्रोजेक्टस का रेरा में रजिस्ट्रेशन न हो, उन्हें फिनांस न किया जाए। यानी ऐसे प्रोजेक्ट्स जो रेरा में निबंधित नहीं होंगे, उसके लिए बैंकों से लोन नहीं मिलेगा। इसका सीधा असर खरीददारों पर पड़ने वाला है, क्योंकि उन्हें 'अनवेरीफाइड प्रोजेक्टस' में इनवेस्ट करने के लिए किसी भी संस्थान से पैसे नहीं मिलेंगे।

नहीं मिल रहा है रेरा का फायदा

रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट (रेरा) बनाकर केंद्र सरकार ने लोगों को धोखाधड़ी से बचाया, ताकि लोगों की जीवन भर की कमाई डूब न जाए। लेकिन, रांची के फ्लैट खरीदारों को अभी तक इस एक्ट का बहुत अधिक फायदा नहीं मिला। रेरा अथॉरिटी में बेहद कम प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन हुआ है। हालांकि, रेरा अथॉरिटी के पदाधिकारियों का कहना है कि 100 से अधिक प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन कर दिया गया है।

ये हैं रेरा के फायदे

रेरा एक्ट के अंतर्गत बिल्डर जिस प्रोजेक्ट की शुरुआत करेगा, उसके लिए उसे एक अलग एकाउंट खोलना पड़ेगा। फ्लैट खरीददारों से बुकिंग अमाउंट लेने के बाद बिल्डर को एसक्रो एकाउंट में ही पैसा रखना होगा। बैंक द्वारा फ ाइनांस किए गए प्रोजेक्ट का भी पैसा उसी एकाउंट में जाएगा। प्रोजेक्ट में खर्च होने वाले पैसे उसी एकाउंट से निकाले जा सकेंगे। पैसे की हेरफेर रोकने के लिए यह व्यवस्था की गई है, ताकि बिल्डर तय समय पर प्रोजेक्ट पूरा कर खरीददारों को फ्लैट हैंडओवर कर दे।

बिना रजिस्ट्रेशन के ही बेच रहे फ्लैट

रेरा में रजिस्ट्रेशन की शुरुआत अगस्त 2017 में हुई थी। इसके बाद डेवलपर्स ने धड़ल्ले से अपने प्रोजेक्ट का आवेदन जमा करना शुरू किया। लेकिन, ऑक्यूपेंसी सर्टिफि केट पर सभी प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन फ ंस गया। क्योंकि, शहर के अधिकर बिल्डरों ने नक्शा पास कराने के बाद उसके अनुरूप बिल्डिंग का निर्माण नहीं किया। नक्शे में हेरफेर कर बिल्डिंग बनाने की वजह से अधिकतर डेवलपर्स ने रांची नगर निगम से ऑक्यूपेंसी सर्टिफि केट नहीं लिया। यही वजह थी कि ऐसे प्रोजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन ही नहीं हुआ। इसके बावजूद बिल्डर्स ने बिना रजिस्ट्रेशन के ही अपने प्रोजेक्ट के फ्लैट्स बेच दिए। कई डेवलपर्स ने जमीन भी बेची। बाकायदा इसके लिए पंपलेट छपवाए गए। लेकिन, रेरा अथॉरिटी ने कोई कार्रवाई नहीं की, किसी को नोटिस तक नहीं भेजा गया।

Posted By: Inextlive