- स्वच्छता सर्वेक्षण के बाद सिटी लिविबिलिटी इंडेक्स में भी झटका

- परीक्षाओं से पहले होमवर्क और डाटा संकलन में नहीं दिया जा रहा ध्यान

LUCKNOW: स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 हो या फिर सिटी लिविबिलटी इंडेक्स, केंद्र स्तर से आयोजित दोनों ही परीक्षाओं में राजधानी को झटका लगा। स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में सुधार तो हुआ, लेकिन टॉप 10 में आना सिर्फ सपना ही रह गया। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सारे संसाधन होने के बावजूद राजधानी को झटका क्यों लग रहा है। इसकी प्रमुख वजह परीक्षाओं से पहले सही से होमवर्क न किया जाना है। वहीं इन परीक्षाओं को लेकर संजीदगी भी नहीं बरती जाती है। जिसका असर परिणाम पर देखने को मिलता है।

इन बिंदुओं पर हम चूके

1-डाटा कलेक्शन-सबसे पहले तो किसी भी योजना से जुड़े डाटा को कलेक्शन बेहद जरूरी है। इसकी वजह यह है कि दोनों ही परीक्षाओं में डाटा कलेक्शन के लिए अंक रखे गए थे। सिटी लिविबिलिटी इंडेक्स परीक्षा तो पूरी तरह से डाटा बेस्ड ही थी।

2-ओडीएफ-स्वच्छता सर्वेक्षण में तो एक बार फिर से ओडीएफ को लेकर झटका लगा था। हालांकि सिटी लिविबिलटी इंडेक्स में तो इसके सीधे अंक नहीं थे, लेकिन जब बात शहर के रहने योग्य की आती है तो निश्चित रूप से ओडीएफ की स्थिति भी देखी जाती है। वर्तमान समय में भी स्थिति बेहद खराब है।

3-संयुक्त प्रयास-केंद्र स्तर से आयोजित होने वाली परीक्षाओं में तभी बेहतर परिणाम हासिल किए जा सकते हैं, जब सभी विभाग मिलकर प्रयास करें। स्वच्छता सर्वेक्षण से लेकर सिटी लिविबिलटी इंडेक्स में इसका खासा अभाव देखने को मिला। जिसकी वजह से कहीं न कहीं शहर की रैंकिंग को झटका लगा है और आगे भी लगता रहेगा।

4-प्रेजेंटेशन-परीक्षाओं में बेहतर अंक हासिल करने के लिए हर योजना का बेहतर प्रेजेंटेशन बहुत जरूरी है। हालांकि दोनों ही परीक्षाओं में निगम ने बेहतर प्रेजेंटेशन दिया लेकिन कहीं न कहीं कोई चूक जरूर हुई। इसका असर रैंकिंग पर खासा देखने को मिला।

5-जागरुकता-स्वच्छता सर्वेक्षण हो या सिटी लिविबिलिटी इंडेक्स, शहर की जनता को इन परीक्षाओं के बारे में जानकारी ही नहीं होती है। इसकी वजह से जब केंद्र की टीम ग्राउंड पर जाकर जनता से रूबरू होती है तो जनता की ओर से अनभिज्ञता जाहिर की जाती है। जरूरत है कि जनता को हर परीक्षा से अवगत कराया जाए।

अब सर्वे 4 जनवरी से

केंद्र स्तर से यह भी साफ कर दिया गया है कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 के लिए सर्वे चार जनवरी 2019 से शुरू होगा। खास बात यह है कि इस बार सर्वे 31 जनवरी तक समाप्त करना है। जाहिर सी बात है कि अब निगम के पास सिर्फ साढ़े चार माह का समय शेष है, ऐसे में निगम को उन बिंदुओं पर काम करना होगा, जिन पर स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में कम या शून्य अंक मिले।

वर्जन

स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में शहर की रैंकिंग खासी सुधरी है। अभी से ही प्रयास शुरू कर दिया गया है कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में शहर टॉप थ्री में आ सके।

संयुक्ता भाटिया, मेयर

Posted By: Inextlive