कई इलाकों में ग्रांउड वाटर लेवल गंभीर स्थिति में, साल दर साल गिर रहा भूजल स्तर

Meerut। ग्राउंड वाटर लेवल साल-दर साल गिर रहा है। जिससे पानी का संकट दिनों-दिन शहर को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। बावजूद इसके वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से लेकर रोजमर्रा के कामों में लाखों लीटर पानी बर्बाद किया जा रहा है। इतना ही नहीं धड़ल्ले से हो रहे पानी के अवैध दोहन ने स्थिति को और विकट कर दिया है। एक्सप‌र्ट्स की मानें तो आने वाले 10 सालों में मेरठ में स्थिति और भयावह हो जाएगी।

हर साल बढ़ रहा जल संकट

पांडव नगर

20.14 मीटर ग्राउंड वाटर लेवल दर्ज किया गया था 2012 में

भूजल स्तर में आई गिरावट

2013- 0.60 मीटर

2014- 0.15 मीटर

2015- 0.60 मीटर

2016- 0.74 मीटर

2017- 0.61 मीटर

2018- 0.30 मीटर

रूड़की रोड

13.30 मीटर ग्राउंड वाटर लेवल दर्ज किया गया था 2012 में

भूजल स्तर में आई गिरावट

2013- 0.94 मीटर

2014- 0.69 मीटर

2015- 0.88 मीटर

2016- 0.89 मीटर

2017- 0.68 मीटर

2018- 0.15 मीटर

कलक्ट्रेट कैंपस

20.93 मीटर ग्राउंड वाटर लेवल दर्ज किया गया था 2012 में

भूजल स्तर में आई गिरावट

भूजल गिरने के पीछे कई कारण हैं। हम लगातार लोगों को पानी बचाने के लिए अवेयर कर रहे हैं लेकिन तमाम कवायदों के बाद भी लोग पानी बचाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।

अमोद कुमार, सीनियर जियोफिजिसिस्ट

2013- 0.63 मीटर

2014- 0.00 मीटर

2015- 0.66 मीटर

2016- 0.00 मीटर

2017- 1.08 मीटर

2018- 0.30 मीटर

घंटाघर

20.82 मीटर ग्राउंड वाटर लेवल दर्ज किया गया था 2012 में

भूजल स्तर में आई गिरावट

2013- 1.11 मीटर

2014- 1.56 मीटर

2015- 1.75 मीटर

2016- 0.24 मीटर

2017- 0.25 मीटर

2018- 0.66 मीटर

परतापुर रोड

17.76 मीटर ग्राउंड वाटर लेवल दर्ज किया गया था 2012 में

भूजल स्तर में आई गिरावट

2013- 0.83 मीटर

2014- 0.40 मीटर

2015- 0.67 मीटर

2016- 0.80 मीटर

2017- 0.28 मीटर

2018- 0.90 मीटर

हापुड़ रोड

19.75 ग्राउंड वाटर लेवल दर्ज किया गया था 2012 में

भूजल स्तर में आई गिरावट

2013- 0.22 मीटर

2014- 0.71 मीटर

2015- 1.13 मीटर

2016- 0.68 मीटर

2017- 0.38 मीटर

2018- 1.25 मीटर

जाहिदपुर

17.78 ग्राउंड वाटर लेवल दर्ज किया गया था 2012 में

भूजल स्तर में आई गिरावट

2013- 0.72 मीटर

2014- 0.10 मीटर

2015-0.57 मीटर

2016- 0.98 मीटर

2017- 0.55 मीटर

2018- 0.87 मीटर

डार्क जोन में पहुंचा मेरठ

मेरठ में भूजल का स्तर डार्क जोन में पहुंच गया है। सीनियर जियोफिजिसिस्ट की रिपोर्ट के अुनसार 2011 से यहां लगातार स्थिति क्रिटिकल बनी हुई है। भूजल की उपलब्धता की स्थिति भी गंभीर हो गई हैं।

ये है स्थिति

2013 में जारी रिपोर्ट के अनुसार

क्षेत्रफल- 17010 हेक्टोमीटर

भूजल रिचार्ज-3846.36 हेक्टोमीटर

भूजल दोहन- 3177.07 हेक्टोमीटर

भूजल उपलब्धता-609.99 हेक्टोमीटर

विकास दर- 82.60 हेक्टोमीटर

0.41 मीटर हर साल गिर रहा भूजल

मेरठ में हर साल प्री मानसून भूजल का स्तर 0.41 मीटर गिर रहा है। 2016 में जारी की गई रिपोर्ट के अुनसार 2006 में प्री-मानसून भूजल स्तर 8.37 मीटर था। दस साल बाद यानि 2016 में ये आंकड़ा 12.50 मीटर पर आ गया। जियोफिजिसिस्ट विभाग की रिपोर्ट के दस साल में कुल 4.10 मीटर की गिरावट दर्ज की गई। जबकि प्रतिवर्ष गिरावट का औसतन आंकड़ा 0.41 मीटर दर्ज किया गया है।

ये है वजह

डेयरी फा‌र्म्स में रोज लाखों लीटर बर्बाद

शहर में करीब दो-ढाई हजार से अधिक डेयरी संचालित हो रही हैं। यहां गाय-भैंसों को नहलाने से लेकर डेयरी धोने तक में हर दिन करीब दो हजार लीटर पानी बहाया जाता है। नीर फांडेशन के संचालक रमन त्यागी बताते हैं कि डेयरियों में हर दिन 2 से 3 घंटे तक समरसेबिल चलते हैं। 1 सेकेंड में करीब 15 लीटर पानी का फ्लो होता है। इस हिसाब से दो-तीन घंटे में सभी डेयरियों में लाखों लीटर पानी का दोहन होता है।

वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स में अवैध दोहन

शहर में अवैध रूप से 500 से ज्यादा छोटे-बड़े वाटर ट्रीटमेंट प्लांट चल रहे हैं। एक मयूर जग में 20 लीटर पानी भरने के लिए करीब 80 लीटर पानी का प्रयोग होत है। 60 लीटर पानी हर मयूर जग में बर्बाद किया जाता है। इस हिसाब से हर दिन लाखों लीटर पानी का दोहन होता है। अवैध रूप से चल रहे इन प्लांट्स में बीओआईएस व सीजीडब्ल्यूए की अनुमति तक नहीं हैं। प्रशासन भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

खेतों में बह रहा पानी

जल संरक्षण के लिए अवेयरनेस कार्यक्रम चला रहे बीडी शर्मा बताते है कि खेतों में भी पानी का जमकर दोहन किया जा रहा है। चावल और गन्ने जैसी फसलों के लिए खेतों में जरूरत से ज्यादा पानी चलाकर छोड़ दिया जाता है। जिससे 30 प्रतिशत पानी ही ग्राउंड में वापस जाता है। जबकि 70 प्रतिशत पानी का दोहन होता है।

Posted By: Inextlive