उत्तरकाशी की दुर्गम केलसु घाटी स्थित इंटर कॉलेज भंकोली में तैनात रहे 27 वर्षीय एक टीचर की स्कूल से विदाई पर पूरा गांव रो पड़ा.

- उत्तरकाशी के एक रिमोट स्कूल में तैनात टीचर का विदाई समारोह बना प्रदेश में चर्चा का विषय

- टीचर के विदाई समारोह में रो पड़ा पूरा गांव, सबकी जुबां पर एक ही बात हमें छोड़कर मत जाओ मास्टरजी

- गांव का हर परिवार मानता है 27 वर्षीय टीचर आशीष को अपना बेटा, सुख-दुख का साथी रहा आशीष

देहरादून (ब्यूरो)। लेक्चरर में सिलेक्शन होने के बाद आशीष डंगवाल को दूसरे स्कूल में पोस्टिंग मिली, ग्रामीणों ने गाजे-बाजों के साथ आशीष को विदा तो किया लेकिन इस दौरान बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक सबकी आंखों में आंसू थे। सिर्फ 3 वर्ष की तैनाती में ही आशीष ने इलाके के हर शख्स का दिल जीत लिया था। सोशल मीडिया पर आशीष की विदाई की तस्वीरें दिन भर वायरल होती रहीं।

आशीष के विदाई समारोह पर हर आंख नम
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 18 किमी रोड व साढ़े 4 किमी पैदल दूरी पर है राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली, यहां तैनात रहे एलटी टीचर टीचर आशीष डंगवाल की विदाई पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया। आशीष का लेक्चरर में प्रमोशन होने के बाद विदाई के मौके पर गांव के हर शख्स की आंखों में आंसू थे। बच्चे आशीष से लिपट-लिपट रोते-बिलखते दिखे, इलाके की बुजुर्ग महिलाएं आशीष को गले लगाकर लगातार रोती रहीं सबकी जुबान पर एक ही बात थी मास्टरजी हमें छोड़कर मत जाओ। आखिरकार ढोल-दमाऊ के साथ आशीष को ग्रामीणों ने विदा किया।

3 वर्ष में आशीष बन गया गांव का बेटा
मूलरूप से रुद्रप्रयाग के रहने वाले आशीष डंगवाल का 3 वर्ष पहले एलटी सामाजिक विज्ञान विषय में राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली में तैनाती हुई। आशीष ने दून स्थित डीएवी पीजी कॉलेज के ग्रेजुएट हैं। रिमोट एरिया में पोस्टिंग हुई तो महज तीन साल में मिलनसार व्यवहार के कारण आशीष पूरे गांव के बेटा बन गया। लोगों के सुख-दुख में आशीष साथ रहता। स्कूल टाइम पर बच्चों पर पूरा फोकस करने के बाद आशीष गांव वालों के साथ खेती-बाड़ी में भी हाथ बंटाता। दो वर्ष पहले पिता का साया सिर से उठ गया, पिता की एक बात आशीष को हमेशा याद रही, कि कितने भी बड़े बन जाओ लेकिन अपना गांव और पहाड़ मत भूलना।

सोशल मीडिया में फोटो वायरल

रिमोट स्कूल में मिसाल बने टीचर्स

राज्य के रिमोट एरियाज में टीचर्स की तैनाती एजुकेशन डिपार्टमेंट के लिए चुनौती बना हुआ है, अधिकांश टीचर्स मैदानी इलाकों में ट्रांसफर के जुगाड़ में रहते हैं। लेकिन, कुछ टीचर्स रिमोट एरियाज में रहकर भी पूरे एजुकेशन डिपार्टमेंट के लिए मिसाल बन गए हैं।

 

पर्यावरण संरक्षण में जुटे हैं रमेश

रमेश प्रसाद बडोनी सहसपुर ब्लॉक के अति दुर्गम ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज मिसरास पट्टी में तैनात हैं। स्कूल तक पहुंचने के लिए साढ़े 4 किलोमीटर पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। आरपी बडोनी को इस वर्ष राष्ट्रपति पुरस्कार मिलने जा रहा है। इस वर्ष उत्तराखंड से वे एकमात्र टीचर हैं, जिन्हें ये अवार्ड मिलेगा। वे इन्फॉर्मेशन कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी में भी भी नेशनल अवॉर्डी हैं। बडोनी ने स्कूल के पास बांज(ओक) का इको पार्क डेवलेप किया है, जिससे वे वाटर रिचार्ज करने के प्लान पर काम कर रहे हैं। बडोनी ने 'से नो टू हंगर' कैंपेन भी शुरू किया है, जिसके जरिए वे 35 फैमिलीज के बच्चों हेल्प कर रहे हैं।

 

सुनील ने जान पर खेल बचाईं दो छात्रा

पौड़ी गढ़वाल के रिखणीखाल ब्लॉक प्राइमरी स्कूल मुंडियान में बतौर सहायक अध्यापक तैनात सुनील तोमर ने हाल ही में अपनी जान पर खेलकर बरसाती नाले में बह रही दो छात्राओं की जान बचाकर मिसाल पेश की। बीते 21 अगस्त को बारिश के कारण इलाके में मंदाल नदी पर बना पुल क्षतिग्रस्त हो गया, ऐसे में स्कूल जाने के लिए नदी पार करने के दौरान दो छात्राएं कामिनी और अमिषा बहने लगीं। सुनील तोमर तुरंत मौके पर पहुंचे और नदी में छलांग लगाकर दोनों को बचा लिया।
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Posted By: Inextlive