- यूपीसीएल की ओर से पांच सौ में से तीन सौ मामले पाए गए सही

- हालांकि शिकायत कर गायब हुए लोग

देहरादून,

बिजली चोरी की इनफॉर्मेशन देने वालों के लिए यूपीसीएल द्वारा रिवार्ड स्कीम शुरू की गई थी, लेकिन कंप्लेनर का रिवार्ड कंपनी खुद हड़प गई। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब हकीकत खंगाली तो पता चला कि स्कीम शुरू होने से अब तक केवल चार लोगों को बिजली चोरी पकड़वाने पर रिवार्ड दिया गया है। जबकि, तीन साल में करीब 500 लोगों ने बिजली चोरी की इन्फॉर्मेशन दी, जिनमें से करीब 300 सही पाई गई थी। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर कैसे गांधीगीरी की तर्ज पर स्टेट में ऊर्जागीरी होगी और लाइनलॉस रुकेगा। यूपीसीएल के एमडी से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वे नहीं जानते कितने लोगों को अभी तक रिवार्ड मिला।

3 साल में 500 कंप्लेन, सिर्फ 4 को रिवार्ड

लाइनलॉस और बिजली चोरी रोकने के लिए यूपीसीएल द्वारा तीन साल पहले रिवार्ड स्कीम लॉन्च की गई थी। इसमें बिजली चोरी की इन्फॉर्मेशन देने वालों को रिवार्ड देने का दावा किया गया था। इन्फॉर्मेशन देने के लिए टोल फ्री नंबर 1912 लॉन्च किया गया था। तीन साल के भीतर बिजली चोरी की 500 से ज्यादा इन्फॉर्मेशंस पब्लिक द्वारा यूपीसीएल को दी गई, हालांकि इनमें से करीब 300 मामले ही सही पाए गए थे और यूपीसीएल द्वारा बिजली चोरों के खिलाफ कार्रवरी करके रिकवरी की गई थी। लेकिन, इस ड्यूरेशन में रिवार्ड केवल 4 लोगों को ही दिया गया, जो करीब 37 हजार 566 रुपए बना।

रिवार्ड स्कीम का झोल

यूपीसीएल द्वारा बिजली चोरी की इन्फार्मेशन देने के लिए तो प्रचार-प्रसार किया गया, लेकिन रिवार्ड कैसे हासिल करना है इसे लेकर लोगों को अवेयर नहीं किया गया। यही इस स्कीम का झोल है। दरअसल अवेयरनेस की कमी के चलते लोगों ने समझा कि सिर्फ इन्फार्मेशन देने से ही उन्हें रिवार्ड मिल जाएगा, जबकि रिवार्ड के लिए क्लेम करना जरूरी है। पब्लिक को यही जानकारी बिजली कंपनियां नहीं दे रही हैं।

क्या कहता है यूपीसीएल एड्मिस्ट्रिेशन

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब यूपीसीएल एड्मिनिस्ट्रेशन से रिवार्ड की हकीकत जाननी चाहिए तो तर्क यही दिया गया कि बिना क्लेम पेश किए रिवार्ड नहीं दिया जाता। जो क्लेम करता है, उसे रिवार्ड दिया गया है। बताया कि तीन साल में चार लोगों ने ही कंप्लेन के बाद रिवार्ड क्लेम किया जिन्हें कुल 37,556 रुपए का भुगतान किया गया। दूसरा तर्क यह दिया गया कि लोग कंप्लेन करके सामने आने से कतराते हैं और गायब हो जाते हैं। उनका मकसद सिर्फ चोरी रोकना होता है, ये तर्क गले नहीं उतरता। जब कंप्लेनर की पहचान गुप्त रखी जाती है तो फिर रिवार्ड लेने से कोई क्यों कतराएगा।

ऐसे करें क्लेम प्रस्तुत

अगर आप बिजली चोरी की कोई कंप्लेन करते हो, तो सबसे पहले यूपीसीएल की विजिलेंस सेल मौके पर रेड कर कंप्लेन की पुष्टि करेगी। अगर कंप्लेन सही पाई गई तो संबंधित बिजली चोरी के आरोपी के खिलाफ एक्शन लिया जाता है और उससे जुर्माना वसूल किया जाएगा। इसके बाद कंप्लेनर रिवार्ड के लिए एप्लीकेशन यूपीसीएल को देगा, जिसमें कंप्लेनर को अपनी आईडेंटिटी प्रूफ करने के लिए आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट की कॉपी जमा करनी होगी। इसके बाद उसे चेक के जरिए रिवार्ड की राशि दी जाएगी।

रिवार्ड ऐसे होता है काउंट

बिजली चोरी के आरोपी से जुर्माना वसूली के बाद ही रिवार्ड पे किया जाता है। आरोपी से जुर्माने की जो रकम वसूली जाती है उसका 10 परसेंट कंप्लेनर को रिवार्ड दिया जाता है, लेकिन रिवार्ड की राशि 50 हजार रुपए से ज्यादा नहीं हो सकती।

--

लोग ऐसे मामलों में कंप्लेन करके ही भूल जाते हैं, वे रिवार्ड क्लेम ही नहीं करते। कंप्लेनर को ढूंढना भी काफी मुश्किल होता है, वे अपनी आईडेंटिटी छिपाते हैं। ऐसे में रिवार्ड प्राप्त करने वालों की संख्या काफी कम है। लेकिन, अब लोगों को अवेयर किया जाएगा।

- बीसीके मिश्रा, एमडी, यूपीसीएल

Posted By: Inextlive