आज की भागदौड भरी जिंदगी अपने शरीर पर और स्‍वास्‍थ्‍य पर लोग कम ही ध्‍यान देते हैं। ऐसे में कब कौन सी बीमारी शरीर में लग जाए और फांइनेसियल कंडीशन को हिलाकर रख दे कुछ पता नहीं। कई बार तो ऐसा भी हो जाता है कि बड़ी बीमारियां लग जाती हैं तो पैसे की कमी से ठीक उपचार नहीं मिल पाता है। बस यहीं पर जरूरत होती हैं हेल्‍थ्‍ा इश्‍योरेंस प्‍लान की। ये हेल्‍थ्‍ा इश्‍योरेंस प्‍लान से काफी मदद करते हैं। जिससे कई बार इंसान की जिंदगी बचाने में इनकी अहम भूमिका होती हैं लेकिन कई बार तो ऐसा होता है कि लोग हेल्‍थ इश्‍योरेंस प्‍लान तो लोग ले लेते हैं उन्‍हें इसकी जानकारी नहीं होती हैं। ऐसे में आइए जानें हेल्‍थ इश्‍योरेंस प्‍लान लेने से पहले ध्‍यान देने योग्‍य बातें...


मैक्िसमम कवरेज प्लान:हेल्थ इश्योरेंस प्लान लेते समय मैक्िसमम कवरेज एमाउंट पर फोकस करना जरूरी होता है।  ये देखना होता है कि आप जिस कंपनी का हेल्थ इश्योरेंस प्लान ले रहे हैं।  उसमें कितना कवरेज एमाउंट दिया जा रहा है।  अक्सर कई सारी कंपनियां हार्ट सर्जरी में 4 लाख तक का एमाउंट इश्यू करती हैं।  वहीं टाटा एक आईजी, अपोलो मुनीच, बजाज एलियांज, जैसी कई सारी कंपनियां 10 लाख से 50 लाख तक का मैक्िसम कवरेज प्लान प्रोवाइड करती हैं। फैमिली हेल्थ इश्योरेंस प्लान:सिंगल हेल्थ प्लान की अपेक्षा फैमिली हेल्थ प्लान ज्यादा बेहतर होते हैं।  अगर आपके पास फैमिली है यह तो आप फैमिली को ध्यान में रखकर स्कीम का चयन करें।  यह फैमिली हेल्थ प्लान लो प्रीमियम से शुरू होता है। सही राशि का चुनाव:


जब आप सिंगल हो तब तक तो आपको कम राशि में फायदा हो जाएगा, लेकिन जब आपकी शादी होती है और करीब 40 साल की उम्र में पहुंचते हो तो उस समय अपको ज्यादा जरूरत होती है।  आपका परिवार भी आपसे ही जुड़ा होता है।  ऐसे में प्लान लेते समय अपनी आगे की उम्र और जरूरत को ध्यान में जरूर रखें। बीमारी का जल्दी कवरेज:

कई सारी कंपनियां बड़ी बीमारियों का कवेरज देने में कई साल लगाती हैं। उन्हें लगभग कवरेज देने में करीब 3 से 4 साल का समय लगता है।  हालांकि कई सारी कंपनियां ऐसी हैं जो अपने हेल्थ इश्योरेंस प्लान के तहज 10 लाख तक का कवरेज जल्द 2 साल में भी दे देती हैं।  ऐसे में इस बात का ध्यान जरूर रखें। प्लान का रिनूवल:कई बार प्लान लेते समय लोग अपने भविष्य को यानि को वृद्धावस्था को ध्यान में नहीं रखते हैं।  ऐसे में हमेशा प्लान लेते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप जिस कंपनी का प्लान ले रहे हैं उसमें रिनूवल यानि की नवीनी करण है या नहीं।  आप उस कंपनी का प्लान ले जिसमें 65 साल की उम्र के बाद 75 साल की उम्र तक का नवीनीकरण हो सके। कंपनी की पॉलिसी ठीक से पढ़ें:जिस कंपनी का प्लान आप ले रहे हों उसे सिर्फ एजेंट के कहने पर भरोसा न करें।  आप प्लान लेते समय थोड़ा वक्त निकालकर काफी बारीकी से हर एक बिंदु को ध्यान से पढ़ें।  उसके बाद संतुष्ट होने पर ही स्कीम लें। दूसरे पॉलिसी से करें कंपेयर:

पॉलिसी लेने से पहले मार्केट की दूसरी कपंनियों की पॉलिसी को एक दूसरे से कंपेयर जरूर करें।  इसके बाद डिसाइड करें कि किस कंपनी की पॉलिसी में क्या सुविधाएं और किसकी पॉलिसी आपके लिए बेहतर होगी।हॉस्पिटल कवरेज नेटवर्क:इंश्योरेंस लेते समय यह ध्यान देना जरूरी है कि आप जिस कंपनी से इंश्योरेंस करा रहे हैं उसका हॉस्पिटल कवरेज नेटवर्किंग कैसा है।  इसके तहत किन हॉस्पिटल की सर्विस आपको मिल सकती है।  आपके एरिया के हॉस्िपटल इस कंपनी के तहत अटैच है या नहीं। किन बीमारियों में लाभ:कई सारी कंपनियां शुरू के सालों में कई बीमारियों के इलाज का कांट्रैक्ट करती हैं।  जिनमें कई सारी बड़ी बीमारियां गैस्ट्रिक, अल्सर, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट आदि शामिल होती हैं।  इसके अलावा वहीं कुछ कंपिनयां अक्सर होने वाली बीमारियों जैसे डेंटल ट्रीटमेंट,कॉस्मेटिक सर्जरी,ओबेसिटी आदि बीमारियों तक में लाभ देती हैं। एक्सीडेंट कवरेज:कई सारी कंपनियों का एक्सीडेंट कवरेज काफी अलग अलग है।  जिससे इसके तय कर पाना काफी मुश्किल है।  जिसमें इन पॉलीसीज में सेवेरल क्रिटिकल एक्सीडेंट कवरेज वाला प्रावधान अपनाया जाता है।  जिसमें एक्सीडेंट के मुताबिक तय होता है। नो क्लेम बोनस:कई बार कई सारी कंपनियां नोक्लेम बोनस भी ऑफर प्रोवाइड करती हैं। जी हां अगर आपने कोई क्लेम नहीं लिया है तो यह पुरस्कार प्रीमियम राशि में छूट दे कर या बीमा कवरेज की राशि बढ़ा कर दी जाती है। अलग अलग लिमिटेशन:
हर इंश्योरेंस कपंनी के एक ही प्लान के अलग अलग नियम होते हैं।  जिससे हर एक प्लान की एक लिमिट तय होती है।  ऐसे में आप जो भी स्कीम ले रहें हैं सबसे पहले उसकी लिमिट जरूर समझ लें। हॉस्िपटल लिमिटेशन:हेल्थ इंश्योरेंस में हास्िपटल सर्विस में एक सीमा तय होती है।  जैसे बेड चार्ज 1500 रुपये प्रतिदन, ऐसी ही और भी कई सारी लिमिट होती हैं। हाई क्लेम सेटलमेंट:अगर कोई कंपनी 100 का क्लेम रिसीव करती है तो और 90 सेटल करने के बाद 10 रिजेक्ट करती  है तो इसका मतलब है कि कंपनी ने आप को 90 प्रतिशात का क्लेम दे रही है।  ऐसे में आपके लिए बेहतर है कि कंपनी जितना कम क्लेम रिजेक्ट करेगी।  एलआईसी, एचडीएफसी, जैसी कई सारी कंपनियां हाई सेटलमेंट दे रही हैं।

Hindi News from Business News Desk

Posted By: Shweta Mishra