- हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा रोक लगाने के लिए सरकार की मदद से बने एसवीयू टीम

-तीन विभागों में पदों की संख्या बढ़ाने और नए विभाग खोलने पर चार सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश

- अदालत ने कहा, नर्सो की करें वैकल्पिक व्यवस्था

- सरकार को निर्देश, रिम्स के आवेदन पर जल्द लें निर्णय

रांची : हाई कोर्ट में रिम्स को लेकर हुई सुनवाई के दौरान रिम्स निदेशक डॉ। डीके सिंह ने माना कि यहां के चिकित्सक निजी प्रैक्टिस करते हैं। उनके पास ऐसी कोई प्रणाली नहीं है कि ड्यूटी के बाद वो क्या करते हैं, उसे चेक किया जा सके। यहां के चिकित्सक निजी प्रैक्टिस नहीं करने का शपथ पत्र तो देते हैं, लेकिन इसके बाद भी वो निजी प्रैक्टिस करते हैं। इस पर रोक लगाने के लिए सरकार को विशेष विजिलेंस यूनिट (एसवीयू) बनाने में मदद करनी चाहिए।

गंभीर है मामला

शनिचर उरांव की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने मंगलवार को कहा कि रिम्स के चिकित्सकों का निजी प्रैक्टिस करना गंभीर मामला है। नन प्रैक्टिस एलॉवेंस (एनपीए) लेने के बाद भी चिकित्सक निजी प्रैक्टिस करते हैं। इसे हर हाल में रोका जाना चाहिए। इसके लिए सरकार आवश्यक कदम उठाए और विशेष विजिलेंस यूनिट बनाने पर तुरंत निर्णय ले। इसके अलावा अदालत ने राज्य सरकार को रिम्स के तीन विभागों में पदों की संख्या बढ़ाने और नए विभाग खोलने पर चार सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई सात सप्ताह बाद होगी।

बने विजिलेंस टीम

हाई कोर्ट के आदेश पर रिम्स निदेशक अदालत में उपस्थित हुए थे। उन्होंने बताया कि लखनऊ के केजीएमयू की तर्ज पर सरकार की ओर से दो साल के लिए विशेष विजिलेंस यूनिट बनाई जाए, जो स्वतंत्र रूप से निजी प्रैक्टिस करने वालों पर नजर रखे। इसके बाद निजी प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों पर कार्रवाई की जा सकेगी।

आवेदन सरकार के पास लंबित

रिम्स की ओर से अदालत को बताया कि रिम्स के चेस्ट, टीबी और मानसिक रोग विभाग में पदों की कमी है। पद की संख्या बढ़ाने के लिए वर्ष 2016 में ही सरकार को अनुशंसा भेजी दी गई थी। कार्यवाही नहीं होने पर सरकार को रिमाइंडर भी भेजा गया है, लेकिन अभी तक इस पर निर्णय नहीं हो पाया है। इसके अलावा रिम्स में पांच नए विभाग खोलने का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भेजा गया है। केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को एमसीआइ को भेज दिया है। एमसीआइ की टीम रिम्स का दौरा करेगी और उसके बाद नए विभागों को खोलने की प्रक्रिया प्रारंभ होगी।

नियोजन नीति में फंसी नर्सो की नियुक्ति

अदालत को बताया गया कि रिम्स में नर्सो की नियुक्ति को लेकर अप्रैल 2019 में विज्ञापन निकाला गया था। परीक्षा सहित अन्य सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। लेकिन वर्ष 2018 में सरकार के एक संकल्प के तहत तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पद यहां के स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित हैं। विज्ञापन में इसका जिक्र नहीं होने के चलते संभावना है कि बाहरी अभ्यर्थियों ने भी आवेदन किया होगा। इसलिए परीक्षा का परिणाम जारी नहीं किया जा रहा है। सरकार के इस संकल्प को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है, जो लंबित हैं। इस पर अदालत ने रिम्स निदेशक को निर्देश दिया कि जब तक नर्सो की नियुक्ति के मामले का हल नहीं निकल जाता है, तब तक नर्सो की अंतरिम व्यवस्था की जाए।

रिम्स की दर पर मिलेगी मरीजों को दवा

अदालत को बताया कि ऐसी शिकायत मिलती है, कि रिम्स भर्ती मरीजों के परिजनों से दवा और उपकरण के ज्यादा पैसे वसूले जाते हैं। इस पर रोक लगाने के लिए एसजीपीजीआइ, लखनऊ की तर्ज पर एक ऐसी प्रणाली बनाई जा रही है जिसके तहत रिम्स में ही इलाज कराने वाले मरीजों को दवा व उपकरण रिम्स द्वारा निर्धारित दर पर ही उपलब्ध कराई जा सके। इसके लिए टेंडर जारी कर दिया गया है। दस सप्ताह में इसकी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

Posted By: Inextlive