क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ : आयुष्मान भारत योजना का लाभ मरीजों को तो मिल रहा है, लेकिन इलाज में हुए खर्च को लेकर क्लेम करने के मामले में बड़े हॉस्पिटल्स पीछे रह जा रहे हैं. इस मामले में राज्य का सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स भी शामिल है. दरअसल, यहां आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर्स को क्लेम के मामलें में कागजी प्रक्रियाओं को पूरा करने में बहुत दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं. यही वजह है कि ऑपरेशन के बाद मरीज यहां से जा चुका है, फिर भी वे संबंधित विभाग को सभी पेपर्स उपलब्ध नहीं करा रहे हैं.

बीमारियों के हिसाब से पैकेज

सरकार ने कुछ बीमारियों को छोड़ सभी बीमारियों को आयुष्मान योजना के अंतर्गत शामिल कर दिया है. वहीं हर बीमारी के हिसाब से इलाज और दवा का पूरा पैकेज भी तय है. इसके अलावा अगर कुछ खर्च बढ़ता है तो इसकी भरपाई सरकारी हॉस्पिटल प्रबंधन कर रहे है ताकि किसी भी हाल में मरीजों का इलाज प्रभावित न हो.

रिम्स : नोडल अफसर को नहीं मिली फाइलें

राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल में हर दिन इलाज के लिए लगभग दो हजार मरीज आते है. वहीं, 14-15 सौ मरीज इनडोर में भी होते है. जिसमें से न्यूरो, आर्थो, सर्जरी, कार्डियक, यूरोलॉजी के मरीजों का इलाज हो रहा है. आयुष्मान योजना के आने के बाद इन विभागों में मरीजों को भले ही इसका लाभ मिल रहा है. लेकिन, क्लेम के लिए फाइलें अबतक नोडल ऑफिसर को नहीं मिली है. आयुष्मान के तहत अबतक 300 से अधिक आपरेशन रिम्स में किए जा चुके है लेकिन क्लेम मात्र 70 का ही हुआ है.

सदर : 3 हजार में 1900 का मिला क्लेम

देशभर में आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत 24 सितंबर 2018 को हुई थी. इसके बाद से राशन कार्ड होल्डर्स सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटलों में जाकर गोल्डन कार्ड की मदद से इलाज करा रहे है. ऐसे में सदर हॉस्पिटल ने रिम्स समेत सभी प्राइवेट हॉस्पिटलों को पछाड़ दिया है. सदर में अबतक अलग-अलग बीमारियों में तीन हजार मरीजों का ऑपरेशन किया जा चुका है. जिसमें से 1900 मरीजों का क्लेम भी हॉस्पिटल प्रबंधन को मिल गया है.

Posted By: Prabhat Gopal Jha