-20 सालों से डूबी है 22 गांवों की 50,000 एकड़ जमीन

-12000 दलित-मुस्लिम परिवार बर्बादी के कगार पर

-सरकार से मुआवजे की मांग कर रही समिति

PATNA : जिस नदी से लोगों की जीविका चलती थी और गांव लहलहाती फसलों से समृद्ध थे आज वही नदी अभिशाप बन गयी है। यह दास्तां है सीवान जिला अंतरर्गत बड़हरिया प्रखंड के पचराठा व आस-पास के गांवों की। दरअसल भारत सरकार और नेपाल सरकार के बीच पनबिजली के लिए किए गए समझौते के बाद छोटी गंडकी यानि गंडेरी नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। इस समझौते के बाद से इस नदी में अत्यधिक बालू और गाद जमा हो जाने के कारण इसका पानी आस-पास के कई गांवों में फैल गया है। नतीजा यह है कि यहां का संपन्न खेतिहर क्षेत्र बंजर हो गया है। इस बात की जानकारी छोटी गंडकी नदी अभियान के मुख्य संयोजक व सामाजिक कार्यकत्र्ता संजीव श्रीवास्तव ने दी।

क्या है पूरा मामला

छोटी गंडकी नदी गोपालगंज के हीरापाकड़ से मांझा होते हुए आने वाली नहर चांचोपाली के पास गिरती है। जिसका पानी व गाद यहां से गुजरने वाली गंडेरी नदी में गिरता है। गाद के कारण गंडेरी नदी का पानी निकलना ख्0 साल से बंद है। इससे ख्ख् गांवों की भ्0 हजार एकड़ जमीन जलमग्न है। अब खेती नहीं हो पाती है और जीविकोपार्जन के लिए इनके समक्ष कोई विकल्प नहीं है। बारिश के दिनों में लोगों का घर-द्वार डूब जाता है। घर की महिलाओं को छह माह तक रिश्तेदारों के पास छोड़ देना पड़ता है। मानसून सिर पर है और गांव का डूबना फिर तय है।

खेती हो गई है चौपट

इससे प्रभावित गांव के लोगों ने बीआईए ऑडिटोरियमम में अपनी आपबीती सुनायी। इससे प्रभाववित चेहरों में रामेश्वर सिंह ने कहा कि छोटी गंडकी नदी के प्रोजेक्ट के बाद से छोटी गंडेरी नदी मुसीबत बन गई है। इसके तलहटी में बालू और शिल्ट जमा हो गया है। इससे आस-पास की सैंकड़ों एकड़ जमीन खेती योग नहीं रह गया है। समिति की अध्यक्ष समीना खातून ने कहा कि परियोजना के बाद से इसका दंश सैंकड़ों गांव वाले सालो-साल झेल रहे हैं।

नेताओं ने नहीं ली सुध

खेती वाली जमीन पर गाद और बालू भर गया है। रबी की फसल भी नहीं होती है। खेत में पानी जमा रहता है। छोटी गंडकी नदी अभियान के सदस्य रामेश्वर सिंह ने बताया कि इस बारे में सीवान के सांसद ओम प्रकाश यादव को कई बार पत्र लिखा गया है लेकिन कोई इसे गंभीरता से नहीं लेता।

मुआवजा दिया जाए

आंदोलन के मुख्य संरक्षक संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि बीते ख्0 साल से सीवान जिले के सैंकड़ों गांव छोटी गंडकी नदी से प्रभावित हैं। इस बदहाल स्थिति के लिए सरकार जिम्मेवार है। परियोजना के इंजीनियरों को पैसा मिल रहा है लेकिन गांव वाले भुखमरी के हालात में आ गए हैं। सरकार को इसका मुआवजा देना होगा। उन्होंने कहा कि संघर्ष समिति इस मामले को लेकर गांधीवादी तरीके से आंदोलन करेगी।

Posted By: Inextlive