- करोड़ों खर्च कर बनाए गए रिवरफ्रंट का बुरा हाल

- टाइल्स टूटीं, लाइट खराब और चारों ओर फैली भीषण गंदगी

- सीएम के आदेश के बावजूद नाले नहीं हो सके टैप, नदी में गंदा पानी गिरना जारी

LUCKNOW :

सरकारी धन की बेकद्री किस तरह होती है, इसकी बानगी देखनी हो तो गोमती रिवरफ्रंट चले जाइये। डेढ़ हजार करोड़ रुपये की लागत वाला अखिलेश सरकार का यह ड्रीम प्रोजेक्ट फिलवक्त अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है। उद्घाटन के वक्त लखनऊ की शान बताया गया रिवरफ्रंट का हाल देखरेख के अभाव में बेहद बुरा हो गया है। टूटी टाइलें, उखड़ी लाइट्स और बंद फव्वारे इसकी हालत खुद-ब-खुद बयां कर रहे हैं। उस पर भीषण गंदगी इसकी दुर्गति पर चार चांद लगा रही है। यही वजह है कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल के दौरान अपनी चमक-दमक के चलते राजधानी का नया पिकनिक स्पॉट बन चुके रिवरफ्रंट से एक बार फिर राजधानीवासियों ने मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है। बदहाली पर जिम्मेदार अधिकारी चल रही घोटाले की जांच का बहाना बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं।

खूबसूरती देखने जुटते थे लखनवाइट्स

अखिलेश सरकार के वक्त गोमती रिवरफ्रंट का काम बेहद तेजी से शुरू हुआ। शुरुआत में इसकी लागत 656 करोड़ रुपये आंकी गई लेकिन, लागत बढ़ते-बढ़ते 1513 करोड़ रुपये जा पहुंची। इस प्रोजेक्ट के तहत चौक स्थित पक्का पुल से पिपराघाट तक नदी के दोनों ओर डायाफ्रॉम वॉल और गोमती बैराज से लामार्ट तक दो किलोमीटर रिवरफ्रंट बनाया गया। रिवरफ्रंट में पेड़, पौधे, खूबसूरत लॉन, परमानेंट व मौसमी फूलों की क्यारियां, साइकिल ट्रैक, वॉकिंग प्लाजा और रंगीन लाइट वाले फव्वारे लगाए गए। अखिलेश सरकार के कार्यकाल के दौरान रिवरफ्रंट की खूबसूरती देखते ही बनती थी। हर रोज शाम को रिवरफ्रंट की खूबसूरती का दीदार करने के लिये हजारों लखनवाइट्स जुटते। पब्लिक के रिस्पॉन्स को देखते हुए 45 करोड़ रुपये की लागत से फ्रांस से फव्वारा मंगाया गया, जिसके चलने पर लेजर लाइट के जरिए लखनऊ के मॉन्यूमेंट्स की तस्वीर बनती। इसके अलावा लोगों को गोमती नदी में सैर कराने के लिये वॉटर बस भी मंगाई गई।

सत्ता बदलते ही अधिकारियों ने मुंह मोड़ा

सरकार बदलते ही रिवरफ्रंट में घोटाले की आंच आने पर यहां का काम देख रहे सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने इस ओर से मुंह मोड़ लिया। नतीजतन, करोड़ों की लागत से बना रिवरफ्रंट बदहाली का शिकार होने लगा। गुरुवार को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट टीम ने रिवरफ्रंट का दौरा किया तो हैरान कर देने वाली हकीकत सामने आई। रिवरफ्रंट में लगी महंगी लाइट्स उखड़ रही हैं तो यहां जुटने वाले लोगों द्वारा फैलाई गई गंदगी इसकी खूबसूरती को मुंह चिढ़ा रही थी। देखरेख के अभाव में तमाम जगह टाइल्स या तो उखड़ चुकी हैं या फिर टूटने की कगार पर हैं। इतना ही नहीं, करोड़ों की लागत से लगाए गए फव्वारों को भी बंद कर दिया गया है। रात में होने वाली लाइटिंग भी फिलहाल रोक दी गई है। हालत देख साफ पता चल रहा था कि रिवरफ्रंट की ओर अधिकारियों ने देखना ही बंद कर दिया। इतना ही नहीं, कुछ दिन चली वॉटर बस भी अब गोमती किनारे खड़ी कर दी गई है।

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7 नाले अब भी उगल रहे गंदगी

गोमती नदी में कुल 29 नाले गिरते हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने सरकार की कमान संभालने के बाद रिवरफ्रंट का दौरा किया और गोमती नदी में गिर रहे नालों को डायवर्ट न करने पर सख्त नाराजगी जताई। हालांकि, आठ महीने से ज्यादा का वक्त गुजरने के बाद भी सभी नाले टैप या डायवर्ट नहीं किये जा सके। नतीजतन, अब भी सात बड़े नाले गोमती नदी में गंदगी उगल रहे हैं और उसका पानी प्रदूषित होने का सिलसिला जारी है। लखनऊ यूनिवर्सिटी के भूगर्भ विज्ञान विभाग ने गोमती नदी के पानी की जांच में पाया कि रिवरफ्रंट के निर्माण के वक्त से भी चार गुना ज्यादा वर्तमान में पानी प्रदूषित है। हैरानी की बात है कि पानी के प्रदूषण का स्तर समय के साथ बढ़ता ही जा रहा है। इतना ही नहीं, करोड़ों रुपये खर्च कर साफ की गई गोमती नदी में जलकुंभी एक बार फिर अपनी जड़ें जमाने लगी है। प्रदूषण की वजह से रिवरफ्रंट जाने वाले लोगों का नदी से उठती दुर्गध से भी दो-चार होना पड़ रहा है।

वर्जन

रिवरफ्रंट मामले की जांच की वजह से फिलहाल काम को लेकर निर्णय-अनिर्णय की स्थिति है। शासन को स्थिति से अवगत कराया गया है। मंजूरी मिलते ही आगे का काम कराया जाएगा।

- अविनाश मिश्रा, एग्जिक्यूटिव इंजीनियर, शारदा सहायक

वर्जन

रिवरफ्रंट घोटाले की जांच की वजह से सिंचाई विभाग द्वारा नदी के किनारे पाइपलाइन डालने का काम रुका हुआ है। यह काम पूरा होने पर सभी नाले टैप कर डायवर्ट कर दिये जाएंगे। यह काम कब तक पूरा होगा इसकी जानकारी सिंचाई विभाग ही दे सकता है।

- बीएन यादव, जीएम, गोमती प्रदूषण नियंत्रण इकाई

Posted By: Inextlive