- ज्योतिष गणना के मुताबिक आगामी 21 जून तक बरेली में हृदयविदारक दुर्घटना के आसार

- 21 जून से 11 जुलाई तक रहेगी राहत, फिर षडाष्टक के अशुभ योग की रहेगी दहशत

ज्योतिष गणना के मुताबिक आगामी ख्क् जून तक बरेली में हृदयविदारक दुर्घटना के आसार

- ख्क् जून से क्क् जुलाई तक रहेगी राहत, फिर षडाष्टक के अशुभ योग की रहेगी दहशत

BAREILLY:

BAREILLY:

पिछले करीब क्0 दिनों में क्रमिक रूप से घट रही दुर्घटनाओं की वजह सिर्फ लापरवाही ही नहीं, बल्कि यह क्रूर ग्रहों द्वारा बन रहे समसप्तक योग का भी प्रभाव है। ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक बरेली, समसप्तक क्रूर योगों का केंद्र बना हुआ है। ऐसे में, शनि की वक्री दृष्टि का प्रभाव बरेली पर सर्वाधिक है। उन्होंने आगामी ख्क् जून तक यह क्रमिक दुर्घटनाएं घटित होने की संभावना जताई है। साथ ही, वृष राशि के जातकों समेत बरेली के स्थायी और अस्थायी निवासियों को भी बजरंग बली और शनि के पूजन की सलाह दी है। ताकि वक्री दृष्टि का प्रभाव कुछ कम हो सके।

बन रहा समसप्तक योग

ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक बरेली की वृष राशि शनि की ढैया के विशेष प्रभाव में है। शनि का अग्नितत्व राशि धनु में वक्री है और मेष के अग्नितत्व से गोचर कर रहा है। साथ ही, सूर्य ग्रह पहले से वृष राशि में विराजमान है। वहीं, शनि मिथुन राशि में ख्7 मई को प्रवेश कर रहा है, जो शनि के पक्ष में समसप्तक योग बनना अशुभ कारक योग बना है। जिसे ज्योतिष दुर्घटनाओं का योग बता रहे हैं। बताया कि ख्क् जून को शाम ब्.फ्9 बजे शनि वापस वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा। फिर क्क् जुलाई को फिर मंगल में शनि का प्रवेश होगा, जिससे षडाष्टक अशुभ संयोग हो रहा है, जिसके बाद वृष यानि बरेली शनि की ढैया से मुक्त हो जाएगी।

शनि और मंगल का क्रूर प्रभाव

बरेली शहर शनि की ढैया के प्रभाव में होने के कारण यहां कई दुर्घटनाएं हो रही हैं। ज्योतिष विश्लेषण के मुताबिक इस सम्वत्सर का राजा मंगल है, जो क्रूर ग्रह है, जिसके प्रभाव से प्राकृतिक आपदा, अग्निकांड, बेतहाशा गर्मी और बीमारियों का प्रकोप रहता है। वहीं, बरेली पर शनि की ढैया चल रही है, जिसके चलते मंगल एवं राहू का विशेष प्रभाव यानि क्रूरता दिखाई दे रही है। मंगल दुर्घटना का कारक है और घटनाओं को क्रमिक रूप देता है। जब दोनों ही प्रभावी हैं तो घटनाएं क्रमिक रूप से हो रही हैं। वहीं, मंगल ग्रह का जल तत्व की राशि कर्क 'जो मंगल की नीच राशि है' में आना भी उथल पुथल मचाने का संकेत देता है।

आखिर बरेली ही क्यों

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि बरेली का पहला शब्द 'ब' है, जो वृष राशि का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिष के मुताबिक अक्षांश और देशांतर रेखा की ज्योतिष गणना के आधार पर बरेली शनि की वक्री दृष्टि का केंद्र क्षेत्र बना है, जिसके चलते यहां सर्वाधिक क्रमिक दुर्घटनाएं हो रही हैं, जिससे बरेली में रहने वाले वृष राशि के निवासी और बरेली से गुजरने वाले वृष राशि के जातक स्वत: इसके प्रभाव में आएंगे।

बरेली पर वक्री शनि व अन्य क्रूर ग्रहों का वक्री दृष्टि होने से यहां दुर्घटनाओं क्रमिक रूप से हो रही हैं। जातक बजरंगबली का पूजन शनि दोष के उपाय करें।

पं। राजीव शर्मा, ज्योतिषाचार्य, बालाजी ज्योतिष संस्थान

Posted By: Inextlive