रांची: शहर के लोगों पर रोड टैक्स की मार इतनी गहरी पड़ रही है कि सिटी में नई कारें गायब होने लगी हैं. शोरूम से कार खरीदने वालों की संख्या काफी कम हो गयी है. इतना ही नहीं जिनके पास एक गाड़ी है उन्हें अब दूसरी गाड़ी खरीदने के लिए कई बार सोचना पड़ रहा है. सरकार की ओर से नए रोड टैक्स लागू होने के बाद ग्राहकों के साथ शोरूम संचालकों में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है. शोरूम मालिकों का कहना है कि नए नियम को इतना जटिल बना दिया गया है कि इसे समझने में ही एक वर्ष से ज्यादा का समय लगेगा. वहीं, इससे ग्राहकों के लिए अब नई कार खरीदना महंगे का सौदा साबित हो रहा है. जिनके पास पहले से ही एक गाड़ी है, दूसरी गाड़ी खरीदने पर अब उन्हें छह की जगह नौ प्रतिशत रजिस्ट्रेशन शुल्क देना पड़ रहा है. इसका असर गाडि़यों की बिक्री पर भी पड़ा है. पिछले तीन महीने में चार पहिया वाहनों की सेल में 20-25 फीसदी की गिरावट आई है.

15 लाख से ऊपर की, ना बाबा

नए नियम में विभाग की ओर से निजी और व्यावसायिक गाडि़यों के रोड टैक्स, रजिस्ट्रेशन फीस और फिटनेस टैक्स में बढ़ोतरी कर दी गई है. 15 लाख रुपए से ऊपर की गाड़ी खरीदने पर छह फीसदी रोड टैक्स के बाद तीन फीसदी एक्स्ट्रा टैक्स लिया जा रहा है. अभी तक निजी वाहनों पर रोड टैक्स की गणना जीएसटी समेत मूल्य पर होती थी, अब यह गणना जीएसटी रहित मूल्य पर की जा रही है 12 साल या इससे ज्यादा पुराने व्यावसायिक वाहन और 15 साल से पुराने निजी वाहनों से 10 फीसदी हरित कर भी नए नियम में जोड़ा गया है.

रजिस्ट्रेशन में आयी भारी कमी

इस साल अप्रैल माह में रांची में 8,895 गाडि़यों का रजिस्ट्रेशन हुआ है, जबकि पिछले साल अप्रैल में 9,427 गाडि़यों का रजिस्ट्रेशन हुआ था. जिला परिवहन विभाग के आंकड़े के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस वर्ष कार के रजिस्ट्रेशन में कमी आई है. इस वर्ष फरवरी में 1222, मार्च में 1267 और अप्रैल में 1616 निजी कारों का रजिस्ट्रेशन हुआ है, जबकि इसी दौरान 47, 37 और 66 व्यवसायिक कार का निबंधन हुआ है.

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क्या कहते हैं क्षेत्र से जुड़े लोग

टैक्स में बदलाव के बाद गाडि़यों की बिक्री में 25-30 फीसदी की कमी आई है. अलग-अलग टैक्स लगा है, फिलहाल तो इसे समझने में ही समय लग रहा है.

- राकेश कुमार सिंह, सीनियर सेल्स मैनेजर, प्रेम संस मोटर्स

नए टैक्स के बाद लोगों की परेशानी बढ़ी है. जिनके पास पहले से एक कार है, ऐसे ग्राहक कार खरीदने से बच रहे हैं या अपने परिवार के अन्य सदस्यों के नाम से लोन ले रहे हैं.

कुंदन कुमार, सेल्स मैनेजर, दिव्यानी मोटर्स

झारखंड में अभी भी दूसरे राज्यों की तुलना में टैक्स कम है, अन्य राज्यों के टैक्स के अध्ययन के बाद ही रजिस्ट्रेशन या टैक्स में बदलाव किया गया है.

-फैज अक अहमद मुमताज, परिवहन आयुक्त

Posted By: Prabhat Gopal Jha