-मैंगो शेक, गोला और नींबू-पानी को मीठा और कलरफुल बनाने के लिए सैक्रीन और केमिकल का किया जाता है इस्तेमाल

-सेहत के लिए खतरनाक है सैक्रीन मिला जूस पीना, हो सकती हैं कई बीमारियां

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RANCHI (18 June) : तीन रुपए में नींबू-पानी और पांच रुपए में मैंगो शेक और गोला। चिलचिलाती धूप में गले को गीला करने के लिए आज सड़कों के किनारे बिक रहे ऐसे जूस जाने-अनजाने में लोग पी रहे हैं। इस जूस से लोगों को कुछ देर के लिए भले ही राहत मिल जाती है, पर जब इसकी हकीकत जानेंगे तो इसे अपने गले में उतारने से तौबा कर लेंगे। सस्ते में मिलने वाली इस जूस को मीठा और कलरफुल करने के लिए केमिकल मिलाया जाता है। ऐसे में इस मीठे जहर को पीना आपकी सेहत के लिए खतरा बन सकता है।

चीनी की जगह सैक्रीन

शहर के मेन रोड, कचहरी चौक, पुरूलिया रोड, सरकुलर रोड और रातू रोड समेत कई इलाकों में जूस की कई दुकानें हैं। इन दुकानों में जूस को मीठा करने के लिए चीनी की जगह सैक्रीन का इस्तेमाल किया जाता है। सैक्रीन एक ऐसा केमिकल है, जो जूस को चीनी से भी ज्यादा मीठा कर देता है। इतना ही नहीं ठेले पर बिकने वाली नींबू-पानी में भी पहले से ही सैक्रीन मिला होता है। जो गोला बिक रहे हैं, वह भी सैक्रीन की वजह से मीठा लगता है। मैंगो शेक के मीठापन की वजह भी सैक्रीन ही होती है।

कलर का यह है राज

ठेलों पर जो रंग-बिरंगे गोले बिक रहे हैं, उसके कलर के पीछे भी राज छिपा है। गोला और जूस को लाल, पीला, हरा, काला अथवा कत्था करने के लिए केमिकल का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। यह गोला पीना तो अच्छा लगता है, पर यह सेहत के लिए काफी खतरनाक है।

स्टूडेंट्स करते हैं ज्यादा सेवन

मैंगो शेक, गोला और नींबू-पानी की सबसे ज्यादा बिक्री ऐसे इलाकों में होती है, जहां स्टूडेंट्स ज्यादा रहते हैं। कॉलेजेज और हॉस्टल्स के आसपास ऐसे जूस की दुकानें ज्यादा होती हैं। रांची वीमेंस कॉलेज, मारवाड़ी कॉलेज और रांची कॉलेज के आसपास स्टूडेंट्स इस तरह के जूस का सेवन करते देखे जा सकते हैं। मोरहाबादी ग्राउंड में भी ऐसी दुकानें देखी जा सकती हैं। इसके अलावा शाम के वक्त कॉलनियों और मुहल्लों में ऐसे जूस के ठेले पहुंच जाते हैं। इन ठेलों से जूस पीने वालों में ज्यादातर बच्चे होते हैं।

इसलिए सस्ते में मिलता है मैंगो शेक

मार्केट में आम जब भ्0 रुपए केजी से ऊपर हो, चीनी ब्0 रुपए केजी और दूध फ्8-ब्0 रुपए लीटर बिक रहा हो, तो ऐसे में आखिर पांच रुपए में एक ग्लास मैंगो शेक कैसे मिल सकता है। आखिर इतने सस्ते में मैंगो शेक कैसे बिक रहा है, इसे जानना हर किसी के लिए जरूरी है। सच्चाई है कि मैंगो शेक बनाने के लिए पीले कलर के केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। इस केमिकल की खुशबू और स्वाद पके आम की तरह होता है। इतना ही नहीं, इसे मीठा करने के लिए चीनी की बजाय सैक्रीन मिलाया जाता है।

क् केजी सैक्रीन से 80 लीटर पानी होता है मीठा

अपर बाजार में स्थित कई दुकानों में सैक्रीन की बिक्री होती है। सैक्रीन की कीमत ब्00 से भ्00 रुपए केजी है। एक केजी सैक्रीन से करीब 80 लीटर पानी अथवा जूस को मीठा किया जा सकता है। जूस को ठंडा रखने के लिए बर्फ इस्तेमाल किया जाता है। यही वजह है कि रांची में एक ग्लास जूस मात्र दस रुपए में मिल जाता है।

पहले से तैयार कर लेते हैं जूस

अल्बर्ट एक्का चौक पर जूस बेचनेवाले एक शख्स ने बताया कि वे घर से निकलने वक्त ही जूस तैयार कर लेते हैं। जूस तैयार करने वक्त ही सैक्रीन मिला दिया जाता है। सैक्रीन को अपर बाजार में स्थित दुकान से परचेज करते हैं। एक केजी सैक्रीन की कीमत करीब पांच सौ रुपए होती है। चीनी से भी ज्यादा मीठा सैक्रीन होता है।

सेहत पर पड़ता है बुरा असर

रिम्स के मेडिसीन डिपार्टमेंट के डॉ जेके मित्रा ने बताया कि सैक्रीन मिले जूस अथवा ड्रिंक्स को पीना सेहत के लिए हानिकारक है। लांग और शॉर्ट टर्म में इसका बॉडी पर असर पड़ता है। मुंह का टेस्ट खराब होना और पेट का खराब होना जहां शॉर्ट टर्म अफेक्ट है, वहीं लंबे समय में नर्वस सिस्टम के डैमेज होने और मेमोरी पावर लॉस होने की आशंका रहती है। डायबिटिक पेशेंट्स को सैक्रीन के इस्तेमाल से बचना चाहिए।

Posted By: Inextlive