बरेली बस हादसे के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने की पड़ताल

रोडवेज की बसों में पूरी तरह से खराब हो चुकी हैं इमरजेंसी गेट

ALLAHABAD: बरेली-लखनऊ हाईवे पर चार जून की रात में ट्रक की टक्कर के बाद गोंडा डिपो की बस आग के गोला में तब्दील हो गई थी। इसमें 24 यात्री जल गए थे। यात्री इमरजेंसी गेट नहीं खोल पाए तो खिड़कियों का शीशा तोड़ बाहर निकलने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो सके। हादसे के बाद बीते दिनों दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इलाहाबाद में रोडवेज की बसों में इमरजेंसी गेट की पड़ताल की। जर्जर हो चुकी बसों में स्थिति बेहद गंभीर दिखी। बसों का इमरजेंसी गेट सिर्फ और सिर्फ शोपीस बना है। सभी गेट जाम हो चुके हैं।

चालक भी नहीं खोल सका

सिविल लाइंस डिपो में बादशाहपुर डिपो की बस खड़ी थी। यात्रियों ने इमरजेंसी गेट चेक किया। एक-एक कर चार यात्रियों ने गेट खोलने की कोशिश की, लेकिन गेट खुलना तो छोडि़ए उसकी सिटकनी भी टस से मस नहीं हुई। बस चालक भी इस प्रयास में फेल रहा। इस पर यात्रियों ने कहा कि भगवान भरोसे यात्रा कर रहे हैं साहब, वही हिफाजत करेंगे।

किसी बस में नहीं खुलता ये गेट

लखनऊ जाने के लिए चारबाग डिपो की बस खड़ी थी। इसका हाल भी बादशाहपुर डिपो की बस जैसा ही दिखा। रिपोर्टर ने इमरजेंसी गेट को खोलने की कोशिश की लेकिन सिटकनी ही नहीं हिली। यात्रियों ने कारण जानना चाहा तो बताया कि रिपोर्टर हूं। इसके बाद कई यात्रियों ने कहा कि अरे भाई इस बस में ही नहीं रोडवेज की किसी भी बस में इमरजेंसी गेट नहीं खुल सकता है। सरकार चाहे जितनी योजना बना ले।

फस्ट एड बाक्स में पोछा

चारबाग डिपो की बस के बगल में ही फतेहपुर डिपो की बस में भीषण गर्मी से तरबतर यात्री बैठे थे। इस बस के फस्ट एड बाक्स में खिड़कियों को साफ करने के लिए गंदा कपड़ा भरा हुआ था। इमरजेंसी गेट इतना ज्यादा जाम था कि उसे कोई यात्री नहीं खोल सका। कई यात्रियों ने अनुरोध पर उसे खोलने का प्रयास किया लेकिन गेट खुला नहीं। यही नहीं इमरजेंसी गेट का शीशा भी आगे-पीछे नहीं हो पा रहा था।

सरकार सिर्फ जनता से वसूलना जानती है। सुविधा कोई नहीं दी जाती। कोई हादसा हो गया तो हम लोग बेमौत मारे जाएंगे। इमरजेंसी गेट को खोलना छोडि़ए खिड़की से भी नहीं कूद सकते हैं।

रुपेन्द्र मिश्रा

हादसा हुआ तो रोडवेज की बसें जानलेवा साबित होंगी। अधिकतर बसों में फ‌र्स्ट एड बाक्स और इमरजेंसी गेट सिर्फ शोपीस बने हुए हैं। इमरजेंसी गेट को खोलना तो छोडि़ए कोई हिला भी नहीं सकता।

अनिल कनौजिया

फार्मासिस्ट की ट्रेनिंग में दस दिन से रोज बादशाहपुर से इलाहाबाद आ रहा हूं। इमरजेंसी गेट कभी किसी को खोलते नहीं देखा। हादसे के बाद जिस बस से आ रहा था, उसमें खोलने का प्रयास किया, खोल नहीं सका।

जयेश यादव

सिर्फ नाम का ही इमरजेंसी गेट है। इसे कोई नहीं खोल सकता है। सरकार का काम सिर्फ योजना बनाना ही रहता है। भगवान भरोसे यात्रा की जाती है। अब हमारी जान का वही मालिक है, मुसीबत में वही काम आएगा।

आकाश पटेल

सिविल लाइंस डिपो की किसी भी बस में ऐसी दिक्कत नहीं है। दूसरे डिपो के बारे में कुछ कहना अधिकार क्षेत्र से बाहर है। लेकिन इस बात की जानकारी संबंधित डिपो के एआरएम को दी जाएगी।

दीपक चौधरी, एआरएम सिविल लाइंस डिपो

Posted By: Inextlive