रॉबर्ट वाड्रा जमीन सौदे की जांच के लिए बनाए गए न्‍यायिक आयोग को इस मामले में कई अनछुए पहलू हाथ लगने वाले हैं. मसलन जिस जमीन सौदे की वजह से इस कमीशन का गठन किया गया है वह लैंड होल्‍डिंग के हिसाब से काफी छोटा है.


वाड्रा जमीन सौदे में खुलेंगे नए राज


दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज एस.एन. धींगरा की अध्यक्षता में वाड्रा-डीएलएफ जमीन सौदे की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन किया गया है. इस आयोग ने इस मामले की जांच शुरु कर दी है. सूत्रों के अनुसार हुडा सरकार ने गुड़गांव के सेक्टर 83 में वाड्रा समेत कई अन्य लोगों को लाइसेंस जारी किए गए थे. अगर जमीन के हिसाब से देखा जाए तो वाड्रा की कंपनियों के नाम पर इश्यू हुई जमीन अन्य पक्षों के मुकाबले काफी कम थी. हरियाणा सरकार के अर्बन प्लानिंग डिपार्टमेंट ने वर्ष 2007 से 2012 के बीच 126.9 एकड़ लैंड के 50 परसेंट हिस्से को कमर्शियल कॉलोनियों के लिए 14 लाइसेंस किए. इसके बाद अशोक खेमका ने स्काईलाइट और डीएलएफ लैंड डील को अवैध करार देते हुए म्युटेशन कैंसल कर दिया. इसके बाद से इस लैंड पर कोई भी नया लाइसेंस जारी किया गया है.

A&T को मिली ज्यादा जमीन

इस सेक्टर में A&T कंपनी को डीएलएफ की तुलना में कहीं ज्यादा जमीन मिली है. जहां डीएलएफ को सिर्फ एक लाइसेंस दिया गया है वहीं A&T को पांच लाइसेंस जारी किए गए हैं. इसके साथ ही इस जमीन के टुकड़े में कुछ क्षेत्र को रोड और हरित पट्टी के लिए भी छोड़ा गया है.

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Posted By: Prabha Punj Mishra