भारतीय बल्लेबाज राॅबिन उथप्पा ने खुलासा किया कि उनके मन में कई बार सुसाइड करने का ख्याल आया था। वह बालकनी से छलांग लगाना चाहते थे मगर उन्होंने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला।

नई दिल्ली (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा ने खुलासा किया है कि वह काफी समय तक डिप्रेशन में रहे थे। दाएं हाथ के बल्लेबाज उथप्पा ने इंग्लैंड के खिलाफ 2006 में भारत में पदार्पण किया था और उन्होंने भारत के लिए 46 वनडे और 13 टी-20 मैच खेले हैं। उथप्पा ने अपने अंतरर्राष्ट्रीय क्रिकेट की जिस तरह से शुरुआत की, वह उसे ज्यादा आगे बढ़ा नहीं सके। उनके करियर में जल्दी ही ब्रेक लग गया जिसके बाद वह डिप्रेशन में चले गए। एनएस वैहिया के सहयोग से द रॉयल राजस्थान फाउंडेशन द्वारा आयोजित 'माइंड, बॉडी एंड सोल' के दूसरे सत्र में बोलते हुए, उथप्पा ने कहा, 'जब मैंने 2006 में अपनी शुरुआत की थी, तब मैं खुद से ज्यादा जागरूक नहीं था। अभी मैं खुद के बारे में बेहद जागरूक हूं और अपने विचारों और खुद पर स्पष्ट हूं।"

बालकनी से छलांग लगाने के बारे में सोचता था

उथप्पा ने आगे कहा, 'मुझे लगता है कि आज मैं जिस जगह पर हूं, वह उन कठिन दिनों की वजह से है जिसका सामना करना मेरे लिए आसान नहीं था।' दाएं हाथ के बल्लेबाज ने आगे कहा, 'मुझे याद है 2009 से 2011 के बीच काफी डिप्रेशन में चल रहा था। मेरे मन में हर दिन सुसाइड करने का ख्याल आता था। मुझे नहीं पता था, मेरे जीवन में क्या हो रहा है और मैं किस दिशा में जा रहा हूं। मैं उन दिनों बस घर पर बैठा रहता और गिनती करने लगता, मैं सोचता था कि दौड़कर बालकनी से छलांग लगा दूं, मगर किसी तरह से खुद को रोका।'

खुद को ऐसे निकाला नकारत्मकता से

रॉबिन उथप्पा ने आगे कहा, 'जब मैंने अपने बारे में डायरी में नोट करना शुरू किया और खुद को एक व्यक्ति के रूप में समझने की प्रक्रिया शुरू की। मैंने फिर उन बदलावों की मदद लेनी शुरू की, जिन्हेंं मैं अपने जीवन में बनाना चाहता था।" राजस्थान रॉयल्स के बल्लेबाज ने आगे कहा कि उन्हेंं अपने जीवन में उन अनुभवों को लेकर कोई पछतावा नहीं है जो उनके पास हैं। "मुझे लगता है कि कभी-कभी यह नकारात्मक होता है। मैं ऐसा व्यक्ति हूं जो जीवन के संतुलन में विश्वास करता है और मेरा मानना ​​है कि हर समय सकारात्मक नहीं हो सकता। नकारात्मक होने या नकारात्मक अनुभव होने के कारण, कभी-कभी अपने स्वयं के विकास के लिए आवश्यक होता है।' उथप्पा कहते हैं, 'मेरे लिए, मेरे सभी अनुभवों ने मुझे उस व्यक्ति में ढाला है जो मैं आज हूं और मुझे अपने नकारात्मक पर कोई पछतावा नहीं है। अनुभव के रूप में उन्होंने मुझे सकारात्मक रूप से विकसित करने में मदद की है।'

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari