बदबूदार पानी ने किया जीना मुहाल, दूर भाग रहे मवेशी

चार दिन पूर्व आए गंदे पानी से बड़ी मात्रा में मरी मछलियां

लॉकडाउन में जहां तमाम नदियां साफ-सुथरी हो गई है, वहीं रोहिन नदी का पानी अचानक काला पड़ गया। रोहिन नदी में फैक्ट्रियों का कचरा गिरने से हजारों मछलियां मर गईं। आसपास बसे लोगों का जीना दूभर हो गया। चार दिनों से रोहिन अपने सबसे खराब हाल में पहुंच चुकी है। नदी के किनारे बसे लोगों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान नदी साफ हुई थी। लेकिन अचानक किसी फैक्ट्री का पानी गिराए जाने से हालत बिगड़ गई। लोगों का कहना है कि नदी की सुरक्षा को लेकर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले दिनों में हालत ज्यादा खराब होगी।

चीनी मिल और डिस्टलरी बढ़ा रहे प्रदूषण

रोहिन नदी में पाल्युशन से मछलियों के मरने की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। पूर्व में हुई घटनाओं में इसके जांच की जिम्मेदारी क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिया गया। तब जांच में सामने आया कि नेपाल के सोनवल में स्थित दो चीनी मिलों और डिस्टलरी का पानी का सोनवल से गुजरने वाले झरही नदी में गिराया गया जाता है। आगे चलकर झरही नदी वहीं से गुजरने वाले चंदन नदी में मिल जाती है। दोनों के मिलने के बाद नाम प्यास नदी हो जाती है। आगे जाने पर प्यास नदी रोहिन में मिल जाती है। गोरखपुर के डोमिनगढ़ में आकर रोहिन नदी का पानी राप्ती में मिल जाता है। रोहिन में पाल्युशन के असर राप्ती भी प्रभावित हो रही है। जबकि, सोहगौरा के पास आमी नदी भी राप्ती में मिलती है। आमी का पानी पहले से ही काफी प्रदूषित है। रोहिन नदी में प्रदूषण और गंदगी बढ़ने से इसका असर बढ़ता जाएगा।

ऑक्सीजन की कमी से मरती मछलियां

पूर्व में हुई जांच पड़ताल में सामने आ चुका है कि रोहिन नदी में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही है। ऑक्सीजन की कमी से ही मछलियों सहित अन्य जलीय जीवों की मौत होती है। चार दिन पूर्व जब रोहिन नदी में गंदा पानी छोड़ा गया तो इसका व्यापक असर नजर आया। नदी में कैंपियरगंज से लेकर डोमिनगढ़ तक मछलियां मर गई थीं।

पशुओं ने पानी पीना छोड़ा, गंदगी से भाग रहे लोग

नेपाल के लुंबिनी क्षेत्र के रुपनदेई और कपिलवस्तु जिलों में शिवालिक पर्वत की चौरियां से पहाडि़यों से रोहिन नदी निकली है। इस नदी का ऐतिहासिक महत्व भी है। रोहिन नदी में पाल्युशन की वजह से किनारे पर बसे लोगों को बदबू का सामना करना पड़ रहा है। नदी के किनारे चरने जाने वाले पशु भी पानी नहीं पीते हैं। पहले गर्मियों में दिनभर बच्चे नदी में नहाते रहते थे। लेकिन पाल्युशन की वजह से कोई नदी किनारे नहीं जाना नहीं जाना चाहता है।

लॉकडाउन में पानी थोड़ा ठीक हुआ था। तीन-चार दिन पहले अचानक पानी गंदा हो गया। मंगलवार को बड़ी संख्या में मछलियां मर गईं। पानी से बदबू भी आ रहा था।

ओम प्रकाश, सरहरी

नदी में पहले भी नेपाल के आसपास की फैक्ट्रियों का गंदा पानी गिर चुका है। इसकी शिकायत की गई है। सैकड़ों गांवों के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है। लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा।

दिलीप निषाद, बढ़नी

ऑक्सीजन लेवल कम होने से मछलियों की मौत होती है। जब पानी में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा 5.5 पीपीएम (पा‌र्ट्स पर मिलियन) से कम हो जाती है। तब ये नौबत आती है। नदी के पानी में किसी इंडस्ट्रीज से कोई चीज बहकर आई होगी। तभी इसका पानी खराब हुआ। हमने देखा है कि इसका पानी काफी स्वच्छ था।

प्रो। श्रीराम चौरसिया, एचओडी, सिविल इंजीनयिरिंग, एमएमएमयूटी

Posted By: Inextlive