म्यांमार के उत्तरी रखाइन प्रांत में पिछले दो हफ़्तों से भड़की हिंसा के कारण करीब एक लाख 64 हज़ार रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश पहुंचे हैं।

रोहिंग्या मुस्लिमों के मुताबिक रखाइन प्रांत में पुलिस थानों पर रोहिंग्या कट्टरपंथियों के हमले के बाद सेना और रखाइन बौद्ध समुदाय के लोगों ने उनके गांवों को जला दिया है।

म्यांमार की सरकार ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। सरकार का कहना है कि चरमपंथियों और मुस्लिम लोगों ने ख़ुद ही अपने गांवों को जला दिया है।

लेकिन बीबीसी के दक्षिण पूर्व एशिया के संवाददाता जोनाथन हेड ने मुस्लिम गांव का दौरा किया जिसे कथित तौर पर रखाइन बौद्धों के एक गुट नेआग लगा दी थी।

फ़ाइल फ़ोटो

पुलिस का कहना है कि मुस्लिम गांववालों ने आग लगाई है, जबकि अराकार रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी ने 25 अगस्त को कई पुलिस थानों में आग लगा दी थी जिसके बाद से इन गांवों से ज़्यादातर रोहिंग्या मुस्लिम आबादी वहां से भाग चुकी है।

हमने लौटते हुए एक खेत में पेड़ों के झुरमुट से उठते धुएं को देखा।

हम बाहर निकले और खेतों की तरफ भागने लगे जहां पर पेड़ों के झुरमुट में आग लगी थी।

हमने गांव की शुरुआती इमारतों में धुआं देखा। यहां पर एक घर करीब 20-30 मिनट में जल जाता है, इसका मतलब ये था कि अभी-अभी आग लगाई गई है।

जब हम अंदर गए तो हमने एक मदरसा देखा जिसकी छत पर आग लगी हुई थी जिसकी लपटें बगल वाले घर की दीवारों तक पहुंच रही थीं और करीब तीन मिनट में ही वहां भयंकर आग लग गई।

गांव में कोई और नहीं था। जिन लोगों को हमने देखा वो ही अपराधी थे। घर के सामान सड़क पर फेंके थे, बच्चों के खिलौने, महिलाओं के कपड़े भी सड़कों पर बिखरे थे। रास्ते में हमने एक खाली जग देखा जिसमें से पेट्रोल की कुछ बूंदे टपक रही थीं।

जब तक हम गांव से बाहर निकले तब तक ये मकान जलकर खाक में तब्दील हो चुके थे।


Posted By: Satyendra Kumar Singh