सिंगापुर में आठ दिसंबर को भड़की हिंसा में 52 भारतीय नागरिकों की भूमिका के बाद उनको वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इस घटना को सिंगापुर में पिछले चालीस सालों में भड़की सबसे बड़ी हिंसा बताया जा रहा है.


समाचार एजेंसी पीटीआई ने द स्ट्रेटस टाइम्स के हवाले से बताया कि सरकार द्वारा नियुक्त जांच समिति ने  लिटिल इंडिया इलाके में भड़की हिंसा के सिलसिले में 16 व्यक्तियों से पूछताछ की.सिंगापुर में हिंसा की शुरुआत भारतीय मूल के एक 33 वर्षीय व्यक्ति की बस दुर्घटना में मौत के बाद हुई थी.पुलिस का कहना है कि 53 लोगों ने कथित रूप से उनका रास्ता रोका या हिंसा के दौरान पुलिस अधिकारियों का आदेश मानने से मना कर दिया. इसमें सिंगापुर के पुलिसकर्मियों समेत नागरिक सुरक्षा बल (एससीडीएफ़) के 39 लोग घायल हो गए थे.लिटिल इंडिया में हिंसा"अप्रवासन क़ानून के तहत सरकार सिंगापुर के हित और सार्वजनिक सुरक्षा के ख़िलाफ़ गतिविधि में शामिल होने की बात साफ़ होने के बाद किसी भी व्यक्ति को वापस जाने को कह सकती है."-के शानमुघम, सिंगापुर के विदेश मंत्री


समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ सिंगापुर में भड़की हिंसा में एससीडीएफ़ और पुलिस के 25 वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था.अधिकारियों ने सिंगापुर की सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनज़र इन लोगों को ख़तरा मानते हुए वापस भेजने और दोबारा अप्रवासन क़ानूनों के तहत सिंगापुर आने पर रोक लगा दी है.

28 भारतीय नागरिकों पर हिंसा में शामिल होने का दोषी ठहराया गया, उनके मामले पर अदालत में सोमवार को सुनवाई होगी.पीटीआई के मुताबिक़ पुलिस ने हिंसा के दौरान घटनास्थल के आसपास मौजूद रहे 200 दक्षिण एशियाई लोगों से ऐसे मौकों पर सतर्कता बरतने के लिए कहा है. पुलिस ने इन लोगों से कानून का पालन करने के लिए कहा है. इनको सिंगापुर में रहने और काम करने की अनुमति होगी.स्वदेश वापसी की तैयारीआठ दिसंबर को सिंगापुर के लिटिल इंडिया ज़िले में भारतीय मूल के व्यक्ति की मौत के बाद हिंसा भड़क गई थी.सिंगापुर के विदेश मंत्री के शानमुघम ने कहा कि 53 भारतीय नागरिकों को स्वदेश भेजने का फ़ैसला प्रशासनिक नहीं बल्कि क़ानूनी मसला है.उन्होंने कहा कि अप्रवासन क़ानून के तहत सरकार सिंगापुर के हितों और सार्वजनिक सुरक्षा के ख़िलाफ़ गतिविधि में शामिल होने की बात साफ़ होने के बाद किसी भी व्यक्ति को वापस जाने को कहा जा सकता है.इस सप्ताह की शुरुआत में एक नागरिक समूह ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित प्रावधानों के तहत प्रवासी मज़दूरों के मानवाधिकारों की बात कहते हुए मज़दूरों को सिंगापुर से निकालने और स्वदेश वापसी के फ़ैसले पर सवाल खड़े किए थे.इस हिंसा में शामिल एक बांग्लादेशी नागरिक को भी उसके देश वापस भेजा जा रहा है.

Posted By: Subhesh Sharma