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- विजन रूहेलखंड और सामाजिक सेवा संस्था संयुक्त रूप से संचालित कर रहे हैं रोटी बैंक

- हर दिन घरों में बचे भोजन को इकट्ठा कर मिटा रहे असहायों की भूख, पीएम ने सराहा

BAREILLY:

'भूख' का कोई मजहब नहीं होता। भूखे इंसान को दो रोटी मिल जाए तो उसकी आंखों में चमक आ जाती है। देश में लाखों लोग ऐसे हैं, जिन्हें एक वक्त का खाना मयस्सर नहीं, तो कई ऐसे हैं जो हर दिन भोजन का काफी हिस्सा कू्डे़दान में फेंक देते हैं। व‌र्ल्ड हंगर डे पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट आपको ऐसी संस्था के बारे में बताने जा रहा है, जो लोगों की भूख मिटाने के लिए प्रयासरत है। शहर के विजन रूहेलखंड और सामाजिक सेवा संस्था ने एक सराहनीय प्रयास करते हुए 'रोटी बैंक' की स्थापना की है, जिसके जरिए आए दिन सैकड़ों लोगों भूख मिटाने का अथक प्रयास किया जा रहा है।

है एक अनूठा प्रयास

दोनों संस्थाओं ने यूं तो रोटी बैंक की स्थापना से पहले भी कई सारे सामाजिक कार्य किए हैं। पर दो वर्ष पहले अचानक संस्था के पदाधिकारियों का मन कुछ अनूठा और सामाजिक सेवा से भरपूर प्रोजेक्ट लांच करने की योजना बनाई। डॉ। प्रमेंद्र माहेश्वरी ने बताया कि संघ के विचारधारा के अनुरूप प्रोजेक्ट लांच किया गया था। शुरुआत में थोड़ी बहुत प्रॉब्लम आई पर बाद में हाथ से हाथ मिलते गए और असहाय लोगों की भूख मिटाने का सिलसिला शुरू हो गया। इसमें प्रत्येक घर से दो रोटी एक सूखी सब्जी या आचार के साथ एक पैकेट बनाकर रोटी बैंक फुटपाथ पर रहने वाले गरीबों तक पहुंचाता है। कहा कि प्रोजेक्ट में करीब 25 से ज्यादा लोगों ने सहयोग दिया है।

यूं चलता है बैंक

रोटी बैंक का संचालन करने के लिए मुख्य रूप से गवर्नमेंट सर्विस पर्सन दुर्गेश चौहान, रिटायर्ड आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ। आरके सिंह, हरबंश कौर और मनजीत कलसी समेत करीब 25 अन्य लोगों को जिम्मेदारी सौंपी गई। यह लोग हर लोगों के घरों से बचे हुए भोजन को लेकर असहाय लोगों तक पहुंचाते हैं। बता दें कि असहाय की श्रेणी से भिखारियों को बाहर रखा गया है। इसमें सिर्फ वही लोग शामिल हैं, जो दिन भर क ड़ी मेहनत करने के बाद बमुश्किल सौ से दौ सौ रुपए कमा पाते हैं। ताकि इन लोगों की मेहनत की गाढ़ी कमाई भोजन करने में ही खत्म न हो। बल्कि परिवार के लिए भोजन के बचे रुपयों से कुछ बेहतर कर सकें।

दो वर्षो से रोटी बैंक का संचालन किया जा रहा है, जिसकी तारीफ पीएम मोदी ने मन की बात में की है। उन्होंने युवाओं के प्रयास को सराहा और अन्य सामाजिक संस्थाओं से ऐसे प्रयास की सलाह दी है।

डॉ। प्रमेंद्र माहेश्वरी, विजन रूहेलखंड

Posted By: Inextlive