मेरठ: आरएएफ के डिप्टी कमांडेट ने अपनी कंपनी के साथ मोर्चा संभालते हुए संप्रेक्षण गृह में प्रवेश कर किशोरों को घेरा तो सभी बैरकों के अंदर घूस गए। गेट पर बेड लगाकर गैस सिलेंडर को खोलकर आग लगाने की धमकी दी। आरएएफ ने बल प्रयोग करने के बाद उन्हें शांति व्यवस्था बनाने के लिए समझाकर शांत किया।

माइकल है मेरा नाम

संप्रेक्षण गृह की छत से किशोरों ने पुलिस को देखकर कपड़े उतार दिए थे। बोले, मेरा नाम माइकल है गोली खाने को तैयार हूंएसपी सिटी से बोले, चलाओ गोलीहमारी छाती पुलिस की गोली खाने को तैयार है। उन्होंने राजा भैया जिंदाबाद के नारे लगाए तो मुलायम सिंह मुर्दाबाद कहा।

डर रहा था स्टाफ

बैरक के अंदर जाने के बाद भी उनके पास रहने वाला स्टाफ अंदर प्रवेश करने से डर रहा था। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर संप्रेक्षण गृह के बाहर आरएएफ और पुलिस को लगा दिया है।

आवेश में आकार कार्य करने से मानसिक विकृति गलत होती है। किसी दूसरे के गुस्से को दूसरे स्थान पर उतारना है। ये सब उस समय होता है, जब किशोरों की इच्छा के अनुसार काम नहीं होता। इसलिए संस्कार शाला का आयोजन कर किशोर गृह में मौजूद किशोर को अच्छे बूरे की जानकारी दें। व्यक्तिगत रुप से समझाने पर ही कुछ रिजल्ट मिल सकता है। ऐसे किशोरों को सही संस्कार शुरू से नहीं मिलने के कारण ही बिगड़ने के बाद क्राइम की दुनिया में उनका ध्यान बढ़ रहा है।

डॉ। सत्यप्रकाश, मनोचिकित्सक

Posted By: Inextlive