जनगणना के हाल के आंकड़ों में मुस्लिम आबादी 17 करोड़ से अधिक दर्ज किए जाने के मद्देनजर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की आज से शुरू हो रही तीन दिवसीय बैठक में इस अंसतुलन पर ध्यान देने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया जा सकता है।


जनगणना के आंकड़े दिखा रहे हैं असंतुलन
संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने बैठक की पूर्वसंध्या पर कहा कि हाल ही में आए जनगणना के आंकड़े जनसंख्या वृद्धि में अंसतुलन दिखाते हैं। उन्होंने कहा कि बैठक में इस विषय पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा और इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया जा सकता है। बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत संगठन के समस्त शीर्ष पदाधिकारी भाग लेंगे। सदी के पहले दशक में देश की कुल जनसंख्या में मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी करीब एक फीसद बढ़ी है। वहीं, हिंदुओं और सिखों की हिस्सेदारी कम हुई है। धर्म आधारित जनगणना के ताजा आंकड़ों के अनुसार 2001 से 2011 के दौरान देश में मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर औसत से आठ फीसद अधिक और हिंदुओं की एक फीसद कम रही है। वहीं सिख, जैन और बौद्ध समुदाय की आबादी की बढ़ोतरी दर भी औसत से काफी नीचे रही है।कुल वृद्धि से सात फीसद ज्यादा है मुस्लिंम आबादी की वृद्धि


2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक मुस्लिम की कुल संख्या 17 करोड़ 22 लाख है, जो कुल 121 करोड़ की आबादी का 14.2 फीसद बैठता है। 2001 में देश में मुस्लिम आबादी 13 करोड़ 81 लाख यानी कुल जनसंख्या का 13.4 फीसद थी। जाहिर है पिछले एक दशक में मुस्लिम आबादी लगभग साढ़े तीन करोड़ बढ़ी है। यानी इस दौरान 24.6 फीसद की बढ़ोतरी दर रही, जो पूरी जनसंख्या की औसत वृद्धि दर 17.7 से लगभग सात फीसद अधिक है।शेष अल्पसंख्य क समुदायों की हिस्सेदारी घटी या समान रहीध्यान देने के बात है कि इस दौरान मुसलमान को छोड़कर दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों की कुल आबादी में हिस्सेदारी या तो कम हुई है या पिछली बार के समान रही है। जैन और ईसाई समुदाय की आबादी में हिस्सेदारी में कोई अंतर नहीं आया। इन दोनों समुदायों की हिस्सेदारी क्रमशः 0.4 फीसद और 2.3 फीसद है। आबादी में हिस्सेदारी कम होने वाले अल्पसंख्यक धार्मिक समुदाय में सिख और बौद्ध अहम हैं। 2001 में सिख समुदाय की हिस्सेदारी 1.9 से घटकर 1.7 फीसद रह गई है। इसी तरह बौद्धों की हिस्सेदारी 0.8 फीसद से घटकर 0.7 फीसद रह गई है। दरअसल इस दौरान जनसंख्या बढ़ोतरी दर में बौद्ध और सिख समुदाय औसत से काफी पीछे रहे। सिखों की जनसंख्या की औसत बढ़ोतरी दर 8.4 फीसद और बौद्धों की 6.1 फीसद रही है। जबकि 29 लाख लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने अपना धर्म नहीं बताया।हिंदू संख्या बल अधिक पर हिस्सेदारी कम

आंकड़ों के मुताबिक कुल 96 करोड़ 63 लाख जनसंख्या के आधार पर हिंदू देश का सबसे बड़ा धार्मिक समूह बना हुआ है। लेकिन कुल जनसंख्या में इसकी हिस्सेदारी कम हो रही है। 2001 में हिंदुओं की कुल आबादी 82 करोड़ 75 लाख थी। इस तरह इस दौरान हिंदुओं की आबादी 16.8 फीसद की दर से बढ़ी, जो औसत वृद्धि दर 17.7 फीसद लगभग एक फीसद कम है। औसत से कम जनसंख्या वृद्धि दर के कारण कुल जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी 0.7 फीसद कम होकर 79.8 फीसद रह गई है। जबकि 2001 में हिंदुओं की हिस्सेदारी 80.5 फीसद थी।

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Posted By: Molly Seth