- एक आरटीआई के जवाब में एमडीए ने किया खुलासा

- अवैध निर्माणों की फोटो कॉपी के बदले रखी 1.33 लाख की डिमांड

Meerut। अनियोजित विकास को लेकर हमेशा से कटघरे में रहे एमडीए ने अवैध निर्माणों पर एक चौंकाने वाले सच उजागर किया गया है। प्राधिकरण ने शहर में अवैध निर्माणों की संख्या 66 हजार से अधिक बताई है, जबकि इसका पूरा ब्यौरा देने की फीस 1.33 लाख रुपए बताई है। यह खुलासा एमडीए ने दिए एक आरटीआई के जवाब में किया है।

क्या है मामला

दरअसल, शहर में तेजी बढ़ रहे अवैध निर्माणों की संख्या पर एमडीए हमेशा से ही टाल-मटोल करता रहा है। इसलिए अवैध निर्माणों की संख्या शहरवासियों के लिए हमेशा से एक पहेली बनकर रही है। हाल ही में आरटीआई एक्टीविस्ट लोकेश खुराना ने आरटीआई के माध्यम से एमडीए से 2016 तक शहर में अवैध निर्माणों की कुल संख्या पूछी। इस पर एमडीए ने सरलता से जवाब देने में अक्षमता दिखाते हुए 66 हजार पन्नों पर दर्ज अवैध निर्माणों के जवाब के लिए 1.33 लाख की डिमांड रखी।

543 अवैध कॉलोनियां

दरअसल, एक सर्वे के दौरान एमडीए ने शहर में 543 अवैध कॉलोनियां चिह्नित की थी। शासन के आदेशों पर एमडीए ने इन कॉलोनियों को नियमित करने की बात कही थी। लेकिन बिल्डरों को कंपाउंडिंग के लिए तैयार न होने पर कॉलोनियों को रेगुलर करने का सपना टूट गया।

क्यों नहीं होती कार्रवाई

एमडीए ने खुद अवैध निर्माणों की इतनी बड़ी संख्या की बात कही है, बावजूद इसके प्राधिकरण की ओर से ऐसी इमारतों पर कोई कार्रवाई नहीं होती। इसका नतीजा है कि शहर अवैध निर्माणों से पट गया है।

राजस्व को बट्टा

एमडीए के राजस्व की आय का मुख्य स्त्रोत कंपाउंडिंग है। अवैध निर्माणों पर कार्रवाई कर एमडीए कंपाउंडिंग के माध्यम से अपनी झोली भरता है। लेकिन बिल्डर और प्रवर्तन अफसरों की मिली भगत से एमडीए की आय का बड़ा हिस्सा निजी जेबों में चला जाता है।

1973 में एमडीए के निर्माण के बाद से अवैध निर्माणों को दस्तावेजों में रखा गया है। विभिन्न जोनों अवैध निर्माणों की संख्या 66 हजार के करीब है। पुलिस न मिलने के कार्रवाई पुख्ता कार्रवाई नहीं हो पाती।

-शबीह हैदर, चीफ इंजीनियर, मेरठ विकास प्राधिकरण

Posted By: Inextlive