-आरटीओ कुछ वीआईपी नंबर को लिस्ट से हटाने की कर रहा तैयारी

- ऐसे नंबर में लोगों के कम इंट्रेस्ट के चलते विभाग में रेवेन्यू लॉस से बचने को हो रहा रेव्यू

VARANASI

हर इंसान की लाइफ में नंबर का बड़ा रोल होता है। काफी लोग कुछ खास नंबर्स को अपने लिए लकी मानते हैं और इसी वजह से अपनी हर चीज में उस नंबर को शामिल करना चाहते हैं। खासतौर पर लोग अपनी कार या बाइक के लिए भी अपना लकी नंबर या कोई वीआईपी नंबर लेना चाहते हैं। इनमें कई नंबर ऐसे हैं जिनकी डिमांड सबसे ज्यादा है। जो सभी को नहीं मिल पाते हैं। वहीं लिस्ट में कई ऐसे वीआईपी नंबर हैं जिसको कोई पूछता ही नहीं है। इन नंबर्स को लिस्ट से बाहर करने पर विभाग मंथन कर रहा है। कारण कि ऐसे नंबर प्रत्येक सीरीज से बिना बुक हुए कैंसिल हो जा रहे हैं। जिससे विभाग को रेवेन्यू का लॉस हो रहा है।

लिस्ट में 348 नंबर

परिवहन विभाग के टोटल 348 वीआईपी नंबर चार कैटेगरी में बंटे हैं, जिनकी 15,000, 7500, 6000, 3000 रुपये है। 15 हजार रुपये की कीमत में 01 से 09, 11, 22, 33, 44 आदि और 786 तक नंबर शामिल हैं। लेकिन बनारस में भी नीलामी की प्रक्रिया शुरू होते ही शौकीनों को ऐसे नंबर हासिल करने के लिए एक लाख रुपये तक की कीमत चुकानी पड़ सकती है। सबसे वीआईपी नंबर्स इस तरह के हैं 0001, 0002, 0003, 0007, 0777, 0786, 0004, 1122, 1111, 2222 आदि। जिनकी डिमांड सबसे ज्यादा है।

इनमें से कई में लोगों का नहीं इंट्रेस्ट

15 हजार रुपये वाले नंबर-0010, 2000, 2200, 3300, 4000, 4400, 5500, 6600, 7700, 8800 आदि

7500 रुपये वाले नंबर - 0200, 0400, 0600, 1200, 1300, 1500, 1600, 1700, 2002, 2100, 2300, 2400, 2500, 2600, 3003, 3100, 3400, 3500, 3600, 3700, 3800, 3900 आदि

6000 रुपये वाले नंबर- 0033, 0044, 0055, 0066, 0088, 1133, 1144, 1155, 1166, 1177, 1188, 1199, 1881, 2211, 2233, 2244, 2255, 2266, 2277, 3311, 3322, 6336, 7227, 9786, 9988 आदि

3000 रुपये वाले नंबर- 0054, 0060, 0072, 1919, 2626, 2828, 3131, 3434, 3838, 3939, 4242, 4343, 4646, 5656, 8383, 8484, 8686, 8787, 8989, 9292, 9494, 9797, 9898 आदि

महीनों करते हैं इंतजार

कार या बाइक के लिए मनचाहा नंबर पाने के लिए लोग महीनों तक इंतजार करते हैं। ज्यों ही सीरीज शुरू होती है वैसे ही नंबर बुक कर देते हैं। हालांकि जब से बुकिंग का सिस्टम ऑनलाइन हुआ है तब से लोगों का ऑफिस का चक्कर न के बराबर है। जबकि पहले उन्हें ऑफिस का चक्कर काटना होता था और सिफारिश भी चलती थी। पर अब ऐसा नहीं है। फैंसी नंबर पर विभाग को अधिक से अधिक रेवेन्यू मिले इसके लिए पंजाब व हरियाणा की तर्ज पर यहां भी आक्शन कराने के लिए अलग वेबसाइट तैयार की जा रही है। लखनऊ में पायलट प्रोजेक्ट भी शुरु हो गया है। वहीं लिस्ट में कई ऐसे नंबर हैं जिनके लिए कोई डिमांड नहीं पहुंचता है। ऐसे नंबर का रिव्यू किया जा रहा है।

ऐसे मिलता है नंबर

आमतौर पर जब कोई नई गाड़ी खरीदता है तो उसे आरटीओ के एक खास सिस्टम के जरिए रेंडमली कार या बाइक के नंबर दिए जाते हैं। ये नंबर कुछ भी हो सकते हैं, लेकिन अगर हम मनपसंद नंबर लेना चाहते हैं तो इसके लिए परिवहन विभाग की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। साथ ही अलग-अलग नंबर्स के लिए अलग कीमत भी चुकानी होगी।

Posted By: Inextlive