सावन मास में होते हैं 6 तरह के रुद्राभिषेक, सबका मिलता है अलग-अलग फल
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PRAYAGRAJ: भगवान शिव की आराधना का सबसे प्रिय महीना सावन लग गया है। शहर के अति प्राचीन शिव मंदिरों से लेकर घरों तक मनोकामना पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक कराने के लिए यजमानों-पंडितों से संपर्क करना शुरू कर दिया है। रुद्राभिषेक में मनोकामना के अनुसार अलग-अलग वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है।
-काल सर्प दोष जैसी समस्या का निवारण करने के लिए तेल से भी भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है।
तांबे का पात्र हानिकारक
ज्योतिषाचार्य पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वाचली के मुताबिक रुद्राभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी अन्य धातु के बर्तन का उपयोग करना चाहिए। तांबे के बर्तन में दूध, दही या पंचामृत आदि नहीं डालना चाहिए। उन्होंने बताया कि पुराणों में वर्णित है कि तांबे के साथ दूध का संपर्क उसे विष जैसा बना देता है। इसलिए तांबे के बर्तन में दूध का अभिषेक वर्जित है।
सावन में मंदिरों में रुद्राभिषेक किया जाना अनंत फलदायक साबित होता है। दशाश्वमेध मंदिर के पुजारी विमलेश गिरी बताते हैं कि ऐसा मंदिर जहां गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित हो वहां पर रुद्राभिषेक किया जाना सर्वोत्तम होता है। यदि किसी मंदिर में अभिषेक किया जाए तो वह अनंत फलदायक होता है। अगर घरों में शिवलिंग न हो तो अंगूठे को भी शिवलिंग मानकर उसका अभिषेक किया जा सकता है।रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावी उपाय होता है। सावन माह में यदि रुद्राभिषेक किया जाए तो इसकी महत्ता और अधिक बढ़ जाती है।
- पं। विद्याकांत पांडेय, ज्योतिषाचार्यमनोकामना के अनुसार अलग-अलग वस्तुओं का प्रयोग रुद्राभिषेक में किया जाता है। सावन में हर दिन अभिषेक किया जा सकता है। इसके लिए मुहूर्त का कोई औचित्य नहीं होता है।
-पं। विनय कृष्ण तिवारी, ज्योतिषाचार्य