-नक्शे का विचलन कर बनाई जा रही बिल्डिंग्स

-सुरक्षा पर खड़े होते हैं सवाल

JAMSHEDPUR : नक्शा जी प्लस टू का पास है पर खड़ी कर दी तीन मंजिला इमारत, किसी ने तो बिना नक्शा पास हुए ही बिल्डिंग बना दी, नक्शा विचलन कर बिल्डिंग बनाने के ऐसे मामले शहर में आए दिन सामने आते हैं। इस तरह का निर्माण नियमों का उल्लंघन तो है ही, साथ ही इनसे बिल्डिंग्स की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े होते हैं। नेपाल में आए भूकम्प के झटके जमशेदपुर में भी महसूस किए गए। हालांकि, इन झटकों का मैग्निट्यूड कम था फिर भी क्या एहतियात के तौर पर यह जरूरी नहीं कि बिल्डिंग्स को अर्थक्वेक रजिस्टेंट बनाया जाए। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंड‌र्ड्स द्वारा अर्थक्वेक रजिस्टेंट बिल्डिंग्स के लिए कई स्टैंडर्ड बनाए गए हैं, लेकिन शहर में इन स्टैंड्डर्स का कितना पालन हो रहा है यह भी एक सवाल है।

नक्शे का विचलन कर होता है बिल्डिंग्स का निर्माण

इसी महीने की क्फ् तारीख को जेएनएसी और एमएनएसी ने बिल्डिंग्स सील किए थे। इनमें से कुछ ने पास नक्शे से ज्यादा फ्लोर का निर्माण किया था तो एक बिल्डिंग को नक्शा पास हुए बगैर ही बना दिया गया था। शहर में नक्शे का विचलन कर बिल्डिंग का निर्माण किए जाने के मामले अक्सर आते हैं। इस तरह के निर्माण से बिल्डिंग की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े होते हैं। अगर किसी बिल्डिंग के लिए बनाए गए फाउंडेशन पर एक्स्ट्रा फ्लोर का निर्माण किया जाए तो बिल्डिंग की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। ऐसे में भूकंप जैसी स्थितियों में बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है।

रूल्स फॉलो नहीं

किसी भी बिल्डिंग का निर्माण एक निश्चित प्रक्रिया के तहत किया जाता है, इस प्रक्रिया को अगर सही तरीके से फॉलो नहीं किया जाए तो बिल्डिंग की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के निवर्तमान स्टेट प्रेसिडेंट कौशल सिंह ने बताया कि बिल्डिंग के निर्माण के लिए पहले आर्किटेक्ट से इमारत का नक्शा बनवाया जाता है फिर स्ट्रक्चरल डिजाइनर बिल्डंग के स्ट्रक्चर को डिजाइन करता है। उसके बाद स्वायल टेस्टिंग के जरिए जमीन की लोड बियरिंग कैपैसिटी की जांच की जाती है। उन्होंने कहा कि इस दौरान क्षेत्र में भूकम्प की भूकम्प की संभावित इंटेसिटी को भी ध्यान में रखते हुए निर्माण किया जाता है। पर कई लोग इन नियमों का पालन नहीं करते। उन्होंने बताया कि कई जगहों पर बगैर किसी स्ट्रक्चरल डिजाइनिंग के सिर्फ मिस्त्री द्वारा ही बिल्डिंग बना दी जाती है। अनुमान के आधार पर ही रॉड और कॉलम्स की संख्या निर्धारित की जाती है। ऐसे में भूकम्प जैसी स्थितियों में इस तरह की बिल्डिंग्स की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

सुरक्षा पर खड़े होते हैं सवाल

भूकम्प लोगों को नही मारते बल्कि इमारते इसकी वजह बनती है। इस बात में कितनी सच्चाई है इसका पता ख्0क्0 में चिली और हेइती में आए भूकम्प के परिणामों से लगाया जा सकता है। ख्0क्0 में चिली में आए 8.8 मैग्निट्यूड के भूकम्प में करीब 7 सौ लोगों की जान गई थी पर उसी साल क्ख् जनवरी को हेइती में आए इससे कम मैग्निट्यूड (7) के भूकम्प में ख् लाख से ज्यादा लोग मारे गए। इसकी वजह दोनों देशों में बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन और टेक्नोलॉजी की क्वालिटी में अंतर था। ये अंतर यहां भी दिखाई देता है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंड‌र्ड्स द्वारा अर्थक्वेक रजिस्टेंट बिल्डिंग्स के निर्माण के लिए कई तरह के गाइडलाइन निर्धारित किए गए हैं, लेकिन जमशेदपुर के मैक्सिमम बिल्डिंग्स में इनका पालन नहीं किया जाता।

बिल्डिंग्स के निर्माण के लिए बिल्डिंग बाई-लॉज का पालन करना जरूरी है। नक्शे का विचलन कर बनाई जाने वाली बिल्डिंग्स पर कार्रवाई की जाती है। हाल ही में ऐसी कुछ बिल्डिंग्स को सील किया गया है।

-जेपी यादव, स्पेशल ऑफिसर, एमएनएसी

किसी भी बिल्डिंग के निर्माण के लिए आर्किटेक्ट से ड्राइंग बनवाना, स्ट्रक्चरल डिजाइनिंग, स्वायल टेस्टिंग के जरिए जमीन की लोड बियरिंग कैपिसिटी की जांच बेहद जरूरी है। अगर इन सभी प्रक्रियाओं का पालन किए बगैर निर्माण किया जाता है तो बिल्डिंग की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

-कौशल सिंह, निवर्तमान स्टेट प्रेसिडेंट, बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया

Posted By: Inextlive