- एलयू ने निष्कासित स्टूडेंट्स को दी पीएचडी थीसेज जमा करने की अनुमति

- पीएचडी ऑर्डिनेंस को दर किनार कर दिया गया एडमिशन

LUCKNOW : एक ओर एलयू उपद्रवी स्टूडेंट्स पर कार्रवाई करता है, वहीं दूसरी ओर विभिन्न मामलों में निष्कासित चल रहे स्टूडेंट्स को पीएचडी थीसेज जमा करने की अनुमति दे देता है। इसमें नियमों का भी ध्यान नहीं रखा जाता है। ताजा मामला समाज कार्य विभाग से जुड़ा है, जहां निष्कासित स्टूडेंट को दोबारा पीएचडी में एडमिशन दे दिया गया। चीफ प्रॉक्टर ने रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर एडमिशन रद करने को कहा है।

जमा करा रहे थीसेज

रिसर्च स्कॉलर अभिषेक त्रिपाठी उर्फ रानू को सेशन 2005-06 में एलयू प्रशासन ने विभिन्न मामलों में दोषी पाए जाने पर निष्कासित किया था। उस समय वो समाजशास्त्र से पीएचडी कर रहा था। इसके बाद तीन साल पहले अगस्त 2015 में अभिषेक ने दोबारा पीएचडी में रजिस्ट्रेशन कराने की कार्रवाई शुरू की। इसी माह 11 सितंबर को उसे बिना निष्कासन वापस लिए लेट फीस के साथ दोबारा रजिस्ट्रेशन और शोध ग्रंथ जमा करने की अनुमति दे दी गई। इस मामले में प्रॉक्टर ने रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर कहा है कि यह गंभीर मामला है। इस पर कार्रवाई की जाए नहीं तो निष्कासित छात्रों के फिर से एडमिशन लेने का रास्ता खुल जाएगा।

एग्जामिनर भी बना दिया

इसी तरह कॉमर्स के डीन प्रो। सोमेश शुक्ला के बेटे शोभित को भी कंप्यूटर साइंस में पीएचडी में एडमिशन दिया गया। दो साल पहले इसका रजिस्ट्रेशन निरस्त किया गया था। एलयू के अधिकारियों की मेहरबानी से न सिर्फ उसे रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी गई बल्कि थीसेज जमका कर एग्जामिनर भी बना दिया गया। जबकि स्टूडेंट एसएमयू में भी पीएचडी कोर्स में रजिस्टर्ड है।

बॉक्स

ताक पर ऑर्डिनेंस

यूनिवर्सिटी के जानकारों का कहना है कि अपने चहेतों को पीएचडी कराने के लिए यूनिवर्सिटी ने नियम कानून ताक पर रख दिए हैं। यूजीसी के नियमों के अनुसार पीएचडी पूरी करने के लिए स्टूडेंट को अधिकतम सात साल का समय दिया जाता है। इस अवधि में अगर वह पीएचडी नहीं कर पाता है तो उसे दो साल का और समय दिया जाता है। इसके लिए उसे दोबारा रजिस्ट्रेशन कराने के साथ पूरी फीस देनी होती है। लेकिन एलयू ने बीते दिनों ऐसे लोगों को दोबारा पीएचडी में एडमिशन दिया है जिनको पीएचडी छोड़े दस साल से अधिक का समय बीत चुका है।

कोट

इस मामले में रजिस्ट्रार को लिखकर एडमिशन कैंसिल करने को कहा है। अगर ऐसे ही हम दागी स्टूडेंट्स को मौका देंगे यूनिवर्सिटी की छवि खराब हो जाएगी।

प्रो। विनोद कुमार सिंह, चीफ प्रॉक्टर

Posted By: Inextlive