शनिवार को भूकम्प के झटके से दहशत के साये में जी रहा शहर, उस समय और पैनिक में आ गया जब रविवार को एक भूकम्प का एक और झटका लगा। कुछ तो रियलिटी और कुछ अफवाहों ने पूरे शहर को अपने जद में ले लिया। रविवार के झटके ने कुछ बिल्डिंग्स हिलाई तो कुछ में दरारें पड़ गई लेकिन किसी कैजुएलिटी की खबर नहीं है। आई नेक्स्ट की सभी से अपील है कि सावधानी जरूरी रखें लेकिन पैनिक में न रहें और न ही क्रिएट करें। भूकम्प पर पूरा पैकेज, अंदर के पेजेज पर।

-रविवार को भूकंप के एक और झटके से सिटी में दहशत का माहौल, अफवाहों की हवा से डर हुआ तारी

-कंपन महसूस होते ही तुरंत घरों से बाहर दौड़े लोग, कई बिल्डिंग्स में पड़ गई दरारें

-अगला झटका कब लगेगा, इस बात की होती रही चर्चा, डरे-सहमे अधिकतर लोग

VARANASI : क्या भूकम्प फिर से आना वाला है? इसका झटका कितना तेज होगा? भूकम्प दिन में आएगा या रात में? क्या रात में जगे रहना चाहिए? इस तरह के सवाल शहर में लोग एक-दूसरे से पूछते रहे। शनिवार को भूकम्प के दो झटकों से पूरा शहर दहशत में जी ही रहा था कि रविवार की दोपहर आए एक और झटके ने दहशत और अफवाहों का माहौल और गर्म कर दिया। हर तरफ से आने वाली अफवाहें ज्यादा खतरनाक साबित हो रही हैं। हर कोई डरा हुआ है। किसी आपदा की स्थिति में अपने और अपनों की जान और माल की सुरक्षा कैसे कर सकें, इसको लेकर परेशान हैं।

दोपहर में लगा झटका

रविवार को छुट्टी का दिन होने की वजह से ऑफिस, स्कूल, कॉलेज बाजार बंद थे। इसके शहर के ज्यादातर लोग घरों में ही थे। दोपहर क्ख्.ब्0 मिनट पर एक बार फिर धरती हिल उठी। इसके बाद पूरे शहर में अफरा-तफरी मच गयी। लोग घरों से निकलकर खुले स्थानों की ओर भागने लगे। इस वक्त किसी को अपने कीमती सामानों की चिंता नहीं थी। बस कोशिश यह थी कि कैसे खुद और अपने लोगों को जान को सुरक्षित किया जाए। घने मोहल्लों में लोग गलियों में निकल आए। नई बसी कॉलोनियों में मौजूद खुले मैदान, पार्क में जमा हो गये। सड़कों पर भी लोगों की जमा हो गयी।

घर में जाने की नहीं हुई हिम्मत

चंद सेकेंड बाद भूकम्प का झटका बंद हो गया। तेज झटके ने कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहे शहर को बुरी तरह से हिला दिया। ऊंची-ऊंची बिल्डिंगों में रहने वाले लोगों की रूह कांप गई। एक दिन पहले भी भूकम्प का महसूस कर चुके शहर के लोगों की वापस अपने घरों में जाने की हिम्मत नहीं हो हो रही थी। दहशत का आलम यह रहा है कि महिलाएं और बच्चे घबराकर रोने लगे। दहशत में वैसे तो हर कोई था लेकिन एक-दूसरे को ढांढस बंधाता रहा। भूकम्प के झटके की वजह से फिर दर्जनों बिल्डिंग्स को नुकसान पहुंचा। अर्दली बाजार, मलदहिया, लंका, मैदागिन समेत कई स्थानों पर मौजूद बिल्डिंग्स में दरार पड़ गई। गांवों में भी मकानों में दरार पड़ गयीं। सेफ प्लेस की भागते वक्त दर्जन भर से अधिक लोग चोटिल हो गये।

खतरनाक साबित हो रही अफवाह

भूकम्प के झटकों के बीच अफवाहों का दौर चल निकला। शनिवार को ही बार-बार भूकम्प आने की अफवाह उड़ती रही। कभी दोपहर में तो कभी शाम को तो कभी रात में झटके लगने की आशंका लोग जताते रहे। डर की वजह से लोगों ने जागते हुए रात बितायी। किसी इमरजेंसी में सेफ प्लेस की ओर जाने के लिए अलर्ट रहे। बीच-बीच में बिल्डिंग्स के गिरने, सड़कों के धंसने की अफवाह उड़ती रही। रविवार को अफवाहों ने और जोर पकड़ लिया। भूकम्प के झटके के बाद तो पंख लग गये। अफवाह फैलाने में सोशल मीडिया ने अहम भूमिका निभायी। वाट्सएप, फेसबुक तरह-तरह की अफवाहों से पटा रहा। भूकम्प के बारे में भविष्यवाणी का जो काम बड़े-बड़े साइंटिस्ट नहीं कर सके अफवाह फैलाने वालों ने कर दिया। बकायदा भूकम्प का समय तक तय कर दिया। ज्यादातर वक्त रात का दिखाया जाता रहा। इसके लोगों में दहशत बढ़ती जा रही थी। इस बीच चांद की स्थिति, नदियों के प्रवाह को भी लोगों ने उल्टा बताकर कहर का हल्ला उड़ा दिया। सेफ्टी के लिए गवर्नमेंट ने स्कूलों में छुट्टी कर दी तो उसे भी लोगों ने उल्टा मान लिया।

मरीजों पर आयी शामत

भूकम्प के झटकों के बाद अफवाह ने डर का जो माहौल कायम किया है वह मरीजों के लिए घातक साबित हो रहा है। खासतौर पर ब्लड प्रेशर और हार्ट पेशेंट के लिए। उनकी बीमारी बढ़ जा रही है। ढेरों पेशेंट्स को हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ा। जनरल फिजीशियन डॉ। चंद्रिका राय के अनुसार भूकम्प का असर इंसान पर पड़ता है। सिर घूमना, पेट में दर्द जैसी शिकायत होती है। यह प्रॉब्लम तभी तक रहती है जब तक भूकम्प का असर रहता है। इसके बाद स्थिति सामान्य हो जाती है। डॉ। अश्वनी कुमार के अनुसार भूकम्प या ऐसी आपदा के दौरान दहशत का माहौल बड़ी समस्या खड़ी करता है। खासतौर पर ब्लड प्रेशर और हार्ट पेशेंट के लिए। उनकी परेशानी बढ़ जाती है। कई बार यह उनके लिए घातक साबित होता है। इससे बचने के उपाय धैर्य रखना। फैमिली मेम्बर्स के भी चाहिए कि उनके सामने सामान्य माहौल बनाए रखें।

अफवाहों पर न दें ध्यान

-भूकम्प के लेकर इस वक्त खूब अफवाहें फैल रही हैं

-अफवाहें फैलाने वाले सोशल नेटववर्किग साइट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं

-डर का माहौल बनाकर लाभ भी कमा रहे हैं

-ऐसे माहौल में चोर-उचक्के भी ताक में रहते हैं

-यह वक्त धैर्य बनाए रखने का इससे आपकी परेशानी खुद ब खुद कम हो जाएगी

-भूकम्प की भविष्यवाणी कर पाना संभव नहीं है। कोई सटीक नहीं बता सकता है कि अगला झटका कब लगेगा

-जरूरी नहीं कि भूकम्प के झटके कई दिन लगते रहें

-आप सतर्क रहें और अपने को भी सतर्क रखें, यह जरूरी है

भूकम्प सूचक यंत्र

एक साधारण भूकम्प सूचक यंत्र आप भी बना सकते हैं। इसके लिए एक ग्लास को उल्टा जमीन पर रखें। इसके ऊपर उसके उल्टा दूसरा ग्लास रखें। इस पर एक थाली रख दें। इसे किसी ऊंची मेज पर रख दें। भूकम्प के हल्के झटके में भी थाली तेज आवाज के साथ गिर जाएगी। इसके आपको चौकन्ना हो सकेंगे। इसी तरह कोई शीशा का बर्तन किसी ऊंचे टेबल के किनारे रख दें। झटकों के दौरान शीशा गिरकर टूट जाएगा। तेज आवाज आपको अलर्ट कर देगी।

प्रशासन ने कस ली कमर

भूकम्प के झटके झेल रहे बनारस में किसी आपात स्थिति से निबटने के लिए प्रशासन ने कमर कस ली है। एडीएम एफआर को नोडल ऑफिसर बनाया गया है। पुलिस, फायर ब्रिगेड के साथ हॉस्पिटल्स को अलर्ट कर दिया गया है। एनडीआरएफ की टीम भी मुस्तैद है। पुलिस और प्रशासन की टीम नुकसान का जायजा ले रही है। संकरी गलियों में आपदा प्रबंधन के लिए खासतौर पर प्लैन तैयार किया गया है। सामाजिक संगठनों को भी किसी स्थिति में तैयार रहने को कहा गया है।

Posted By: Inextlive