-यूपी आर्थोपेडिक एसोसिएशन रन फॉर हेल्थ मिनी मैराथन को एवरेस्ट फतेह करने वाली अरुणिमा सिन्हा ने दिखाई हरी झंडी

-जोश के साथ दौड़े डॉक्टर और स्टूडेंट्स

बरेली:

यूपी ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के 43 वें वार्षिक सम्मेलन यूपी आर्थोकॉन-2019 में सैटरडे को रन फॉर हेल्थ मिनी मैराथन में डॉक्टर्स और मेडिकल स्टूडेंट्स जोश के साथ दौड़े। एवरेस्ट फतेह कर चुकी अरुणिमा सिंह ने फ्लैग ऑफ किया। उन्होंने कहा कि वह आज जिस जगह हैं उसमें डॉक्टर्स का बहुत बड़ा सहयोग है। इसके साथ ही उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष बताते हुए युवाओं को लक्ष्य निर्धारित करके लगातार उसे पाने का प्रयास करने के लिए मोटीवेट किया।

फिट रहने का लिया संकल्प

बरेली इंटरनेशन यूनिवर्सिटी में कार्यक्रम के दौरान एसोसिएशन के ऑर्गेनाजिंग चेयरमैन डॉ। प्रमेंद्र माहेश्वरी ने फिट रहने के लिए रेग्यूलर एक्सरसाइज और वॉक को रूटीन में शामिल करने के लिए अवेयर किया।

आलोचनाओं से डरें नहीं

एवरेस्ट विजेता अरुणिमा सिन्हा ने एक क्रत्रिम पैर होने के बावजूद एवरेस्ट फतेह करने के संघर्षो की चर्चा करते हुए कहा कि बरेली में हुए एक एक्सीडेंट में वह अपना एक पैर गवां चुकी थीं। कई महीनों के इलाज के बाद वह एक क्रत्रिम पैर के सहारे जब खड़ी हुई और एवरेस्ट फतेह करने की अपने लक्ष्य के बारे में लोगों को बताया तो लोगों ने उनकी आलोचना की और हंसी भी उड़ाई, लेकिन आलोचनाओं से घबराए बिना वह लक्ष्य पाने के लिए प्रयास करती रहीं। जब एवरेस्ट फतेह करके लौटीं तो जो लोग आलोचना करते थे उनके मुंह से तारीफ सुनकर सबसे अच्छा लगा। इसलिए युवा पीढ़ी आलोचनाओं से घबराए बिना लक्ष्य पाने के लिए प्रयास करती रहे, सफलता जरूर मिलेगी। क्योंकि जिस-जिस पर समाज हंसा है उसी ने इतिहास रचा है।

भगवान से कम नहीं डॉॅक्टर

अरुणिमा सिन्हा ने कहा कि यह सच है कि डॉक्टर्स भगवान से कम नहीं हैं। एक्सीडेंट में वह अपना एक पैर खो चुकी थीं, दूसरा पैर और दोनों हाथ भी जख्मी थे और कमर की हड्डी भी फ्रैक्चर हो चुकी थी, लेकिन बरेली और एम्स के डॉक्टर ने कई महीनों के इलाज के बाद उन्हें फिर से खड़ा कर दिया। इतना ही नहीं इलाज के दौरान डॉक्टर्स ने उनमें फिर जीने की ललक जगाई। इसी का नतीजा है कि वह दिव्यांग होने के बावजूद एवरेस्ट फतेह कर सकीं। कार्यक्रम में बरेली इंटरनेशनल यूनीवर्सिटी के चांसलर डॉ। केशव अग्रवाल ने उन्हें स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।

सक्षम पदों पर बैठे हैं अक्षम

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में देर शाम बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम में हुए जिंदगी की बात कुमार विश्वास के साथ कार्यक्रम में कवि डॉ। कुमार विश्वास ने अपनी रचनाओं के जरिए पुलवामा के शहीदों को नमन किया। कुमार विश्वास ने अपनी कविता 'है नमन उनको जो इस देह को अमरत्व देकर इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गए' सुनाई तो वहां मौजूद कई लोगों की आंखें नम हो गई। इस दौरान उन्होंने देश की व्यवस्थाओं पर प्रहार करते हुए कहा कि देश में हर जगह सक्षम पदों पर अक्षम लोग बैठे हैं। आजादी से पहले वकील, अध्यापक और डॉक्टर समाज को दिशा दिखाने का काम करता था, लेकिन अब 70 साल बाद ये तीनों की पेशे मिशन से कमीशन पर आ गए हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारा दुर्भाग्य ही है कि आजादी के बाद हमने सब कुछ किया लेकिन अपने अंदर भारतीयता नहीं जगा सके। व्यक्तिगत विकास तो बहुत हुआ लेकिन भारतीयता का विकास नहीं हुआ। डॉ। केशव अग्रवाल ने उन्हें स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में डॉ। प्रमेंद्र माहेश्वरी, डॉ। विनोद पागरानी, डॉ। मनोज हिरानी समेत एसोसिएशन से जुड़े देशभर के डॉक्टर मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive