RANCHI: आरआरडीए क्षेत्र में बने अवैध मकानों को वैध कराने के लिए लोग प्राधिकरण का चक्कर काट रहे हैं। अवैध घरों को वैध करने के कैबिनेट के आदेश के बाद लोगों में उम्मीद की किरण जगी थी, लेकिन आरआरडीए इस उम्मीद को पूरा नहीं होने दे रहा। आरआरडीए तकनीकी खराबी की वजह से लोगों के घरों का आवेदन ही एक्सेप्ट नहीं कर रहा है। दरअसल, आरआरडीए में सभी आवेदन ऑनलाइन लिये जाते हैं, लेकिन अवैध मकानों के लिए ऑनलाइन प्रॉसेस बंद है। लोग न तो ऑनलाइन और न ही ऑफलाइन आवेदन जमा कर पा रहे हैं। इस परेशानी को दूर करने के लिए प्राधिकरण की ओर से कोई पहल भी नहीं की गई है। आरआरडीए की साइट पर भी संबंधित कोई इंर्फोमेशन नहीं होने की वजह से समस्या और बढ़ गई है। लोग दूर-दराज से बडी आस लेकर ऑफिस आते हैं लेकिन उन्हें मायूस लौटना पड़ता है।

छह माह का है समय

अवैध घरों को वैध करने के लिए लोगों के पास सिर्फ छह महीने का समय है। ऐसे में लोग जल्द से जल्द अपने घरों को वैध कराना चाहते हैं। घरों को वैध कराने में भी कई प्रक्रियाएं हैं। आवेदन लेने के बाद घर के नक्शे सहित उसे समय पर जमा करना है। 50 स्क्वॉयर फीट में बने घर फ्री में नियमित कर दिए जाएंगे। जबकि 51 से 100 स्क्वायर फीट में बने मकानों के लिए 100 और 101 स्क्वायर फीट से ज्यादा क्षेत्र में बने मकान के लिए 200 रुपए का डीडी फार्म के साथ जमा करना है। आवेदन जमा करने के बाद इसकी स्क्रूटनी की जाएगी। जिस भूखंड में मकान मालिक का मालिकाना हक होगा वे ही अपने घर को वैध कर सकेंगे।

हजारों अवैध मकान हैं क्षेत्र में

आरआरडीए क्षेत्र में 50 हजार से भी अधिक अवैध मकान है। पहले भी कई बार रेगुलर करने के लिए इन्हें मौका दिया गया था। लेकिन जटिल प्रक्रिया के कारण लोगों ने अपने मकानों को रेगुलराइज करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। आरआरडीए के पदाधिकारी ने बताया कि कई सारे ऐसे लोग है जिन्होंने अपना मकान जीएम लैंड, आदिवासी जमीन या सरकारी जमीन पर बना रखा है। इसलिए भी रेगुलर कराने से बचते है। कहीं उनकी गलती न सामने आ जाए। इसलिए लोग आवेदन नहीं देते हैं।

Posted By: Inextlive