रांची: पूरी तरह से उखड़ चुके संगठन को फिर से मजबूत बनाने में जुटे माओवादियों की खतरनाक मंशा ने पुलिस की नींद उड़ा दी है। संगठन के लिए बनाए जा रहे नये सदस्यों को हथियार मुहैया कराने के लिए बाइक दस्ता बनाया गया है। इनको मार्केट समेत अन्य भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर तैनात पुलिसकर्मियों पर हमला कर उनके हथियारों को लूटने का टॉस्क सौंपा गया है। इस इनपुट के बाद पुलिस महकमा भी चौकन्ना हो गया है। स्पेशल ब्रांच ने अलर्ट करते हुए सभी जिलों के एसपी को इसकी सूचना दे दी है जिसके बाद इन सदस्यों से निबटने के लिए कई आवश्यक निर्देश जारी किये गए हैं।

संगठन के निर्देश लगे पुलिस के हाथ

हाल के दिनों में नक्सली संगठन के कई ओहदेदारों ने सरेंडर कर दिया है तो कई पुलिस के हाथों पकड़े जा चुके हैं। इसके अलावा राजधानी समेत कुछ अन्य जिलों से नक्सलियों को खदेड़ने के लिए पुलिस की लगातार कार्रवाई जारी है। इससे खार खाए नक्सलियों ने कैडरों के लिए सुरक्षा के लिए निर्देश जारी किए हैं जो पुलिस के हाथ भी लग चुके हैं। इसमें संगठन में छुट्टी लेकर घर जाने वाले कैडरों को हथियार साथ ले जाने की मनाही है। दस्ता में रहते हुए कैडरों के मोबाइल के इस्तेमाल पर रोक है। नारी मुक्ति संघ, क्रांतिकारी किसान कमेटी के जरिए युवाओं व महिलाओं को संगठन से जोड़ा जा रहा है।

सुरक्षाबलों को मिली हिदायत

इस इनपुट के बाद नक्सल विरोधी अभियान का नेतृत्व करने वाले सुरक्षा बलों के अधिकारियों को भी यह ताकीद की गई है कि वे वायरलेस का सतर्कतापूर्वक इस्तेमाल करें। कहा गया है कि झारखंड पुलिस इस अभियान के दौरान मैनुअल वायरलेस सिस्टम का इस्तेमाल करती है। ऐसे में प्रभावित इलाकों में नक्सली वायरलेस की फ्रिक्वेंसी मिलाकर सुरक्षाबलों की गोपनीय बातचीत सुन सकते हैं और उसी अनुसार योजना बनाकर किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं।

वायरलेस ऑपरेटिंग निर्देश भी

साथ ही यह निर्देश दिया गया है कि नक्सल विरोधी अभियान में शामिल अधिकारी वायरलेस पर अगले पोस्ट को सूचना न दें। अभियान के दौरान वायरलेस सेट पर होने वाली बातचीत और सिग्नल को गोपनीय रखें.अभियान शुरू करने से पहले वायरलेस पर सूचना फ्लैश नहीं करें।

पुलिस पर नजर रख रहा ड्रोन

नक्सलियों ने ड्रोन को अपना नया हथियार बना लिया है। इसके जरिये वे सुरक्षा बलों की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ-साथ हमले की साजिश भी रच रहे हैं। लेटर में स्पेशल ब्रांच ने लिखा है कि नक्सली अब ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे इसके माध्यम से पुलिस व अन्य सुरक्षा बलों के मूवमेंट और उनके कैंपों पर नजर रख रहे हैं। स्पेशल ब्रांच के जारी रिपोर्ट के अनुसार पुलिस और सीआरपीएफ का ड्रोन नेत्रा भी नक्सलियों के निशाने पर है। इसका इस्तेमाल नक्सलियों की रेकी और उनकी मौजूदगी की जानकारी के लिए किया जाता है।

बाजार में उपलब्ध हैं ड्रोन

भारतीय बाजार में ड्रोन कैमरे 2000 से डेढ़ लाख रुपए में आसानी से उपलब्ध हैं। तमाम ई-कॉमर्स कंपनियां भी इन्हें ऑनलाइन बेच रही हैं। झारखंड में एक दिसंबर 2018 से ड्रोन के इस्तेमाल की नियमावली लागू है। इसके मुताबिक, राजभवन, मुख्यमंत्री आवास, विधानसभा, मिलिट्री कैंप आदि जगहों पर ड्रोन का इस्तेमाल नहीं हो सकता।

वर्जन

नक्सलियों के खिलाफ लगातार ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। कई जिलों से इनके पांव उखड़ चुके हैं और पुलिस को लोकल सपोर्ट भी मिल रहा है।

आशीष बत्रा, आईजी ऑपरेशन

Posted By: Inextlive