--जमकर हुई धक्का-मुक्की, मारपीट तक की नौबत

--छात्र संगठनों ने की फॉर्म भरने की अंतिम तिथि बढ़ाने की मांग

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RANCHI (24 June) : मारवाड़ी कॉलेज में शनिवार को दिन भर हजारों स्टूडेंट्स की भीड़ फॉर्म खरीदने और भरे हुए फॉर्म को जमा करने की जद्दोजहद में जुटी रही। दिन में तेज बारिश के कारण भारी संख्या में स्टूडेंट्स भीग भी गए। दरअसल, शनिवार को एडमिशन फॉर्म भरने की अंतिम तिथि थी। इस वजह से हजारों की संख्या में छात्र ब्वॉयज सेक्सशन में उमड़ पड़े थे।

काउंटर की कमी से पैदा हुई अव्यवस्था

कॉलेज में काउंटर की कमी के कारण अव्यवस्था उत्पन्न हुई। सिर्फ एक काउंटर से फॉर्म बेचा भी जा रहा था और एक ही काउंटर में फॉर्म जमा भी किये जा रहे थे। एक फॉर्म की कीमत ब्00 रुपए रखी गई थी। इस दौरान जिन छात्रों ने शनिवार को ही फॉर्म खरीदा, उन्हें भरा हुआ फॉर्म जमा करने में पसीने छूट गए। शाम चार बजे जब काउंटर क्लोज हुआ, तो सैकड़ों की संख्या में छात्र फॉर्म जमा करने से चूक गए।

जमकर हुई धक्का-मुक्की

दिन भर काउंटर पर स्टूडेंट्स के बीच धक्का-मुक्की होती रही। आगे निकलने के चक्कर में कई बार लाइन टूटी, जिससे छात्रों के बीच बहस भी होती रही। कई बार मारपीट तक की नौबत आयी, लेकिन छात्र संगठनों के प्रतिनिधियों ने उनके बीच गलतफहमी दूर करने में मदद की।

प्राभारी प्राचार्य से मिले छात्र नेता

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्र नेताओं ने कॉलेज कैंपस में उत्पन्न अफरा-तफरी के माहौल को देखते हुए प्रभारी प्राचार्य अजय मल्कानी से मुलाकात की। छात्रों ने मांग की कि फॉर्म भरने की तिथि बढ़ाई जाये, ताकि जिन छात्रों ने आज फॉर्म खरीदा है, उन्हें भी एडमिशन लेने का मौका मिल सके। इसके अलावा आइंदा से काउंटर बढ़ाए जाएं, ताकि छात्रों के बीच मारपीट न हो।

कोट

यह छात्रों के साथ ज्यादती है। हजारों छात्रों के लिए केवल एक ही काउंटर कर उनके साथ नाइंसाफी की जा रही है।

अशोक कुमार मुंडा

इस मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए। सैकड़ों छात्र फॉर्म नहीं भर पाए, उन्हें एक मौका ि1मलना चाहिए।

विवेक पांडेय

यह पहली बार नहीं, ऐसा अक्सर होता है। छात्रों को भेड़ बकरियों की तरह ट्रीट किया जाता है। यह कहां तक उचित है?

सूरज पाठक

ग‌र्ल्स को ऐसी स्थिति में ज्यादा परेशानी होती है। भीड़ देखकर लड़कियां वापस लौट जाती हैं। डेट बढ़ाना चाहिए।

रूचिका चौधरी

जिन स्टूडेंट्स का दिन फॉर्म खरीदने में ही निकल गया, वे उसे भरकर कैसे दे पाएंगे। कॉलेज इस पर जरूर विचार करे।

ऋतु सिंह

Posted By: Inextlive