पाक पहुंचे विदेश सचिव जयशंकर, बातचीत शुरु होने की उम्मीद
पाक पहुंचे विदेश सचिव जयशंकरइस्लामाबाद को उम्मीद है कि जयशंकर की इस दो दिवसीय यात्रा से दोनों देशों के बीच नियमित बातचीत की जमीन तैयार होने के साथ ही इसका सिलसिला भी फिर शुरू हो सकेगा. इस मौके पर पाकिस्तान विश्वास बहाली के उपाय (सीबीएम) भी सुझाएगा. जयशंकर अपने पाकिस्तानी समकक्ष एजाज अहमद चौधरी से बातचीत के बाद प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से भी मिलेंगे. मीडिया रिपोर्टो के अनुसार वार्ता के दौरान पाकिस्तान वर्ष 2003 में किए गए संघर्ष विराम समझौते को फिर से लागू करने का सुझाव दे सकता है ताकि नियंत्रण रेखा पर हो रही गोलीबारी से उत्पन्न तनाव को कम किया जा सके. आधिकारिक स्तर पर एक-दूसरे के खिलाफ बयान देने से बचने की बात पर भी सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी. बंद हो सकते हैं विरोधी बयान
एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि दोनों देशों के बीच परस्पर विरोधी बयान नहीं देने को लेकर भी समझौता किया जा सकता है. इससे मीडिया के माध्यम से तय होने वाली कूटनीति से बचा सकेगा. हालांकि, पाकिस्तान सरकार का एक तबका इसे अटकलबाजी मानता है. पाकिस्तान अधिकारियों के मुताबिक जयशंकर हालांकि दक्षेस राष्ट्रों की यात्रा पर इस्लामाबाद पहुंच रहे हैं, लेकिन जब दोनों देशों के विदेश सचिव मिलेंगे तो द्विपक्षीय मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है. उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे दोनों देशों के बीच पटरी से उतर चुकी नियमित बातचीत की गाड़ी रास्ते पर आ जाएगी. दक्षेस यात्रा के तहत थिंपू और ढाका के बाद जयशंकर अब पाकिस्तान जाएंगे. इसी क्रम में वह अफगानिस्तान की यात्रा भी करेंगे.भारत-पाक संबंध सामान्य होने जरूरीपाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के सलाहकार सरताज अजीज ने भारत-पाक के बीच संबंधों को जल्द से जल्द सामान्य बनाने की जरूरत बताई है. उनके मुताबिक नियंत्रण रेखा पर व्याप्त तनाव को कम करने के लिए यह आवश्यक है. उन्होंने कहा, 'भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिवों के बीच तीन मार्च को होने वाले बैठक से निकलने वाले नतीजों की भविष्यवाणी करना सही नहीं होगा, लेकिन दोनों पक्षों के बीच वार्ता शुरू करने पर फैसले का वक्त शीघ्र ही आने वाला है या बैठक के बाद इस पर निर्णय ले लिया जाएगा.' बकौल अजीज भारत से बातचीत के एजेंडे में कश्मीर समेत अन्य मसले पहले भी शामिल रहे हैं. भारत द्वारा रक्षा बजट में आठ परसेंट की बढ़ोत्तरी पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हथियारों की दौड़ में कभी भी शामिल नहीं रहा है.
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