बॉलीवुड के व्यस्त कलाकारों में पंकज त्रिपाठी का नाम भी शुमार है। वह फिल्मों के साथ वेब शो भी कर रहे हैं।


मुंबई (प्रियंका सिंह)। इस वर्ष पंकज त्रिपाठी की लगातार चार फिल्में 'लुकाछुपी', 'द ताशकंद फाइल्स', 'सुपर 30' और 'अर्जुन पटियाला' रिलीज हो चुकी है। आने वाले दिनों में वह '83', 'अंग्रेजी मीडियम', 'संदीप और पिंकी फरार', 'पंगा' जैसी फिल्में भी कर रहे हैं।फिल्मों को पूरा करने के बाद लेंगे छुट्टी  पंकज का कहना है कि उन्होंने इन फिल्मों के लिए पहले से ही वादा कर रखा था, इसलिए वह इन फिल्मों को पूरा कर रहे हैं। इसके बाद वह ब्रेक लेकर छुट्टी पर जाएंगे, क्योंकि काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बना पाना मुश्किल हो रहा है। 15 अगस्त को नेटफिलक्स पर रिलीज हो रही वेब सीरीज 'सेक्रेड गेम्स' सीजन 2 में उनका गुरुजी का किरदार पहले सीजन के मुकाबले विस्तार से दिखाया जाएगा। बताया जा रहा था कि उनका किरदार आध्यात्मिक गुरु ओशो से मिलता जुलता है। सेक्रेड गेम्स में बाबा का किरदार काल्पनिक


हालांकि पंकज इस बात से इंकार करते है। वह कहते हैं कि यह काल्पनिक किरदार है, जो विक्रम चंद्रा के उपन्यास में था। वरुण ग्रोवर ने इसे और विकसित किया है। अनेक शेड वाले इस पढ़े-लिखे किरदार को निभाना मेरे लिए मुश्किल था, क्योंकि एक काल्पनिक किरदार को वास्तविक बनाना था। निर्देशक अनुराग कश्यप ने कहा था कि सेट पर अपनी लाइनें याद करके आ जाना। पंकज खुद पर किसी धार्मिक गुरु या बाबा का प्रभाव होने से इन्कार करते हैं। बकौल पंकज, कभी किसी बाबा का असर मुझ पर नहीं रहा, क्योंकि मैं थिएटर कर चुका हूं। जो लोग थिएटर करते हैं, उन पर इन सब चीजों का प्रभाव नहीं पड़ता है। थिएटर एक्टर तर्कसंगत हो जाते हैं। किसी भी काम को करने से पहले दस बार सोचते हैं कि वह उस चीज से प्रभावित क्यों हों। नहीं देखा किसी बाबा का प्रवचन

इस किरदार के लिए मैंने किसी बाबा का प्रवचन नहीं देखा। मैं घर में ही अपने कमरे में रहता था। सिर्फ खाना खाने के लिए हॉल में पत्‌नी और बेटी के पास आता था। मैंने दोनों को समझाया कि मेरा इस तरह अलग रहना जरूरी है क्योंकि मुश्किल किरदार है।' पंकज आगे कहते हैं, 'इससे पहले मैंने इतनी मेहनत किसी और किरदार पर नहीं की थी। इसकी दो वजहें हैं। पहला बाबाओं की दुनिया मेरे लिए नई थी। दूसरा यह कि मोनोलॉग बहुत लंबे थे। सात पेज की स्कि्रप्ट में कोई भी ऐसी समकालीन बात नहीं थी, जिसमें मैं अपनी तरफ से कुछ डालकर या सुधारकर बोल सकूं। उनकी अपनी विचारधारा थी, जो लिखकर मिला था, वही बोलना था। 11 मिनट लंबा डायलॉग एक टेक में 11 मिनट का एक लंबा डायलॉग था, जिसे मैंने एक टेक में दिया था। मैं यह कर पाया क्योंकि होमवर्क करके गया था।'पंकज भले ही तैयारियों के साथ सेट पर जाते हों, लेकिन वह खुद को मेथेड एक्टर नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि दुनिया का हर कलाकार मेथेड एक्टर होता है। जो खराब एक्टिंग करता है, उसका मेथेड खराब होता है जो अच्छी एक्टिंग करता है, उसका मेथेड अच्छा होता है। मेरा काम करने का एक तरीका है, जो हर किरदार के साथ बदलता रहता है।

Posted By: Mayank Kumar Shukla