रास्ता भटक गए हैं भट्ट। फिल्म सड़क 2 का शीर्षक यह अधिक सटीक रहता। चूंकि महेश भट्ट पूरी तरह से रास्ता भटक गए हैं और उनकी यह सड़क बिल्कुल धंसी हुई है जिस पर दर्शक अगर चलने की कोशिश करेंगे। उनकी पहली सड़क को जेहन में रख कर तो वह धंसते चले जाएंगे। बेहतर है कि इस सड़क पर चलने की कोशिश ही ना की जाए। आलिया भट्ट और महेश भट्ट दोनों के ही दर्शकों के लिए यह फिल्म एक मजाक से अधिक कुछ नहीं है। हम ऐसा क्यों कह रहे हैं। पढ़ें पूरा रिव्यू।

फिल्म : सड़क 2
कलाकार : आलिया भट्ट, आदित्य रॉय कपूर, संजय दत्त, मकरंद देशपांडे, प्रियंका बोस
निर्देशक: महेश भट्ट
ओ टी टी : डिज्नी प्लस हॉट स्टार
रेटिंग: एक

क्या है कहानी
महेश भट्ट जिन्होंने लंबे समय के बाद निर्देशन की कुर्सी संभाली थी। फिर यह कहानी क्यों चुनी। चुनी तो चुनी आलिया भट्ट, जिनका करियर बिल्कुल पक्के सड़क पर चल रहा है, उस उतारने की जरूरत क्या थी। महेश भट्ट की पहली वाली सड़क के फैन्स के लिए यह अफसोस है कि महेश भट्ट जो कि बेहतरीन फिल्मकार माने जाते हैं, खुद अपनी ही मरम्मत की सड़क को इस बार कई सारे गड्ढे खोदते नजर आए हैं। क्या 2020 में हम उनसे ऐसी कहानी की उम्मीद कर रहे थे।

भट्ट साहब के लेखनी की स्याही ख़तम
एक लड़की आर्या( आलिया) को अपने पिता योगेश ( जिशू) को उसकी मासी नंदिनी( प्रियंका) और बाबा ज्ञानप्रकाश( मकरंद) से बचाना है, क्योंकि उसका मानना है कि उसने अपनी मां को इन सबकी वजह से खोया है। उसको लोगों ने मेंटल घोषित कर दिया है। वह लेकिन तेज तरार है। वह सबसे बच बचा के कैलाश जाने के लिए निकल जाती है। टैक्सी सर्विस के लिए वह रवि किशोर( संजय दत्त) से टकराती है। फिर रास्ते में ही अपने बॉय फ्रेंड विशाल ( आदित्य रॉय कपूर) जो कि एक ट्रोलर रहता है, उसके साथ हो लेती है। और फिर बदले की कहानी शुरू होती है। पिछली सड़क से इस सड़क के बीच पूजा भट्ट की तस्वीर एक मजाक सी लगती है। पहली सड़क से इस सड़क तक पहुंचते- पहुंचते भट्ट साहब के लेखनी की स्याही ख़तम हो जाती है और फिल्म एक बकवास कहानी बन कर रह जाती है। पिता मोह में आलिया के लिए इस फिल्म को हां कहना उनके लिए नुकसानदेह साबित होगा।

क्या है अच्छा
फिल्म के लोकेशन भर ही अच्छे हैं। ट्रैवलिंग के विकल्प दिखाने के लिए अच्छा है।

क्या है बुरा
गिनती खत्म ना हो, इतनी कमियां हैं। फिल्म के संवाद, उफ्फ जैसे 80 के दशक की कोई बी ग्रेड फिल्म देख रहे हों। दृश्य भी कितने बनावटी। महेश भट्ट प्रोड्यूसर के रूप में ही ठीक। अगर ऐसी फिल्म बनानी है तो।

अदाकारी
आलिया भट्ट ने शुरुआती कुछ दृश्य में अच्छा काम किया है। संजय दत्त अब एकदम घिसे पिटे किरदार में नजर आने लगे हैं। एक ही एक्स प्रेशन पर पूरी फिल्म। मकरंद जैसे कलाकार सदाशिव के नजदीक एक पर्सेंट भी नहीं पहुंचे हैं। आदित्य रॉय कपूर के लिए तो फिल्म में खास कुछ करने को था है नहीं। प्रियंका जीशू ने अपने हिस्से का अच्छा काम किया है।

वर्डिक्ट
आलिया भट्ट के दर्शकों के लिए असली कलंक फिल्म तो यह साबित होगी। फिल्म को दर्शक मिलने मुमकिन नहीं। अच्छा है कि फिल्म वेब पर आई है। वरना थियेटर में फिल्म का बेहद बुरा हाल ही होता।

Review By: अनु वर्मा

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari