संगम की रेती पर देश भर से जप- तप व अनुष्ठान की साधना करने के लिए दर्जनों संत- महात्मा पहुंचे हैं। लेकिन मौनी बाबा के नाम से चर्चित अमेठी के शिव योगी स्वामी की बात ही निराली है।


33 वर्षो से जप- तप व अनुष्ठान कर रहे हैंALLAHABAD: संगम की रेती पर देश भर से जप- तप व अनुष्ठान की साधना करने के लिए दर्जनों संत- महात्मा पहुंचे हैं। लेकिन मौनी बाबा के नाम से चर्चित अमेठी के शिव योगी स्वामी की बात ही निराली है। इनके शरीर पर संत- महात्माओं की वेशभूषा तो दिखाई ही देती है लेकिन पौष पूर्णिमा स्नान पर्व पर जब वे अपने शिविर से संगम स्नान को जाने लगे तो हर कोई उन्हें देखता ही रहा। इसकी बड़ी वजह यही रही कि अनुयायियों के घेरे में निकले शिव योगी पूरे शरीर पर रुद्राक्ष की माला धारण किए हुए थे। उनके शरीर में पांच हजार माला पड़ी हुई थी जो उन्हें भक्तों ने पचास बार समाधि लेने के बाद प्रदान की थी।11 वर्ष की उम्र में लिया वैराग्य
अमेठी स्थित साधना आश्रम में रहने वाले 50 वर्षीय शिव योगी स्वामी ने ग्यारह वर्ष की उम्र में वैराग्य धारण कर लिया था। मन में भगवान शिव का दर्शन करने और राष्ट्र कल्याण की भावना को लेकर उन्होंने वर्ष 1989 में मौन धारण किया। मौन रहकर भगवान का पूजन- अर्चन करने का सिलसिला वर्ष 2002 तक लगातार चलता रहा। महाबीर पुल के पास स्थित शिविर में शिव योगी वर्ष 1984 से कल्पवास करने को आ रहे हैं लेकिन मौन रहने की वजह से एक साल के अंतराल पर पूरे खाक चौक क्षेत्र में उन्हें मौनी बाबा के नाम से पुकारा जाने लगा।नेपाल के महाराज ने भेंट किया मुकुटशिव योगी स्वामी ने समाधि लेने की शुरुआत नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर से की थी। उन्होंने बताया कि राष्ट्र के कल्याण की भावना के उद्देश्य को लेकर अब तक 50 बार भू और जल समाधि ले चुके हैं। पहली बार समाधि लेने के नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर में गया। वहां 41 दिनों तक लगातार भू समाधि ली थी। इससे खुश होकर नेपाल के महाराज वीरेन्द्र विक्रम शाह ने 11 हजार रुद्राक्ष और चांदी का मुकुट भेंट किया था।भक्तों ने अर्पित की रुद्राक्षशिव योगी स्वामी कथा हो या धार्मिक सत्संग ऐसे आयोजनों में जाने से पहले सिर से लेकर कमर तक में पांच हजार रुद्राक्ष की माला धारण करते हैं। जिसका वजन दस किग्रा है। सभी मालाएं उन्हें उनके दर्जनों भक्तों ने भू या जल समाधि के बाद प्रदान किया है। इसमें दो मुखी से लेकर 21 मुखी तक की रुद्राक्ष की मालाएं शामिल हैं।कहां- कहां ली समाधि


- नेपाल : पशुपति नाथ मंदिर में एक बार 41 दिन और एक बार 30 दिनों तक समाधि- नासिक : हरिधाम साधना आश्रम के सरोवर में नौ दिन की एक जल समाधि और दूसरी बार नौ दिनों में छह बार जल समाधि- टीकरमाफी आश्रम : मुंशीगंज स्थित आश्रम में 21 दिनों तक भू समाधि और एक बार जल समाधि- दिल्ली : पूर्वी दिल्ली स्थित आश्रम में दो बार दस- दस दिनों तक लगातार भू समाधि- नासिक : अंतिम बार समाधि नासिक में वर्ष 2016 में हुए कुंभ के दौरान पांच दिनों तक लगातार भू समाधि

Posted By: Inextlive