प्रेम के अभाव में आपका उचित विकास नहीं हो सकता।आप ग्रो नहीं कर सकते। इसे असल मायने में प्रेम के अभाव की विफलता कहा जा सकता है...


प्रेम का सार क्या है?प्रेम वो है, जो हमें जीवित रखता है। सिर्फ हमें ही नहीं, बल्कि पूरे यूनीवर्स को। ये वो पवित्र और ईश्वरीय प्रेम है, जिसका अहसास कर सूरज को देखते ही फूलों की पंखुड़ियां खुद ब खुद खुल जाती हैं। ये वो है, जिसकी मदद से हमारा पालन पोषण होता है। इतना ही नहीं, कई इंस्टीट्यूशंस में कुछ बच्चों पर मेडिकल और साइकोलॉजिकल रिसर्च की गई।


इस रिसर्च में ये सामने आया कि जब इन्हें खाना, दवाएं, कपड़े और संरक्षण सबकुछ दिया गया, सिवाय प्यार के, तो सिर्फ एक प्रेम के अभाव में उनका उचित विकास नहीं हो सका। वे ग्रो नहीं कर सके। इसे असल मायने में प्रेम के अभाव की विफलता ही कहा जा सकता है। ये वो कंडीशन थी, जब बच्चों के साथ चिकित्सकीय लेवल पर कुछ भी गलत नहीं था, वे पूरी तरह से फिट एंड फाइन थे। इसके बावजूद सिर्फ उनके पास प्रेम का अभाव था, ऐसे में उनका विकास नहीं हुआ। मूर्ति व मंदिर निर्माण के पीछे छिपा है एक पूरा विज्ञान: ओशोdevshayani ekadashi 2019 : अब 4 महीने बाद इन तारीखों पर बजेगी शहनाई, जानें कब-कब है शुभ मुहूर्त

इस स्थिति में ये कहा जा सकता है कि प्रेम में वो ताकत है, जो इन सभी सुविधाओं को आपस में बांधकर असल मायने में इन्हें पूरा करती है और लोगों के उचित विकास में मददगार साबित होती है। हम सब जब प्रेम की गहराई में उतरकर किसी को प्यार करते हैं, तो हमें उसके असली श्रोत का पता पड़ता है। इस लेवल पर, वह इंसान जिसको हम प्रेम करते हैं, हम उसको इजाजत देते हैं कि वो भी हमें प्यार करे। हम सबकी जिंदगी में जो लोग हमको प्यार करते हैं, उनकी मौजूदगी में हमारे लिए भी प्रेम का अहसास करना और ज्यादा आसान हो जाता है।

Posted By: Vandana Sharma