PATNA : सेफ मदरहुड में दो बड़े चैलेंज हैं मेडिकल फैसिलिटी और अवेयरनेस। इंडियन सोसाईटी में अक्सर फीमेल के हेल्थ खासकर रिप्रोडक्टिव हेल्थ में एग्नारेंस दिखाई देता है। ऑल इंडिया कांग्रेस ऑफ आबस्ट्रेटिक्स एंड गाइनोकोलॉजी के सेकेंड डे कान्फ्रेंस में हमने इसी सब्जेक्ट पर देश-विदेश से आए एक्सपर्ट डॉक्टर्स से बातचीत की।

ग‌र्ल्स के एडोलसेंस के समय कई प्रॉब्लम आती है। डेवलपिंग कंट्री में इसे हेल्थ प्रॉयोरिटी के रूप में नहीं लिया जाता। इस पर अवेयरनेस की जरूरत है। मदरहुड से पहले एडोलसेंस स्टेज हेल्दी पर डिस्कस किया गया। वर्कशॉप और सेमिनार के अलावा स्कूलों में भी इस पर अवेयरनेस फैलाने की जरूरत है। एडोलसेंस स्टेज सेफ होना चाहिए और इसे प्रायोरिटी देना होगा।

- डॉ हीले कैरो, एस्टोनिया

सबसे बड़ी चिंता मदर के हेल्थ की है। हेल्दी मदर ही अपने बेबी की अच्छी तरह केयर कर सकती हैं। बिहार जैसे स्टेट में यह एक बड़ा कन्सर्न है। इसके लिए ट्रेनिंग दी जा रही है। हालांकि बैकवर्ड स्टेट में यह प्रॉब्लम बहुत ज्यादा है।

डॉ चिरोम प्रीतम कुमार सिंह, मणिपुर

इंस्टीट्यूशनल डिलेवरी का मतलब है पूरी फैसिलिटी के साथ हॉस्पीटल में ट्रेंड स्टाफ द्वारा डिलेवरी। सेफ मदरहुड के लिए यह इंपॉर्टेट है, पर यहां इसकी बेहद कमी है, कारण गरीबी और मेडिकल फैसिलिटी। देशभर में केरल में करीब 99 पर्सेट इंस्टीट्यूशनल डिलेवरी होती है, पर बिहार में यह अधिक से अधिक भ्भ् से म्0 परसेंट होगी।

डॉ नेबकान्ता शर्मा, मणिपुर

बिहार जैसे स्टेट में रिप्रोडक्टिव हेल्थ में बैकवर्डनेस है। फीमेल में पीरयड इरेग्यूलर होना, ब्लीडिंग और पेन होना आदि केसेज में समय पर ट्रीटमेंट नहीं हो पाता है। यूटरस की सर्जरी कब और किस मेथड से करें, जैसे सब्जेक्ट पर वर्कशॉप में चर्चा की गई। यहां इनफेक्शन बढ़ने पर बच्चेदानी निकालने की समस्या भी होती है। इसके लिए लेप्रोस्कोपिक और अन्य सर्जरी उपाय है, पर बिहार में कई मॉडर्न फैसिलिटी का अभाव है।

डॉ आशारानी सिन्हा, पीएमसीएच, पटना

इनफर्टिलिटी एक बड़ी प्रॉब्लम के रूप में उभरा है। वर्कशॉप में इसके ट्रीटमेंट और ऑपरेशन के न्यू मोडालिटीज के बारे में डिस्कस किया गया। इसके अलावा प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली प्रॉब्लम को कैसे कम कर सकते हैं, इन उपायों पर भी डिस्कस किया गया।

डॉ नीलम पाण्डे, पटना

इंडिया में प्रेगनेंसी से पहले थायरायड का टेस्ट प्राय: कम ही होता है। थायरायड बेटर रिप्रोडक्टिव हेल्थ के लिए जरूरी है। प्रेगनेंसी के समय इसकी स्क्रीनिंग जरूर करानी चाहिए, पर अफसोस इसके बारे में भी अवेयरनेस की कमी है।

डॉ अलका कृपलानी, एचओडी गाइनोकोलॉजी डिपार्टमेंट, एम्स, दिल्ली

प्रेगनेंसी के दौरान बीपी और आफ्टर बर्थ एक्सेस ब्लीडिंग जैसी प्रॉब्लम से चाइल्ड बियरिंग मदर की मौत हो जाती है। इसके लिए फॉग्सी द्वारा सेफ मदरहुड प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। यूके में मैटरनल मोरटैलिटी प्रति एक लाख में केवल क्0 है, जबकि इंडिया में यह ख्00 से अधिक है। इसे कम करने का प्रयास हो रहा है।

डॉ हेमा दिवाकर, प्रेसिडेंट ऑफ फोगसी, तमिलनाडु

यंग टैलेंट को इस मेडिकल एरिया में प्रमोट और बेटर ट्रेंड करने से कई प्रॉब्लम पर काबू पाया जा सकता है।

डॉ एडोल्फ शिंडलर, जर्मनी

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