ऑनलाइन ने ऐसे तोड़ा 'रोजगार समाचार' का बाजार
GORAKHPUR: देश में कहां नौकरी है, किसी विभाग में कितने पद खाली हैं, इससे जानने के लिए हर सोमवार को यंग ब्रिगेड बुक स्टॉल्स पर नजर आती थी। रोजगार भी बेशुमार थे, तो रोजगार के लिए लाइन लगाने वालों की भी कमी नहीं थी। मगर एडवांस एरा में अब एंप्लॉयमेंट की कमी तो हो ही गई है, साथ ही रोजगार की इंफॉर्मेशन देने वाला 'रोजगार समाचार' हाईटेक व्यवस्था का शिकार हो गया है। यंग जनरेशन का ऑनलाइन एरा में इंटरेस्ट ने रोजगार की सूचना देने वाले इस पेपर को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया है, जिसका असर इसका कारोबार करने वालों पर भी पड़ा है.
85 फीसदी अाई गिरावटऑनलाइन का दबदबा दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। कंप्यूटर से लेकर मोबाइल पर आज दुनिया भर की वेबसाइट को आसानी से एक्सेस किया जा सकता है। यही वजह है कि बाजारों में मिलने वाले फॉर्म और एंप्लॉयमेंट की सूचना देने वाले साधनों को पूछने वाला कोई नहीं है। यूथ के ट्रेंड से सभी सरकारी और गैर सरकारी विभागों ने भी ऑनलाइन व्यवस्था अपनानी शुरू कर दी है, जिससे ऑफलाइन मोड की सारी व्यवस्थाएं नीचे आ गई हैं। कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो पहले के मुकाबले इसमें 85 फीसदी तक गिरावट आई है। दो साल पहले जहां 10 हजार रोजगार समाचार बिक जाते थे, वहीं अब 1500 भी बेचना मुश्किल हो गया है.
काउंटर सेल िबल्कुल खत्मएक तरफ जहां एजेंसी मालिकों की सेल में काफी गिरावट आई है, तो वहीं सेल न होने से फॉर्म सेल होने वाले काउंटर्स ने भी रोजगार समाचार से किनारा कर लिया है। जिम्मेदारों की मानें तो पहले वह हर हफ्ते 100 से ज्यादा प्रतियां बेच देते थे और इसकी डिमांड भी रहती थी। मगर पिछले दो सालों से इसमें काफी गिरावट आई है। सभी ऑनलाइन वेबसाइट पर जाकर इंफॉर्मेशन हासिल कर ले रहे हैं। जिससे उन्होंने अब इसे रखना ही बंद कर दिया है. एक नजर में दो साल पहले सेल - 10000आज की सेल - 1500गिरावट - 85 फीसदसेल - 15 फीसदकाउंटर सेल - 100 प्रति हफ्ता वर्जनरोजगार समाचार की सेल में काफी गिरावट आई है। अब इसकी सेल 15 फीसदी तक रह गई है। पहले 10 हजार कॉपियां आती थीं अब महज 1500 कॉपियां ही सिमट कर रह गई हैं, उसमें भी कुछ कॉपियां वापस चली जाती हैं। - निहाल खान, प्रोपराइटर, स्टूडेंट्स कॉर्नरअब हमने रोजगार समाचार रखना बंद कर दिया है। सभी ऑनलाइन इंफॉर्मेशन हासिल कर लेते हैं। पहले हर हफ्ते 100 कॉपियां बिक जाती थीं, मगर डेढ़-दो साल से इसमें काफी गिरावट आई। इसकी वजह से इसे बंद करना पड़ा।
- रंजन मिश्रा, प्रोपराइटर, रंजन मिश्रा बुक डिपो