RANCHI : बहन के सपनों को पूरा करने के लिए बड़ी बहन ने अपने ख्वाबों की कुर्बानी दे दी। गांव छोड़ महानगर पहुंच गई और दूसरे के घरों में बर्तन मांजने लगी। आख्रिर वह दिन भी आ गया, जिसका अनिमा को वर्षो से इंतजार था। अनिमा की छोटी बहन सलीमा टेटे का सेलेक्शन भारतीय हॉकी टीम में हो गया। यह कोई फिल्मी स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि सिमडेगा के बड़कीछापर गांव की दो बहनों की सच्ची दास्तां है। बड़ी बहन अनिमा ने चार साल तक बेंगलुरु में दूसरे के घरों के बर्तन चमकाते-चमकाते छोटी बहन को इंटरनेशनल लेवल का प्लेयर बना दिया।

सपनों को मिली उड़ान

अनिमा ने ही स्टिक खरीदकर सलीमा के सपनों को उड़ान दी थी। पिछले दो साल से अनिमा अपने घर नहीं लौटी हैं। इस बार क्रिसमस में घर आने का वायदा किया है और इसको लेकर परिवार में उत्साह का माहौल है। हर महीने बेंगलुरु से अनिमा द्वारा भेजे जाने वाले पैसों पर ही परिवार के भरण पोषण टिका है। भाई बेरोजगार है और पिता खेती कर साल भर का चावल किसी तरह जुगाड़ कर लेते हैं। गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वाले सलीमा के पिता सुलक्सन टेटे और मां सुबानी टेटे की पांच बेटियां एलिसन, सुमन, अनिमा, सलीमा व महिमा और एक भाई अनमोल टेटे है। सभी गांव के स्तर पर हॉकी के खिलाड़ी रहे हैं। सलीमा की छोटी बहन महिमा भी हॉकी में करियर बनाने को जी तोड़ मेहनत कर रही है।

तीन साल से सिमडेगा में ले रही ट्रेनिंग

सलीमा पिछले तीन वषरें से सिमडेगा आवासीय सेंटर में हॉकी का प्रशिक्षण ले रही हैं और उनकी प्रतिभा को संवारने का श्रेय प्रतिमा बरवा को जाता है जो सेंटर की प्रशिक्षक हैं। मात्र 15 वर्ष की उम्र में सलीमा टेटे का चयन ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए भारतीय सीनियर महिला हॉकी टीम में हुआ है। भारतीय हॉकी टीम की कप्तान असुंता लकड़ा के सन्यास के बाद सलीमा पहली खिलाड़ी हैं जिनका चयन सीनियर टीम में हुआ है। सलीमा ने अभी तक सिर्फ एक जूनियर स्तर की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता खेली है और सिर्फ 95 दिन के राष्ट्रीय कैम्प में रहकर अपने मेहनत और शानदार प्रदर्शन के बल पर सीनियर भारतीय महिला हॉकी टीम में जगह पक्की की है।

Posted By: Inextlive