Meerut : दामिनी के साथ 16 दिसंबर 2012 की रात हुई घटना को भले ही एक वर्ष का समय बीत गया हो लेकिन घटना के बाद लोगों में जागृत हुई चिंगारी अब शोला बन चुकी है. दामिनी की याद और उसकी हिम्मत लोगों के लिए मिशाल है. उसी दामिनी की याद में आई नेक्स्ट ने सोमवार की शाम शहर वासियों के साथ कैंडल मार्च का आयोजन किया. सन् 1857 के गदर का गवाह बना काली पल्टन स्थित बाबा औघडऩाथ मंदिर से शुरू हुआ कैंडल मार्च दो किलोमीटर का सफर तय कर शहीद स्मारक पर संपन्न हुआ. मार्च में शामिल महिला युवती छात्रा बच्चे नेता आदि सभी ने दामिनी की आत्मा की शांति के लिए मौन रखा. साथ ही मानवता को शर्मसार करने वाली घटना के खिलाफ आवाज बुलंद करने का संकल्प लिया.


और कारवां बन गयाऔघडऩाथ मंदिर से शाम छह बजे कैंडल मार्च शुरू हुआ। मार्च में शामिल लोगों ने हाथों में जलते हुए कैंडल पकड़े और दिल से दामिनी को याद किया। कैंडल मार्च जिन राहों से गुजरा पहले से इंतजार में कैंडल जलाकर खड़े लोग उसमें शामिल हुृए। सैंकड़ों की संख्या के साथ शुरू हुआ मार्च अपने समापन स्थल तक पहुंचते-पहुंचते विशाल जनसमूह में बदल गया। रास्तों में जाते वाहनों में सवार शहर वासी अपने वाहनों को सड़क पर छोड़कर कैंडल मार्च में शामिल हुए और समापन तक साथ रहे।रखा मौन, लिया संकल्प
मंदिर से शुरू हुआ कैंडल मार्च दो किलोमीटर कर सफर तय कर शहीद स्मारक पहुंचा। जहां मार्च में शामिल सिटी वासियों ने दामिनी की याद में कैंडल जलाए। इसके बाद दो मिनट का मौन रखकर दामिनी की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। कैंडल मार्च में शामिल रहे शहर वासियों ने माना कि भले ही आज दामिनी हमारे बीच नहीं है, लेकिन उसकी याद और हिम्मत सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है। लोगों ने इस प्रकार की घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाने का संकल्प लिया।

Posted By: Inextlive