- यशस्विनी व मनस्विनी बेटियों को सीएम ने सौंपे 71 गरम कंबल

- तीन वर्षो से जरूरतमंदों को अपने कैंपेन के जरिए प्रदान कर रहे गरम कपड़े

>DEHRADUN: जिस उम्र में बच्चों के हाथ पर कॉपी, पेंसिल और बुक हो, उस उम्र में बच्चे जरूरतमंदों की भलाई के लिए रात में पापा-मम्मी की मदद से सड़क पर उतर जाएं तो इसे आप क्या कहेंगे। दून में दो बहनें कुछ इसी तरह के नेक कार्य में जुटी हुई हैं। बीते तीन वर्षो से यशस्विनी और मनस्विनी जरूरतमंदों को गरम कपड़े मुहैया करा रही हैं। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इनके कार्य को न केवल एप्रिसिएट किया, बल्कि खुद 71 कंबल भी उन्हें सुपुर्द किए। सीएम ने उम्मीद जताई की कि इन दोनों बहनों के जरिए सर्द व ठंडक भरी रातों में ये कंबल जरूरतमंदों तक पहुंचेंगे।

9वीं व 5वीं क्लास में पढ़ती हैं दोनाें बहनें

क्लास पांचवी में पढ़ने वाली यशस्विनी व क्लास 9वीं की स्टूडेंट्स मनस्विनी दोनों सगी बहनें हैं। दोनों के पापा शशि भूषण मैठाणी खुद सोशल एक्टिविस्ट हैं। तीन वर्ष पहले रात में शहर से निकल रहे थे। इस दौरान उनकी नजर ठंड से जूझ रहे जरूरतमंदों पर पड़ी। सोचा इनके लिए कुछ किया जाए। फिर क्या था पापा और मम्मी के सहयोग से दोनों ने 'समौण इंसानियत की' कैंपेन शुरू कर डाली। समौण इंसानियत का मतलब इंसानियत का सामान। फ्राइडे को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दोनों बहनों से मुलाकात की। सीएम ने कहा कि दोनों बहनों के नेक कार्य को वे सोशल मीडिया पर देखते रहे हैं। कहा, इतनी छोटी उम्र से यह बच्चे दिल से समाजसेवा में जुटे हैं। सीएम ने उनके पापा शशि भूषण मैठाणी को भी बच्चों को दी जाने वाली एजुकेशन की तारीफ की।

आम लोगों से सहयोग की अपील

शशि भूषण मैठाणी ने बताया कि वाईआईसीएफएस के तहत समौण इंसानियत कैंपेन की शुरुआत हुई। अब तक पांच हजार से ज्यादा लोगों को गरम कपड़े दिए जा चुके हैं। जिसमें तमाम संस्थाओं का भी सहयोग रहा। सीएम ने निजी सचिव केके मदान ने भी दोनों को 15 कंबल सौंपे। दोनों की ओर से 'रंगोली' आंदोलन की भी शुरुआत की गई है। दोनों बहनों की ओर से अपील की गई है कि घरों में मौजूद कपड़ों को जरूरतमंदों तक पहुंचाने में मदद करें।

Posted By: Inextlive