-रोजाना 108 नंबर पर आते हैं लगभग 50 फर्जी कॉल

-एंबुलेंस पहुंचने पर नहीं मिलता बताया पता

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रूद्गद्गह्मह्वह्ल : सुबह 10 बजे 108 एंबुलेंस सर्विस का कॉल सेंटर खुलता है। मोबाइल नंबर 8373652020 एक कॉल आता है। इमरजेंसी रिस्पांस ऑफिसर कॉल अटेंड करती है। कॉलर बताता है कि ऊंचा सद्दीक नगर में दीवार गिर गई गई है, जिसके नीचे दो बच्चे दब गए हैं। तत्काल एंबुलेंस भेज दो। उस इलाके एंबुलेंस नहीं है, लेकिन बिना एक पल गंवाए डीआईजी बंगले के पास खड़ी एंबुलेंस भेजी जाती है, लेकिन बताए गए मकान नंबर पर न तो कॉलर का पता चलता है और न ही उस इलाके कोई घटना हुई थी। बस होते हैं तो सिर्फ एंबुलेंस स्टाफ के बेशकीमती 40 मिनट बेकार। यह घटना तो एक बानगी भर है। विभागीय जानकारी के अनुसार इस तरह के रोजाना 50 कॉल आते हैं, लेकिन फर्जी कॉल के चक्कर में कई बार जरूरतमंद आदमी की मदद नहीं हो पाती।

बन सकती है जान पर

लगातार बढ़ रहे फेक कॉलर्स की वजह से कॉल सेंटर में बैठे अधिकारी कई बार परेशान होकर कॉल भी अटेंड नहीं करते, जिसका खामियाजा किसी जरूरतमंद को भुगतना पड़ता है। केस अगर सीरियस हो तो ऐसी हरकत की वजह से किसी की जान भी जा सकती है। साथ ही लोकल स्तर पर भी स्टॉफ बात झूठी समझकर सही स्थान पर जाने में आना-कानी करता है।

विभाग को लग रहा चूना

फेक कॉलर द्वारा दी गई गलत जानकारी की वजह से एंबुलेंस को रोजाना औसत 10 से 20 किमी बिना वजह पेट्रोल फूंकना पड़ता है। जिसमें ड्राईवर सहित एक अन्य युवक रहता है। मेरठ में 25 एंबुलेंस मौजूद है यानी औसत 500 किमी की बर्बादी। जिसमें यदि 10 रुपए प्रति किमी का खर्च भी लगाएं तो शरारती तत्व 5 हजार का सीधा चूना विभाग को लगा रहे हैं। इसके अलावा समय जो बर्बाद होता है वो अलग।

कैसी-कैसी पूछताछ

-घर पहुंचने के लिए साधन नहीं मिल रहा घर ड्रॉप करा दीजिए

- गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो गया है। पंप दूर है एंबुलेंस मिल सकती है क्या

-ब्वॉय फ्रेंड के साथ आई थी। बीच में छोड़कर भाग गया हेल्प हो सकती है

- मॉम के चोट लग गई। क्या फस्ट एंड बॉक्स भी रखते हो?

हर दिन 500 ब्लॉक

लखनऊ कॉल सेंटर से मिली जानकारी के अनुसार हर दिन 500 से ज्यादा नंबरों को दो घंटे के लिए ब्लॉक भी किया जाता है, लेकिन शरारती तत्व अपनी हरकत से बाज नहीं आते। 108 सर्विस पर कॉल कर उल्टी सीधी हरकत करते रहते हैं।

पेरेंट्स भी समझें जिम्मेदारी

इस तरह की हरकत कम उम्र के बच्चे ज्यादा करते हैं। ऐसे में उनके पेरेंट्स को बच्चों को 108 सेवा के बारे में बताना चाहिए। साथ ही जिम्मेदारी समझकर किस परिस्थति में हेल्पलाइन नंबर पर कॉल की जाती है, इस बारे में बच्चों को बताना चाहिए।

केस नंबर:1

1 जनवरी को लखनऊ कॉल सेंटर से फोन आया कि मवाना रोड स्थित गांव रजपुरा में एक महिला का एक्सीडेंट हुआ है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के सामने का पता बताया। पोस्टमार्टम हाउस के पास खड़ी एंबुलेंस भेजी गई। स्टॉफ ने जाकर पता किया तो महिला खड़ी हुई बाइक से गिर गई थी। उसके बिल्कुल भी चोट नहीं आई थी। साथ महिला वहां से अपने घर जा भी चुकी थी।

केस नंबर:2

29 दिसंबर को कॉल आई की नंगला बट्टू में एक पति ने अपनी पत्‍‌नी को इस कदर पीटा की वह गंभीर हालत में रास्ते में पड़ी है। जाकर देखा गया तो वहां न तो महिला मिली और बाद में जिस नंबर से कॉल आई थी उसका नंबर भी लगना बंद हो गया।

केस नंबर:3

26 दिसंबर रात 11 बजे कॉल आई और बताया गया कि बिजली बंबा बाइपास पर बड़ा एक्सीडेंट हुआ है। जिला अस्पताल के निकट खड़ी एंबुलेंस भेजी गई, लेकिन सूचना झूठी निकली। कॉलर का नंबर लगाया गया तो 'डज नोट एग्जिस्ट' बताया।

फर्जी कॉल करने वालों ने नाक में दम कर रखा है। रोजाना फेक कॉल्स की भरमार रहती है। ऐसी स्थिति में कई बार जरूरतमंद की भी मदद नहीं हो पाती। फेक कॉलर्स के बारे में लखनऊ शिकायत की गई है।

-जेएस नेगी, प्रभारी 108 एंबुलेंस सेवा मेरठ

हमने एक सर्वे रिपोर्ट तैयार की है। इस तरह की हरकत करने वाले शरारती तत्वों के साथ एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी है।

-अजय कुमार, प्रभारी 108 कॉल सेंटर, लखनऊ

Posted By: Inextlive